- लीपापोती करने में लगा पूरा प्रशासन, मुख्यमंत्री से की शिकायत
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना जैसे आपदाकाल को भी अफसरों ने अपने लिए अवसर बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। कमाल तो यह है कि धनपिपासु हो चुके सरकारी अमले ने इस दौरान मरीजों के भोजन के नाम पर खर्च की गई राशि को भी हजम करने का मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इन अफसरों ने मरीजों को बामुश्किल खिलाया तो रुखा सूखा भोजन और बिल लगा दिए काजू, किशमिश, बादाम और फलों के। इस मामले का खुलासा होने पर अब इसकी शिकायतों का दौर शुरू हो गया है।
खास बात यह है कि इस मामले में पूरी तरह से स्थानीय प्रशासन लीपापोती करने में लग गया है। जिससे परेशान होकर अब मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर प्रशासन स्तर पर भी कर दी गई है। दरअसल कोरोना काल में प्रदेश सरकार द्वारा होशंगाबाद जिलों को भी स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए कोरोना मरीजों के इलाज और उनके भोजन के लिए अतिरिक्त रुप से भारी भरकम राशि का आवंटन दिया गया था। इस राशि का उपयोग दवा, भोजन, उपकरण सहित अन्य सामग्री खरीदी में किया जाना था। अधिकांश सामुदायिक स्वास्थ्य केन्दों के अलावा जिला मुख्यालय पर भी इसमें से बड़ी रकम खर्च की गई। लेकिन यह राशि किस मद में खर्च की गई है यह किसी को पता नहीं। इस दौरान जिले के बाबई, सोहागपुर, इटारसी, बनखेड़ी, पिपरिया, केसला, सुखतवा, सिवनी मालवा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कोविड केयर सेंटर बनाए गए थे। इन सभी केयर सेन्टर पर भर्ती मरीजों को दवा के अलावा भोजन, नाश्ता, चाय आदि की व्यवस्था भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से की गई थी। दरअसल इन सभी केन्द्रों पर मरीजों के भोजन पर खर्च की गई राशि के नाम पर जो बिल लगाए गए हैं उन्हें देखकर अफसर भी हतप्रभ रह गए हैं। इन अफसरों ने मरीजों को खाना, चाय, नाश्ता सहित जरूरतमंद चीजों की व्यवस्था के निर्देश दिये थे, लेकिन अब जो बिल लगाए गए हैं उनमें मरीजों के भोजन के नाम पर काजू, बादाम, किशमिश, सेब, केला, मौसमी फलों के बिल लगा दिए गए हैं। भर्ती मरीजों तक जगब इसकी खबर गई तो वे भी हैरान रह गए हैं। यही नहीं जो बिल लगाए गए हैं उनमें न तो दुकानों का टिन नंबर है और न ही बिल देने वाले का सही पता। इस मामले की शिकायत के बाद भी स्थानीय प्रशासन गंभीरता नहीं दिखा रहा है। खास बात यह है कि इन बिलों का जल्द भुगतान करने के लिए संभाग के एक बड़े अफसर भी प्रयासों में लगे हुए हैं।
पांच सदस्यीय कमेटी भी बन रही अनजान
जिले में कोरोना काल में खर्च की गई राशि और उसके हिसाब-किताब से लेकर मॉनिटरिंग के लिए पांच अफसरों की एक टीम बनाई गई थी। जिसमें डिप्टी कलेक्टर, सहायक आयुक्त आदिवासी, जिला कोषालय अधिकारी व अन्य अफसरों को रखा गया है। इस कमेटी को ही खरीदी गई सामग्री की गुणवत्ता और मरीजों के खान-पान की व्यवस्था के अलावा आर्थिक व्यय का लेखा-जोखा देखने का भी जिम्मा दिया गया है। इस टीम की नजर भी पेश किए गए फर्जी बिलों पर नहीं पड़ रही है। फिलहाल इस पूरे मामले की शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित स्वास्थ्य मंत्री सहित केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से की गई है।
जिला अस्पताल में सर्वाधिक गड़बड़झाला
कोविड काल में मरीजों को भोजन वितरण में सबसे पहले जिला अस्पताल में गड़बड़ी पहले भी सामने आ चुकी है। इस मामले में कुछ अधिकारियों द्वारा मनमाने ढंग से भोजन के फर्जी बिल लगाये गए थे, मामला सुर्खियों में आने के बाद आनन-फानन में जांच के नाम पर लीपापोती करके मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। पहली लहर के मामले में कोई कार्रवाई न होने की वजह से अब दूसरी लहर में तो समूचे जिले में स्वास्थ्य कर्मियों ने भोजन के नाम पर घोटाला को अंजाम दे डाला।
21/08/2021
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