हर माह औसतन 35 सौ करोड़ का कर्ज लेगी सरकार

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  • सरकार का उधारी लेने का कलेंडर तैयार …

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही प्रदेश की शिव सरकार की आय में इस साल में तेजी से वृद्धि हो रही है, लेकिन फिर भी सरकार कर्ज लेने में पीछे नही रहना चाहती है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि सरकारी स्तर पर कर्ज लेने के लिए जो कलेंडर तैयार किया गया है, उससे तो यही पता चल रहा है।
सरकार ने इस साल के वित्त वर्ष में नया कर्ज लेने का जो अनुमान तय किया है, वह बीते साल लिए गए कर्ज की तुलना में 80 फीसदी अधिक है।  दरअसल प्रदेश सरकार ने हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष में कुल 22,000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, जबकि इस साल के लिए जो लक्ष्य तय किया गया है, उसके मुताबिक सरकार द्वारा 39,486 करोड़ रुपए का कर्ज लिया जाएगा। यह कर्ज बॉन्ड जारी करके बाजार से लिया जाएगा।
खास बात यह है कि सरकार द्वारा लिए जाने वाले इस कर्ज पर ब्याज का भुगतान औसतन 7.30 फीसदी की दर से करना होगा। सरकार द्वारा वित्त वर्ष के शुरूआती तीन माह में ही 9,000 करोड़ रुपए उठाने की तैयारी की जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्य सरकारों की बॉन्ड की नीलामी के लिए अगले तीन माह का शेड्यूल जारी कर दिया है। इसके तहत मप्र 8 बार अपने बॉन्ड जारी करेगी। इसके पहले मप्र सरकार द्वारा एक साल पहले वर्ष 2020-21 में सर्वाधिक कर्ज 45,573 करोड़ रुपए का बाजार से लिया गया है। दरअसल कोविड-19 के मुकाबले के लिए आरबीआई ने 20-21 में राज्यों की बाजार से कर्ज उठाने की लिमिट में वृद्धि कर दी थी। इसके मुकाबले में समाप्त हुए वित्त वर्ष में सरकार ने आधा ही यानि की 22,000 करोड़ रुपए का ही कर्ज लिया है। इसकी वजह से कर्ज लेने में 52 फीसदी तक की कमी आयी है। इसके बाद अब एक बार फिर सरकार ने कर्ज लेने के लक्ष्य में वृद्धि कर दी है। अगर सरकार का कर्ज लेने का यही सिलसिला जारी रहा तो माना जा रहा है कि प्रदेश सरकार का कर्ज आरबीआई द्वारा तय गाइड लाइन 22 फीसदी की जगह 25 फीसदी तक पहुंच सकता है, जो प्रदेश की आर्थिक स्थिति के हिसाब से बेहद खराब माना जाएगा।
इस तरह से बढ़ी सरकार की आय
अगर आंकड़ों को देखा जाए तो वाणिज्यिक कर विभाग ने 15 फीसदी से अधिक राजस्व जुटाया है , जबकि शराब से भी सरकार को करीब साढ़े पांच फीसदी अधिक राजस्व मिला है। दरअसल सरकार को वाणिज्यिक कर विभाग से 49,039 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। इसी तरह से शराब से सरकार को 10,380 करोड़ रुपए की आय हुई है, जबकि इसके पूर्व की वर्ष में शराब से 9,835 करोड़ रुपए की आय हुई थी। इसी तरह से पंजीयन शुल्क के रुप में 8,163 करोड़ रुपए की आय हुई है जो पूर्व की वर्ष की तुलना में 16.6 फीसदी अधिक है। इस तरह से कुल राजस्व संग्रह 67,582 करोड़ रुपए हुआ है, जबकि बीते वर्ष यह आंकड़ा 60,597 करोड़ रुपए का था। यानी इस साल कुल राजस्व संग्रह 11.52 फीसदी अधिक हुआ है।

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