अमृत सरोवर योजना में नहीं है अफसरों की रुचि

अमृत सरोवर योजना

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के अफसरों की कार्यशैली ऐसी है कि कभी भी कोई भी विकास का काम समय पर पूरा नहीं होता है, जिसकी वजह से न केवल सरकारी ,खजाने पर आर्थिक भार बढ़ जाता है , बल्कि अमजन को भी मिलने वाली सुविधा का लंबा इंतजार करना पड़ता है। ऐसा ही मामला है अमृत सरोवर योजना का। जिसकी वजह से प्रदेश में इस योजना के तहत बनाए जाने वाले 7442 वाले जलाशयों में से 3433 पर तो काम ही शुरु नहीं किया गया है। अब चंद दिनों बाद मानसून दस्तक दे देगा, जिससे इन पर काम होना संभव नही है।
इसकी वजह से एक बार फिर से प्रदेश में अमृत सरोवरों के कामों पर पूरी तरह से ब्रेक लगना तय है। प्रदेश में यह हाल तब हैं, जबकि यह योजना केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना में पहले से ही प्रदेश पीछे चल रहा है। योजना के हाल इससे ही समझे जा सकते हैं कि प्रदेश में  चिन्हित 7442 जलाशयों में बीते एक साल में सिर्फ 4019 का ही काम पूरा हो पाया है। इन 7 हजार 442 अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए जगह चिन्हित करने और उनके लिए  7 हजार 581 करोड़ 80 लाख रुपए का बजट भी रखा गया र्है।  दरअसल प्रदेश के हर जिले में औसतन योजना के तहत 100 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। इसकी वजह है इनसे कई उद्देश्यों की पूर्ति हो सकती है। जल संरक्षण के लिए प्रदेशव्यापी अभियान के तहत निर्मित यह सरोवर सिंचाई, मत्स्य पालन, सिंघाड़ा उत्पादन के साथ धार्मिक व पर्यटन के प्रायोजनों को भी पूरा करते हैं। इसका निर्माण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत किया जा रहा है। इसके बाद भी प्रदेश के कई जिलों में पचास अमृत सरोवर भी नहीं बन सके हैं। अगर जिलों की स्थिति देखें तो  टीकमगढ़ 51, शाजापुर 56, शहडोल 76, राजगढ़ 58, रायसेन 63, नरसिंहपुर 31, रायसेन 63, होशंगाबाद 67, हरदा 43, छतरपुर 65 अमृत सरोवर ही बन पाए है। हालांकि इस मामले में छिंदवाड़ा में सबसे अच्छा काम हुआ है।  छिंदवाड़ा में सर्वाधिक 198 अमृत सरोवरों का निर्माण पूरा किया गया है। इस मामले में दूसरा नंबर मुरैना जिले का है जहां पर 148 , तीसरे नंबर है भिंड  है, जहां पर 121 जल संरचनाओं को अमृत सरोवर में बदला गया है, जबकि बैतूल में 106 योजनाएं पूरी की जा चुकी हैं।
हर जिले को चार करोड़ का बजट
केंद्र सरकार की अमृत सरोवर योजना से प्रत्येक जिले में 100 तालाब बनाए जा रहे हैं। इसके लिए प्रत्येक जिले में लगभग चार करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया। इस हिसाब से एक तालाब पर करीब 4 लाख रुपये खर्च होंगे। योजना के विस्तार तथा उद्देश्य के मद्देनजर राशि को बहुत कम माना गया है। इसको देखते हुए गांवों में जनभागीदारी से राशि एकत्र करने के भी प्रयास किये जा रहे हैं।

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