मंत्रियों की तामीरदारी की जुगत में जुटा पुराना स्टाफ

मंत्रियों की तामीरदारी
  • कई कर्मचारी विभाग की जगह दशकों से मंत्री स्टॉफ में ही कर रहे हैं नौकरी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में शिवराज सरकार के मंत्रियों की निजी स्थापना में पदस्थ रहे विशेष सहायकों, ओएसडी की सेवाएं अब उनके मूल विभाग को लौटा दी गई हैं। सीएम डॉ, मोहन यादव की सरकार बनने का फैसला होने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इसके आदेश तीन दिन पहले जारी किए गए हैं। इसके बाद यह माना जा रहा है कि मंत्रियों के यहां पहले पदस्थ रहे ओएसडी, विशेष सहायकों, निज सचिव एवं निज सहायकों को दोबारा किसी मंत्री के वहां पदस्थ नहीं किया जाएगा। पिछली बार मंत्रियों के निजी स्टाफ में रहे अधिकारी एवं कर्मचारी नई सरकार में भी घुसपैठ करने के लिए बेचैन नजर आ रहे हैं। इसके लिए अभी से उन्होंने जोड़ तोड़ और जमावट शुरू कर दी है। जीएडी के मूल विभाग में भेजने के आदेश में जो अधिकारी प्रभावित हुए हैं, उसमें राज्य प्रशासनिक सेवा समेत विभिन्न विभागों के अफसर शामिल हैं। इन अधिकारियों को अब उनके विभागों में लौटाने से नवगठित होने वाले मंत्रिमंडल के सदस्य अपने स्टाफ का चयन कर सकेंगे। मंत्रियों को निजी स्थापना में पदस्थ रहे अफसरों को हटाने के आदेश को लेकर चर्चा इसलिए भी है क्योंकि, ये अधिकारी कर्मचारी शासकीय कार्यों के लेन देन को लेकर विवादों में रहे हैं और इनकी कार्यशैली पर पिछली सरकार में कई बार सवाल भी उठाए जा चुके हैं। बीजेपी संगठन ने कई बार पार्टी की बड़ी बैठकों में मंत्रियों के यहां से मिलने वाली शिकायतों का मामला संगठन के जरिए शिवराज तक पहुंचाया था और तब मंत्रियों को नसीहत भी दी गई थी।
यह अफसर हटाए गए मंत्री बंगलों से
जिन अधिकारियों को मंत्री बंगलों और निजी पदस्थापना से वापसी हुई है, उसमें सामान्य प्रशासन विभाग के दयाकिशन शर्मा, जीवन रजक, सुशील कुमार, आरडी सोलंकी, गुलाब राव बुआई, सुरेश कुमार गुप्ता, एमएल राठौर के अलावा मध्य प्रदेश विधानसभा में पदस्थ आलोक सारस्वत, अजय शंकर श्रीवास्तव, बसंत कुमार बाथरे, शामिल हैं। महिला और बाल विकास विभाग के जिन अफसरों को लौटाया गया है उसमें अक्षय श्रीवास्तव, सत्शुभ्र मिश्रा, संजय सिसोदिया, किसान कल्याण विभाग के डॉ. अजय कौशल, उच्च शिक्षा विभाग के दिलीप राज द्विवेदी, डॉ. विजय कुमार सिंह के नाम भी शामिल हैं। इनके अलावा गृह विभाग के विष्णुकांत समाधिया, नगरीय विकास विभाग के राजेंद्र सिंह सेंगर, पशुपालन विभाग के बीपी गौर व अन्य अधिकारी भी शामिल हैं जिन्हें मूल विभाग में लौटाया गया है।

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