भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र देश के उन गिने चुने प्रदेशों में शामिल है, जहां पर पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। फिर वह धार्मिक हो या फिर अन्य किसी तरह का पर्यटन। यही वजह है कि प्रदेश के धार्मिक पयर्टन स्थल ओंकारेश्वर को केन्द्र सरकार ने अपनी प्रसाद योजना में शामिल किया है। इसका फायदा यह हुआ कि ओंकारेश्वर यह केन्द्र देश में सर्वाधिक रोजगार देने वाला देश का पहला धार्मिक पर्यटन केंद्र बन गया है। बताया जा रहा है कि इस शहर में अब तक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष यानि की दोनों रुप में करीब नौ लाख लोगों को रोजगार मिल चुका है। अहम बात यह है कि इसमें अभी भी वृद्धि की संभावनाएं बनी हुई हैं। यहां पर लोगों को रोजगार होटल, परिवहन और विभिन्न तरह के लघु व्यापारों से मिला है। इनमें स्वरोजगार स्थापित करने वाले लोग भी शामिल हैं। गौरतलब है कि यहां पर द्वादश में से एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यही नहीं यह शहर आदि शंकराचार्य की तपो स्थली भी है। आदि शंकर की विशाल प्रतिमा स्थापित होने से इसकेे गौरव में वृद्धि हुई है। दरअसल केन्द्र सरकार द्वारा शुरु की गई प्रसाद योजना में इसे शामिल किया गया है। इसके तहत धार्मिक, ऐतिहासिक व पर्यटन महत्व वाले इस शहर को केंद्र ने तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान का हिस्सा बनाया है। इसके तहत इसके विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा 47 करोड़ रुपए का बजट भी दिया गया है। इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा भी अपने स्तर से इसका विकास किया जा रहा है। इसकी वजह से ही ओंकारेश्वर के स्वरूप में तेजी से बदलाव हो रहा है। इसका असर धार्मिक पर्यटन पर भी पड़ा है। अब पहले से अधिक लोग शहर में आ रहे हैं, जिसकी वजह से तेजी से रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। उद्योग विभाग की माने तो पर्यटकों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि की वजह से कई तरह की वस्तुओं में मांग बड़ी है। इसकी वजह से औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि हो रही है। उधर, इसकेे परिणामों को देखते हुए प्रदेश के दूसरे धार्मिक स्थल अमरकंटक को भी इस योजना में शामिल किया जा चुका है। इस योजना के तहत वहां पर भी लगभग 80 फीसदा काम पूरा हो चुका है, शेष काम भी जल्द ही पूरा होने का अनुमान है। दरअसल अमरकंटक नर्मदा नदी का उद्गम स्थल होने की वजह से ही बड़ा धार्मिक महत्व है। इसकी वजह से यहां पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है।
यह है प्रसाद योजना
इस योजना की शुरुआत केन्द्र सरकार द्वारा करीब नौ साल पहले 2014-15 में शुरु किया गया था। इसे तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान का राष्ट्रीय मिशन नाम दिया गया था। इसका उद्देश्य तीर्थयात्रा और विरासत स्थलों का एकीकृत रुप से विकास करना है। इसके तहत पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के लिए सडक़, रेल और जल परिवहन के माध्यम से जोडऩा, पर्यटन की बुनियादी सुविधा के लिए सूचना केंद्र, एटीएम/मनी एक्सचेंज, पर्यावरण अनुकूल परिवहन के साधन, लाइटिंग और नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत से रोशनी, पार्किंग, पीने का पानी, शौचालय, अमानती सामान घर, प्रतीक्षालय, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, बाजार, कैफेटेरिया विकास और इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ाना है।
ओंकारेश्वर में इस तरह के हुए काम
प्रसाद योजना के तहत शहर में स्काई वॉक पथ बनाया गया है, जिसका उपयोग कर श्रद्धालु एक ही पथ पर चलकर कई धार्मिक मंदिरों में आसानी से पहुंच सकते हैं। इसी तरह से प्रदूषण मुक्ति के लिए कोयला आधारित बिजली पर निर्भरता कम करते हुए सौर ऊर्जा आधारित यूनिटों की स्थापना की गई है। नदी को प्रदूृषण मुक्त रखने के लिए दूषित जल की निकासी का जाल बिछाते हुए धार्मिक केंद्रों के आसपास सडक़ नेटवर्क को मजबूत किया गया है और परिवहन की सुविधाओं में वृद्धि की गई है।
27/01/2024
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