कानून-व्यवस्था का मखौल उड़ा रहे अधिकारी

  • नौकरशाही के बीच सरकार की कार्रवाई का  खौफ नहीं
  • गौरव चौहान
कानून-व्यवस्था

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पद भार संभालते ही अफसरों को संदेश दे दिया था कि प्रदेश में सुशासन को कायम करना है। इसके लिए अफसरों को कानून-व्यवस्था के दायरे में रहकर काम करना होगा। यही नहीं उन्होंने जनता के साथ दुव्र्यवहार करने वाले अफसरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई भी की। लेकिन हैरानी की बात है कि मुख्यमंत्री की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद भी अफसर कानून-व्यवस्था का मखौल उड़ा रहे हैं। ऐसा लगता है नौकरशाही के बीच सरकार के दंड का खौफ नहीं है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से उम्मीद है कि वह इस पर शीघ्र ही कारवाई करेंगे। कारण प्रशासन में संवेदनशीलता उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता प्रारंभ से है। गौरतलब है कि प्रदेश में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपने अधिकारों के दुरुपयोग के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर मामलों में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। अगर कार्रवाई होती भी है, तो वह सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित रहती है। ऐसे में नौकरशाही के बीच सरकार के दंड का खौफ दिखाई नहीं दे रहा है। पिछले दिनों कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें अपहरण की घटनाओं से लेकर, मारपीट, दुव्र्यवहार जैसे प्रकरणों में अधिकारियों की भूमिका सामने आई है। ज्यादातर मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अधिकारियों की इस तरह की कार्यप्रणाली को लेकर शुरू में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सख्ती दिखाई थी। तभी ट्रक हड़ताल के दौरान चालक को औकात दिखाने वाले जिलाधीश किशोर कान्याल को तत्काल कलेक्टर पद से हटा दिया था। इस तरह के अन्य मामलों में भी अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी, लेकिन अब ऐसे मामलों में पहले जैसी कार्रवाई नहीं हो रही है। यही वजह है कि सिंगरौली में जनसुनवाई कार्यक्रम से महिला को घसीटकर बाहर करने के मामले में किसी पर कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि जनसुनवाई के दौरान जिले के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
अफसरों की अराजकता के और नमूने
मुरैना में एसडीएम अरविंद माहौर ने गार्ड विकास शर्मा को सिर्फ इसलिए धमकाया कि उसने गाड़ी पार्क नहीं होने दी। एसडीएम ने लात मारकर गार्ड का मोबाइल भी तोड़ दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ। एसडीएम उस समय मुरैना के तत्कालीन जिपं सीईओ इच्छित गढ़पाले की विदाई पार्टी में शामिल होने गए थे। सिंगरौली जिले में पिछली जनसुनवाई के दौरान जिलाधीश कार्यालय में अपनी फरियाद लेकर आई महिला को सुरक्षाकर्मियों ने घसीटकर बाहर निकाला था। बताया गया कि महिला लंबे समय से प्रशासन के सामने अपनी गुहार लगा रही थी। जनसुनवाई के दौरान अधिकारी महिला के व्यवहार से इस तरह से खफा हो गए थे कि उसे पुलिस से बलपूर्वक घसीटकर बाहर निकलवाया था। इस घटना के वीडियो भी सामने आए थे। इस दौरान जिले के प्रमुख अधिकारी मौजूद थे। खास बात यह है कि इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सीधी जिले के चुरहट थाना क्षेत्र के मिसिरगंवा गांव में पिछले दिनों थाना प्रभारी की गुंडई का वीडियो सामने आया। दरअसल, पीएचई के कर्मचारी गणपति पटले 31 जनवरी को विभाग से सेवानिवृत्त होकर घर आ रहे थे। उनकी विदाई पार्टी में बेटे ने डीजे का बंदोबस्त किया था। जैसे ही डीजे पुलिस कॉलोनी में पहुंचा। थानेदार की नींद खराब हो गई। थानेदार पुष्पेंद्र मिश्रा ने न सिर्फ अभद्र भाषा का प्रयोग किया, बल्कि पुलिस की गाड़ी से पटले को थाने भिजवा दिया और प्रकरण भी लाद दिया। हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया गया। नीमच में दो दिन पहले बड़ा मामला सामने आया है। जिसमें बेटमा तहसीलदार जगदीश रंधावा ने फिल्मी स्टाइल में जपं सीईओ आकाश धारवे का अपहरण कर लिया। इस घटना में तहसीलदार का साथ देने वाले भी सरकारी नुमाइंदे थे। यानी 5 पटवारियों ने तहसीदार का साथ दिया था। दो जिलों की पुलिस ने घेराबंदी कर उन्हें पकड़ा था। चूंकि मामला मंत्रालय तक पहुंच गया, इसलिए पुलिस ने फिलहाल तहसीलदार समेत पटवारियों पर प्रकरण दर्ज कर लिया है। कुछ महीने पहले उमरिया जिले के बांधवगढ़ में एक मामला सामने आया था। यहां गाड़ी को ओवरटेक करने पर एसडीएम अमित सिंह ने 2 युवकों को पिटवाया था। साथ ही खुद भी मारपीट की। इस घटना का वीडियो सामने आया तो सरकार ने एसडीएम को निलंबित भी कर दिया था। हालांकि बाद में एसडीएम की फिर से काम पर बहाली हो गई।
आईएएस ने विधायक के घर में घुसकर की मारपीट
 प्रदेश में नौकरशाही कितनी बेलगाम हो चुकी है, इसका एक और ताजा मामला सामने आया है। मंडला में पदस्थ प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी आकिप खान द्वारा कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा के घर में घुसकर मारपीट करने का मामला सामने आया है। अधिकारी पर अरोप हैं कि उन्होंने विधायक की मां को धक्का दिया। साथ ही भाई की कॉलर पकड़ ली। अधिकारी की इस गुंडई से गांव के लोग भडक़ गए और विरोध किया। विरोध बढ़ता देख अधिकारी की हेकड़ी निकल गई और घटना के लिए हाथ जोडक़र माफी मांगी है। इस संबंध में बिछिया से कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा का कहना है कि गांव में एक लडक़ा गौशाला की भराई के लिए जेसीबी से मिट्टी की खुदाई कर रहा था। उसी समय बिछिया एसडीएम आकिप खान (आईएएस) पहुंचे, जिनको देखकर वह भागने लगा। वह भागकर हमारे पुराने घर में घुसा। इसके पीछे एसडीएम भी दौड़ते हुए आ गए और घर में घुसकर उस लडक़े के साथ मारपीट करने लगे। इसी दौरान मेरी वृद्ध मां और बहू को भी धक्का लगा। एक जिम्मेदार अधिकारी को ऐसा नहीं करना चाहिए। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए।

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