निजी स्कूलों की मनमानी के सामने अफसर पस्त

स्कूलों की मनमानी
  • मप्र में फीस अधिनियम का नहीं हो रहा पालन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जबलपुर में कलेक्टर और जिला प्रशासन की सख्ती के बाद प्रदेशभर में निजी स्कूलों पर नकेल कसने की तैयारी हो रही है। लेकिन यह कार्रवाई कितनी हो पाएगी  कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी के आगे अफसर पस्त हो जाते हैं।  निजी स्कूलों के खिलाफ फीस वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए फीस अधिनियम 25 जनवरी 2018 में लागू किया गया। इसके बाद दो दिसंबर 2020 को नियम बना गए, लेकिन मप्र में साढ़े तीन साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। मप्र पालक महासंघ के महासचिव प्रबोध पंड्या का कहना है कि फीस अधिनियम को लेकर राज्य शासन का यह आदेश अधिनियम को कमजोर करने और निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने के लिए जारी किया है। फर्जी पुस्तक चलाने पर सिर्फ प्रकाशकों और विक्रेता पर ही कार्रवाई होगी। इसमें निजी स्कूलों को बचाया गया है। जानकारी के अनुसार अधिकारियों की अनदेखी के कारण कई जिलों में अब तक अधिनियम का पालन नहीं हो पा रहा है। सही वजह है कि प्रदेश भर से निजी स्कूलों के खिलाफ 86 शिकायतें ही मिली हैं। इनमें भी 12 पर ही कार्रवाई की गई। इसमें सर्वाधिक  जबलपुर जिले के निजी स्कूलों पर कार्रवाई की गई है। वहां जिला प्रशासन ने 11 निजी स्कूलों पर 81.06 करोड़ रुपये का अर्थदंड लगाया है। इसके बाद कटनी के एक निजी स्कूल पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। फीस अधिनियम के मुताबिक जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जानी है। इस समिति की अनुमति के बिना कोई भी निजी स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकते हैं, लेकिन राजधानी में ऐसी कोई समिति गठित ही नहीं की गई है।यहां तक कि स्कूल शिक्षा विभाग ने 31 मार्च तक स्कूलों से फीस सहित कापी-किताब और पाठ्यक्रमों की जानकारी मांगी , लेकिन 321 में से सिर्फ 52 स्कूलों ने आधी-अधूरी जानकारी दी , जबकि इस सत्र में भी करीब छह से सात बड़े स्कूलों ने फीस में वृद्धि की है। इतना ही नहीं हर साल निजी स्कूलों व बुक डिपो  की सांठगांठ के मामले सामने आते है।शिकायत के बावजूद भी डीईओ ने एक भी स्कूल पर कोई कार्रवाई नहीं की।
 भोपाल में सबसे अधिक लापरवाही
निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ भोपाल में सर्वाधिक लापरवाही मिली है।   भोपाल जिले के 35 निजी स्कूलों की शिकायत जिला प्रशासन को मिली है, लेकिन अब तक एक पर भी कार्रवाई नहीं की है । हालांकि भोपाल में  निजी स्कूलों के निरीक्षण के लिए दल गठित कर दिए हैं। बता दें, कि इस साल अप्रैल में सीएम  डा. मोहन यादव के निर्देश पर भोपाल कलेक्टर ने एमपी नगर स्थित बुक्स एंड बुक्स और न्यू स्नेह बुक सेंटर पर छापा मारा था, लेकिन कार्रवाई एक ही दुकान पर हुई।  जानकारी के अनुसार भोपाल में 35, उज्जैन में 13, जबलपुर में 11,रीवा में पांच,नर्मदापुरम में चार, सागर व ग्वालियर में तीन-तीन व शहडोल में एक स्कूल के खिलाफ शिकायत मिली है।सभी स्कूलों के खिलाफ फीस वृद्धि को लेकर शिकायतें मिली हैं, लेकिन अब तक सिर्फ कारण बताओ नोटिस ही  किया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग से जारी आदेश के बाद कलेक्टर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने एसडीएम की निगरानी में आठ निरीक्षण दल गठित किए है। यह दल स्कूलों में चल रही फर्जी आईएसबीएन नंबर की किताबों, स्कूलों द्वारा विशेष दुकानों से किताबों व अन्य सामग्री के लिए बाध्य किया जाना समेत स्कूलों में पिछले सात साल से ली जा रही फीस की जांच करेगा।इसमें सत्र 2018-19 से 2024-25 तक के फीस की जांच होगी। भोपाल के निजी स्कूलों में मनमानी फीस वसूलने के साथ अभिभावकों को तय दुकान से किताबें और गणवेश लेने के लिए मजबूर करने की ढेरों शिकायतें हैं, जिसे लेकर अप्रैल माह में जांच भी की गई थी।
 फीस में बढ़ोतरी का आठ जून तक मांगा ब्यौरा
प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों की फीस तथा अन्य विषयों की जानकारी पोर्टल पर आगामी 8 जून तक अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने सभी कलेक्टर्स को अभियान चलाकर निजी स्कूलों में अनियमिताओं को चिन्हांकित करने के निर्देश दिए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने भी  कलेक्टर्स को दिए निर्देशों में साफ कहा है कि कुछ स्कूलों ने फर्जी व डुप्लीकेट आईएसबीएन पाठ्य पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। अभियान में अनियमितताएं चिन्हित होने पर संबंधित प्रकाशक एवं बुक सेलर्स के खिलाफ कार्रवाई भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। 

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