चपरासी का पद नाम कार्यालय सहायक नहीं कर पाए अफसर

एक दशक बाद भी सरकार के निर्देशों का पालन नहीं

कर्मचारियों

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का भृत्य, चपरासी का नाम परिवर्तित कर कार्यालय सहायक किए जाने की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 10 साल पहले की थी। लेकिन विडंबना यह है कि अधिकारी अभी तक चपरासी का पद नाम कार्यालय सहायक नहीं कर पाए। जानकारों का कहना है कि बिना वित्तीय भार वाले काम करने में अधिकारियों की रूचि कम होती है। इस कारण यह मामला पिछले एक दशक से लटका हुआ है। मप्र कर्मचारी कांग्रेस के संरक्षक वीरेन्द्र खोंगल का कहना है कि दिवंगत कर्मचारी नेता स्वर्गीय देवीप्रसाद शर्मा की मांग पर सभी संघों की मौजूदगी में यह घोषणा हुई थी कि चपरासी शब्द का विलोपन कर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को कार्यालय सहायक का दर्जा मिलेगा, फिर भी उपेक्षा हो रही है। वर्ष 2014 में पूर्व सीएम ने शिवराज ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान अपने ही आवास पर यह घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि चपरासी शब्द का विलोपन करते हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को कार्यालय सहायक का दर्जा दिया जाएगा। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी बाकायदा सम्मान मिलना चाहिए।
क्योंकि अन्य कर्मचारियों की तरह वह भी सरकार के खजाने से वेतन पाते हैं। मप्रलघु वेतन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष महेन्द्र शर्मा का कहना है कि कर्मचारी संगठनों से चर्चा के दौरान ही पूर्व सीएम ने अपने आवास पर यह घोषणा की थी। इस पर शासन का कोई विाीय भार भी नहीं आ रहा है। फिर भी अफसरों ने इस घोषणा से संबंधित कोई आदेश जारी नहीं किए हैं।

फाइलों में दब गया मामला
जानकारी के अनुसार विभागों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर होने वाले चपरासी शब्द का विलोपन फाइलों में दब गया है। जबकि दस साल पहले पूर्व सीएम ने ही यह घोषणा की थी। तब कहा था कि इन्हें कार्यालय सहायक नाम का दर्जा दिया जाएगा। यह ऐसी मांग है जिस पर सरकार का कोई विाीय भार भी नहीं आ रहा है। उसके बाद भी अधिकारियों की इसमें कोई रुचि नहीं दिख रही है। जबकि इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग को सिर्फ एक आदेश जारी करना है। कर्मचारी संगठन भी इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव और मंत्री को पत्र लिख चुके हैं। मौखिक रूप से मुलाकात हुई है। उसके बाद भी आज तक आदेश जारी नहीं किया गया है।

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