- नियमानुसार हर तीन माह का है नियम
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के अफसरों को अपने ही मातहत कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण में कोई रुचि नहीं है। शायद यही वजह है कि वे सालों से परामर्शदात्री समितियों की बैठक ही नहीं कर रहे हैं। इसकी वजह से उनके मातहत कर्मचरियों की समस्याओं का निराकरण नही हो पा रहा है। इस मामले में यह अफसर सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों का पालन भी नहीं कर रहे हैं। जीएडी के स्पष्ट आदेश हैं कि हर तीन माह में यह बैठक विभाग प्रमुख से लेकर एसडीएम स्तर तक की जानी चाहिए। चौकानें वाली बात तो यह है कि कई विभाग तो ऐसे हैं, जहां एक दशक से इस समिति की कोई बैइक नही हुई है।
यही वजह है कि इस समिति की बैठक के लिए कर्मचरियों को खुद याद दिलानी पड़ रही है। बीते सप्ताह में पांच मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघ इस समिति की बैठक के लिए जीएडी को पत्र लिखकर नियमानुसार समिति की बैठकें आयोजित करने का आग्रह कर चुके हैं। इन पत्रों में कर्मचारी संगठनों ने बैठकों के नहीं होने के नुकसान का भी उल्लेख किया है। कर्मचारियों ने स्वयं जीएडी को स्मरण कराया कि उसी के द्वारा लिखे गये पत्रों को विभागों के प्रमुख सचिव और कलेक्टर मानने को तैयार नहीं हैं, जिससे मांगों का दायरा बढ़ रहा है। नियमानुसार हर तीन माह में परमार्शदात्री समिति की बैठक बुलाने का प्रावधान है। राज्य स्तर पर प्रमुख सचिव, संभाग में कमिश्नर, जिला में कलेक्टर और ब्लाक में अनुविभागीय अधिकारी यह मीटिंग आयोजित करेगा। इसमें जितने भी मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघ है, उनमें अध्यक्ष एवं सचिव को आमंत्रित किया जाता है ताकि संगठनों के प्रतिनिधि विभिन्न कैडर की लंबित मांगों को अधिकारियों के समक्ष रख सकें। सिस्टम यह भी रहा है। कि जो अधिकारी स्तर के विवेकाधिकार की समस्याएं है, वह स्थानीय स्तर पर सुलझती रही है, जबकि जो इनके कार्य क्षेत्र से बाहर हैं, वह अनुमोदित होकर शासन तक आती रही है।
यह संगठन लिख चुके हैं पत्र
परामर्शदात्री समितियों की बैठकें आयोजित नहीं होने के कारण कर्मचारी संघों ने सरकार पर दबाव बनाया है। गुरुवार को आईटीआई कर्मचारी संघ ने सामान्य प्रशासन को पत्र लिखा है। तीन दिन पहले अजाक्स, लिपिक वर्ग, शिक्षक कांग्रेस और राज्य कर्मचारी जैसे प्रमुख संघों ने शासन को पत्र लिखे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि विभाग प्रमुख सचिवों को भी व्यक्तिगत तौर पर पत्र दिए जा रहे है, लेकिन सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ रहे है।
हर विभाग में लंबित हैं बैठकें
शासन के हर विभाग में परामर्शदात्री समितियों की बैठकें लंबित पड़ी है। जनजातीय कार्य, ऊर्जा, वन, तकनीकी शिक्षा, उच्च शिक्षा, आयुष, स्कूल शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य परिवार, कृषि कल्याण, मत्स्य, आर्थिक सांख्यिकी, लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, ग्रामीण यांत्रिकी जैसे विभागों में राज्य से लेकर ब्लॉक स्तर तक की बैठकें दस साल से नहीं हुई है। अगर राज्य स्तर पर कोई बैठक हो भी रही है तो संभाग, जिला और ब्लॉक में यह प्रक्रिया ठप पड़ी है।
इनका कहना
मांगो का दायरा निरंतर बढ़ रहा है। हमने फिर शासन को पत्र लिखा है। परामर्शदात्री समिति की बैठकें नहीं होने के कारण मांगें लंबित है और कर्मचारी आंदोलित हो रहे हैं।
अनिल शर्मा, प्रांताध्यक्ष, मप्र आईटीआई कर्मचारी संघ
साल में चार पत्र शासन को लिखे जा चुके हैं, लेकिन राज्य से लेकर जिला और ब्लॉक स्तर की बैठकें दस साल से नहीं हुई हैं। सरकार को सख्ती दिखानी होगी।
घनश्याम भकौरिया, अध्यक्ष अजाक्स, मंत्रालय इकाई 3
विभागों में वर्ष में चार बैठकें करने का प्रावधान है। जीएडी के पत्रों पर भी विभाग प्रमुखों से लेकर कमिश्नर और कलेक्टर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। इससे दिक्कत बढ़ रही है।
मुकेश चतुर्वेदी, कार्यकारी अध्यक्ष, मप्र लिपिक वर्गीय शा. कर्मचारी संघ