प्रदेश में मिलेगी वन स्टेट वन हेल्थ की सुविधा

वन स्टेट वन हेल्थ
  • एम्स के 120 चिकित्सकों ने 25 बीमारियों की पहचान की

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जल्द ही प्रदेश में वन स्टेट, वन हेल्थ पालिसी लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए एम्स भोपाल ने एसओपी तैयार कर ली है। इसका फायदा यह होगा कि पूरे प्रदेश में मरीजों को एम्स जैसे इलाज की सुविधा मिल सकेगी। इससे मरीजों के साथ ही उनके परिजनों को कई तरह की बड़ी राहत मिल सकेगी। दरअसल अभी इलाज के लिए कई मरीजों को तो लंबी दूरी तय कर अस्पताल पहुंचना होता है। इसके बाद उन्हें भीड़ का अलग से सामना करना पड़ता है। नई पॉलिसी के क्रियान्वयन से मरीजों को भीड़ से मुक्ति मिलेगी और उन्हें घंटों लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ेगा। मप्र पहला राज्य होगा जहां वन स्टेट वन हेल्थ की सुविधा मिलेगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत सबसे पहले सतना और विदिशा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके तहत जिले के डॉक्टरों को सर्जरी की तकनीक, मरीज से बातचीत करने का आदि का सलीका सिखया जा रहा है। एम्स भोपाल राज्य सरकार के साथ इस पॉलिसी पर काम कर रहा है। इससे प्रदेश में लोगों को एक समान और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। जानकारी के अनुसार एम्स भोपाल ने 120 डॉक्टरों की टीम के साथ मिलकर 25 इमरजेंसी बीमारियों की पहचान की है। इसके तहत मरीजों के इलाज के लिए एक जैसी ही मानक प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। यह नीति लागू करने एम्स द्वारा स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। ऐसे में एक जैसा उपचार होने का फायदा ये होगा कि यदि मरीज को छोटे अस्पताल से एम्स में रेफर किया जाता है तो उसे नए सिरे से इलाज शुरू करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डाक्टर मरीज की जरूरत के मुताबिक इलाज तुरंत शुरू कर सकेंगे।
हर स्थान पर मिलेगा इलाज
इस सुविधा के शुरू होने से सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि मध्य प्रदेश के जिलों से लेकर शहरों और गांवों तक में लोगों को एम्स भोपाल जैसे बेहतर और गुणवत्तापूर्ण इलाज की सुविधा मिल सकेगी, जिससे मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा बदलाव आएगा।
यह होती है वन स्टेट, वन हेल्थ पॉलिसी
अगर कोई व्यक्ति किसी घटना में घायल हो गया है। जल गया या फिर किसी को दिल का दौरा पड़ गया या कोई संक्रामक बीमारी की चपेट में आ गया तो, छोटे अस्पताल में वही दवाएं, वहीं उपचार और उपचार का वही तरीका अपनाया जाएगा जो एम्स में अपनाया जाता है।

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