भोपाल से संचालित होगी प्रदेशभर के वाहनों की ऑनलाइन ट्रैकिंग व्यवस्था

 ऑनलाइन ट्रैकिंग

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में यात्री वाहनों की ऑनलाइन ट्रैकिंग व्यवस्था इस साल के अंत तक शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए भोपाल में एक राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दरअसल प्रदेश भर में चल रही यात्री वाहनों पर ऑनलाइन नजर रखने के लिए (ऑनलाइन ट्रैकिंग) की व्यवस्था शुरू होने जा रही है। विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए परिवहन विभाग यह व्यवस्था कायम करने जा रहा है। इसके लिए पहले चरण का बजट लगभग उन्नीस करोड़ केंद्र सरकार से परिवहन विभाग को आवंटित कर दिया गया है। अब जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। परिवहन आयुक्त मुकेश जैन के मुताबिक निर्भया फंड से देश के सभी राज्यों को विशेषकर महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए यात्री वाहनों के ट्रैकिंग की व्यवस्था की जा रही है।
चूंकि अब तक राज्य स्तर का कंट्रोल रूम बनाए जाने पर असमंजस था कि यह भोपाल में बनाया जाए या ग्वालियर में लेकिन अब चूंकि केंद्र सरकार से बजट का आवंटन हो चुका है। ऐसे में संशय की स्थिति भी खत्म हुई और अब बजट आवंटन होने के साथ ही भोपाल में कंट्रोल रूम बनाए जाने की स्थिति साफ हो चुकी है। अगले तीन से चार महीनों में यह कंट्रोल रूम बनकर तैयार हो जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया भी परिवहन विभाग द्वारा जल्द शुरू की जा रही है।
 वाहनों में लगना है जीपीएस डिवाइस
बता दें कि भोपाल सहित प्रदेशभर में संचालित करीब सवा चार लाख यात्री वाहनों पर एक साथ नजर रखने के लिए उनमें जीपीएस बेस्ट इंटरनेट संचालित डिवाइस लगाई जाना है। हालांकि अब तक प्रदेश भर में अस्सी हजार से अधिक वाहनों में जीपीएस डिवाइस लगाए जा चुके हैं। इनमें ओला, उबर टैक्सी, चार्टर्ड बसें आदि शामिल है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस कार्य को जल्द पूरा करवाने के लिए वाहन संचालकों को से चर्चा की जा रही है। ज्ञात रहे कि भोपाल जिले में लगभग पैंतीस हजार से ज्यादा यात्री वाहनों की संख्या है। वही प्रदेश भर में यह संख्या करीब सवा चार लाख के आसपास है। ऐसे में इन वाहनों में डिवाइस लगाने के लिए कम से कम चार माह का समय लगेगा। उसके बाद वाहनों की चैकिंग शुरू की जाएगी। भोपाल जिले में संचालित 35 हजार आठ सौ से अधिक यात्री वाहनों में से लगभग दस हजार में लोकेशन डिवाइस लग चुकी है। अभी पच्चीस हजार से ज्यादा वाहन बचे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि 108 और डायल 100 सहित अन्य कंट्रोल रूम की तरह ही परिवहन विभाग का कंट्रोल रूम शुरू करने की तैयारियां शुरू की जा चुकी है। जहां तक वाहनों में डिवाइस लगने के बाद इंटीग्रेशन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
चार से छह माह का समय लगेगा
यात्री वाहनों पर डिवाइस लगाने के पहले चरण का काम पूरा होने में लगभग चार से छह महीने का समय लगेगा। इसके बाद वाहनों की ट्रैकिंग शुरू कर दी जाएगी। स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड के स्टेट हेड के मुताबिक इस काम से संबंधित वाहनों का डाटा विभाग को उपलब्ध करा दिया गया है।

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