भावी ‘प्रशासनिक मुखिया’ को साधने में जुटे अफसर

प्रशासनिक मुखिया

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र का अगला प्रशासनिक मुखिया कौन होगा, यह तो 30 नवंबर के बाद ही पता चलेगा। लेकिन मुख्य सचिव बनने की कतार में जो अफसर हैं, उनको साधने के लिए अफसर जुट गए हैं। हालांकि अभी मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को सेवावृद्धि मिलेगी या वरिष्ठता के आधार पर नए मुख्य सचिव की नियुक्ति की जाएगी, इस पर निर्णय एक-दो दिन में संभावित है। तीन दिसंबर को मप्र विधानसभा चुनाव की मतगणना होनी है, इसलिए निर्णय चुनाव आयोग की सहमति से होगा। गौरतलब है कि शिवराज सरकार की मेहरबानी से प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को छह-छह माह करके दो बार सेवावृद्धि मिल चुकी है। 30 नवंबर को सेवावृद्धि की अवधि समाप्त हो रही है। इससे पूर्व ही नए मुख्य सचिव को लेकर निर्णय किया जाना है। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावी होने के कारण चुनाव आयोग की सहमति से ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। बैंस को सेवावृद्धि देने या वरिष्ठता के अनुसार किसी अन्य अधिकारी को मुख्य सचिव का प्रभार देने का निर्णय होना है। यदि सेवावृद्धि नहीं दी जाती है तो, प्रदेश में उपलब्ध 1988 बैच की अधिकारी वीरा राणा, 1989 बैच के मोहम्मद सुलेमान और विनोद कुमार में से किसी एक का चयन किया जा सकता है। नया मुख्य सचिव कौन होगा, यह तो 28 या 29 नवम्बर को पता चलेगा, लेकिन मुख्य सचिव के संभावित दावेदारों के कमरे में अधिकारियों की भीड़ लगना शुरू हो गया है। संभावित दावेदारों से आला अधिकारी दिवाली ग्रीटिंग लेकर मिलने पहुंच रहे हैं। अचानक अधिकारियों की आवाजाही से खुद कुछ आला अधिकारी हतप्रभ हैं। इसका कारण यह है कि यदि इकबाल सिंह बैंस को तीसरी बार सेवावृद्धि नहीं मिलती तो, आचार संहिता के दौरान चुनाव आयोग की अनुमति से सबसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वीरा राणा को मुख्य सचिव का प्रभार दिया जा सकता है।
नए सीएम की पसंद का होगा नया सीएस
तीन दिसम्बर को चुनाव परिणाम आने के बाद नई सरकार का गठन होगा। नई सरकार गठन के बाद नए मुख्यमंत्री यह तय करेंगे कि प्रदेश का अगला मुख्य सचिव कौन होगा। इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि नए मुख्यमंत्री वीरा राणा को अगले तीन माह तक मुख्य सचिव के पद पर बनाए रखें। मुख्य सचिव कौन होगा यह नए मुख्यमंत्री पर निर्भर करेगा, क्योंकि यह पूरी तरह से मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। मुख्यसचिव के लिए डीजीपी की तरह केन्द्र सरकार को तीन नामों का पैनल भेजने की आवश्यकता नहीं होती है।
यह हैं वरिष्ठ  अधिकारी
सीएस इकबाल सिंह बैंस के बाद वरिष्ठों में 1987 बैच के आईएएस अधिकारी अजय तिर्की, 1988 बैच के संजय बंधोपाध्याय और 1988 बैच की आईएएस वीरा राणा हैं। इसमें से अजय तिर्की और संजय बंधोपाध्याय केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। राणा के बाद 1989 बैच के आईएएस अधिकारी अनुराग जैन आते हैं। वे भी अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। आशीष उपाध्याय, 1989 बैच के अफसर हैं। सितंबर 2024 में वो रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में इन्हें शॉर्ट टर्म मुख्य सचिव के तौर पर देखा जा रहा है। इसके बाद मोहम्मद सुलेमान का नंबर आता है। वहीं सीएस बनने की कतार में 1990 बैच के मलय श्रीवास्तव कमलनाथ के करीबी अफसरों में गिने जाते हैं। अगर कांग्रेस सरकार आई तो इनकी दावेदारी सबसे ज्यादा मजबूत है। अभी वो लूप लाइन में हैं।
तीन नामों का पैनल भेजेगी
मुख्य सचिव बैंस के कार्यकाल के अब मात्र छह दिन बचे है। लेकिन राज्य सरकार द्वारा निर्णय न लिए जाने के कारण अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस बीच चर्चा है कि चुनाव आचार संहिता के कारण मुख्य सचिव के लिए तीन नामों का पैनल राज्य सरकार ने तैयार कर लिया है। इसमें वरिष्ठता के आधार पर भारतीय प्रशासनिक सेवा की 1988 वैच की अधिकारी श्रीमती वीरा राणा अध्यक्ष माध्यमिक शिक्षा मंडल तथा 1989 बैच के मोहम्मद सुलेमान अपर मुख्य सचिव लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण तथा विनोद कुमार अपर मुख्यसचिव सामान्य प्रशासन के नाम शामिल हैं। अति विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार आज नामों का पैनल चुनाव आयोग को भेज देगा। आयोग 29 नवम्बर से पहले पैनल में किसी नाम पर अपनी सहमति दे देगा। इसके बाद राज्य सरकार नए मुख्य सचिव का आदेश जारी करेगी। मोहम्मद सुलेमान से वरिष्ठ तीन और अधिकारी संजय बंदोपाध्याय, अजय तिर्की और अनुराग जैन प्रतिनियुक्ति पर भारत सरकार में पदस्थ है। इस वजह से उनके नाम पैनल में नहीं रखे गए हैं। उनके नाम शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति जरूरी है।

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