- पंकज जैन
उक्त कहावत आज जैन समाज पर बिलकुल सटीक बैठ रही है, मामला है इंदौर के एक जैन सोशल ग्रुप की (इंदौर मे सम्भवत: पच्चीस के लगभग जैन सोशल ग्रुप होंगे) किंग एडवर्ड बिल्डिंग मे हेलोवीन पार्टी का। जैन समाज जाना जाता है अहिंसा के लिए, तप त्याग के लिए, परमार्थ के काम मे हमेशा अग्रणी रहने के लिए, संस्कारों के लिए। पर, तथाकथित सरफिरे आधुनिक लोग जिन्होंने शायद कसम ही खायी थी समाज को बदनाम करने की, गोया कि हम तो डूबेंगे सनम तुम्हे भी ले डूबेंगे। घटना है दो तीन रोज पुरानी इंदौर के एक जैन सोशल ग्रुप ने प्रशासन को अंधेरे मे रख कर उक्त बिल्डिंग को देखने की परमिशन हासिल कर ली। परमिशन देखने की थीं, लेकिन उन सोकाल्ड भद्र लोगों के मन मे कुछ और खिचड़ी पक रही थीं, उन्होंने वंहा जम कर पाश्चात्य संस्कृति मे प्रचलित भूतों की पार्टी की, जिसे हेलोवीन कहा जाता है, नर कंकाल, खून के रंग का केमिकल, डरावने स्लोगन, और उन सब के ऊपर भारी जम के दारुबाजी। जैसा मैंने ऊपर लिखा है ये लोग जैसे कसम खा कर निकले थे कि या तो आज हम नहीं या जैन समाज की इज्जत नहीं। सुनने मे यह भी आया है कि इस कांड और परमिशन के पीछे एक नेता है।
जो शायद राजनीती मे फैल होने की वजह से दोस्तों के बिच झांकी मंडप सज जाए, इस लिए परमिशन ले आया, खैर, जो भी हो इस घृणित कार्य के भागीदार तो सभी उस ग्रुप के सदस्य ही है। मेरा व्यक्तिगत बहुत ज्यादा इन्वॉल्वमेंट जैन सोशल ग्रुप मे कभी रहा नहीं, पर, जितना मैं जानता हूं, इस ग्रुप की स्थापना ही इसलिए हुई थी कि समाज के लोग एक दूसरे से मिले, आपस मे सामजिक और धार्मिक विचारों का आदान प्रदान करें, बच्चों मे उन विचारों के द्वारा संस्कार डाले, साथ मे भोजन करें और हल्का फुल्का लेकिन शिष्ट मनोरंजन करें। लेकिन दुर्भाग्य से इस तरह के ग्रुप ने न सिर्फ जैन समाज को बदनाम किया, वरन ग्रुप की बेसिक थीम को ही तार तार कर दिया। जैन सोशल ग्रुप की सर्वोच्च संस्था है जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन मेरी उनसे अपेक्षा है कि अविलम्ब उक्त ग्रुप की मान्यता, बगैर किसी दबाव में आए, रद्द करें और फौरन से पेश्तर एक आचार संहिता बना कर सारे ग्रुप्स मे भेज कर कड़ाई से पालन करने के निर्देश जारी करें।
इंदौर मे इस समय कई साधू साध्वियों के प्रवचन चल रहे है, उन सबसे भी विनम्र निवेदन रहेगा कि इस काण्ड को अपने व्याख्यान में शामिल कर, उक्त कार्य की यथा संभव भर्तसना करें।
तप, त्याग, अहिंसा और संस्कारों से युक्त जैन समाज आज इन चंद लोगों की वजह से शर्मिंदा महसूस कर रहा है, इनके कारण सारे जैन सोशल ग्रुप बदनाम हो रहे है, अच्छा यही होगा कि तालाब की सारी मछलियों को बचाने के लिए एक सड़ी मछली को फौरन बाहर कर दिया जाए।