
- मैदानी स्तर की जाएगी समीक्षा
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अफसरों द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए एक से अधिक सरकारी लग्जरी वाहनों के काफिले का उपयोग मनमर्जी से किया जाता है। इससे जहां सरकार को राजस्व का नुकसान होती है , वहीं कई अधीनस्थ अफसरों को वाहनों के लिए परेशान होना पड़ता है। दरअसल आला अफसरों के पास कई-कई विभागों का प्रभार होता है। ऐसे में यह अफसर सभी विभागों का एक-एक वाहन अपने पास तैनात करा लेते हैं। एक वाहन का तो वे खुद उपयोग करते हैं, जबकि अन्य वाहनों का उपयोग घरेलू तौर पर किया जाता है, जिसमें पत्नी और बच्चे शामिल होते हैं। इन वाहनों से खरीदारी करने से लेकर अन्य कामों के दौरान उपयोग किया जाता है। यही वजह है कि अब सरकार अफसरों की इस मनमानी पर सख्ती से लगाम लगाने जा रही है। इसके लिए मैदानी अफसरों के पस मौजूद वाहनों की समीक्षा की जाएगी। यही वजह है कि इसके लिए अब सरकार ने नए सिरे से गाइडलाइन जारी की है। नियमों के पालन को लिखा है। अफसरों के टैक्सी कोटे से गाड़ी लेने व पेट्रोल-डीजल के भुगतान के मापदंड तय हैं। लेकिन अफसर इसमें सेंध लगा रहे हैं। एक से अधिक पद के प्रभार में रहने वाले अफसर एक से अधिक गाडिय़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे मनमर्जी से पेट्रोल-डीजल के भुगतान कर रहे हैं। जल संसाधन और नर्मदा घाटी विकास निगम की नियमों के उल्लंघन की बहुतायत में शिकायतें मिली हैं। अब जल संसाधन इस पर संभाग स्तरीय समीक्षा करेगा। सामान्य प्रशासन के नियमों के तहत ही गाडियां किराए पर लेकर इस्तेमाल की जाएंगी।
यह गाइडलाइन
10 फरवरी 2025 को सभी मुख्य अभियंता, कार्यपालन-सहायक व प्रभारी यंत्री, कछार प्रभार, जोन प्रभारी, संभागीय प्रभारी सहित मैदानी अफसरों को गाडिय़ों के लिए गाइडलाइन भेजी है। उन्हें हर संभाग में समीक्षा को कहा है। मैदानी अफसरों को निर्देश हैं कि टैक्सी कोटे से जो गाड़ी ली जाएगी, उसका मालिक प्रथम या द्वितीय श्रेणी के अफसर का रिश्तेदार नहीं होगा। ऐसा हुआ तो भुगतान से दोगुनी राशि वसूली जाएगी। स्कार्पियो-बोलेरो नहीं ली जाएगी। वरिष्ठता के हिसाब से गाड़ी ली जाएगी। चालक राजनीतिक दल का सदस्य नहीं होगा, किराये की गाड़ी सरकारी अफसर या ड्राइवर नहीं चलाएंगे।
विभागों में मनमानी
अधिकतर विभागों में किराए पर गाड़ी लेने में मनमानी हो रही है। ग्रामीण विकास में मनरेगा के तहत भी ऐसे मामले आए थे। अब जल संसाधन व नर्मदा घाटी विकास में शिकायतें आई हैं। बता दें, शासन ने अगस्त 2018, दिसंबर 2017, दिसंबर 2013, अक्टूबर 2011 में ज्यादा गाडिय़ों के उपयोग पर गाइडलाइन तय की है।