डॉ. मोहन के निर्देश…एक्शन में अफसर

  • गौरव चौहान
मोहन यादव

83 दिन के चुनावी ब्रेक के बाद मप्र सरकार मिशन मोड में आ गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रियों और अधिकारियों को टारगेट बेस काम करने का निर्देश दिया है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि 100 दिन का विजन तैयार करें। इस विजन में यह बताना होगा कि विभाग में क्या-क्या नया काम करना है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अधिकारी अपने-अपने विभाग की 100 दिनी कार्य योजना बनाने में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सरकार के कामकाज में गति लाने और आने वाले दिनों में अपने विजन को पूरा करने के लिए सीएम सचिवालय में भी नई अधिकारियों की पदस्थापना की है। सीएम सचिवालय में डॉ. राजेश राजौरा को अपर मुख्य सचिव और संजय शुक्ला को प्रमुख सचिव पदस्थ किया गया है। सूत्रों का कहना ना है कि जल्द द ही सीएम सचिवालय में पदस्थ कुछ अधिकारियों को अन्य विभागों में भेजा जा सकता है। इसके अलावा कुछ अपर मुख्य सचिवों और प्रमुख सचिवों के विभाग भी जल्द बदले जा सकते हैं। कामकाज को लेकर मिले फीडबैक के आधार पर एसीएस, पीएस की पोस्टिंग की जाएगी। जिलों में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षको के भी स्थानांतरण जल्द होंगे।गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण करीब ढाई महिने तक सरकारी कामकाज लगभग ठप पड़ा रहा। ऐसे में अब आचार संहिता हटते ही मुख्यमंत्री की कोशिश है कि आगामी तीन महिने के दौरान इस तेजी से काम किया जाए कि 83 दिन के काम की भी भरपाई हो जाए। इसलिए लोकसभा चुनाव निपटते ही मप्र सरकार एक्टिव मोड में आ गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रियों, अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिवों की बैठक में अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। बैठक में सबसे पहले उन्होंने अधिकारियों से छह महीने के कामकाज का फीडबैक लिया। फिर उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपना 100 दिन का विजन बताएं, वे बताएं कि इस अवधि में अपने विभाग में क्या नया करेंगे? फिर उन्होंने अधिकारियों से आगामी दो साल और साढ़े चार साल के रोडमैप पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारी बताएं कि साढ़े चार साल बाद जब हम चुनाव में जनता के बीच जाएंगे, तो हम लोगों को क्या बताएंगे की सरकार ने प्रदेश के विकास और आमजन के कल्याण के लिए क्या किया?
संकल्पों को समय सीमा में पूरा करना है
 मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि विधानसभा चुनाव के संकल्प पत्र-2023 के संकल्पों को पूरा करना सरकार की प्राथमिकता में है। अधिकारी अपने-अपने विभाग संबंधित संकल्प पत्रों का संकलन कर संकल्प पूरा करने की दिशा में कार्रवाई करें। हमारा लक्ष्य आने वाले साढ़े चार साल में संकल्प पत्र के एक-एक संकल्प को पूरा करना है। उन्होंने मंत्रियों को समय-समय पर अधिकारियों के साथ बैठकर विभागीय गतिविधियों की बारीकी से समीक्षा के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री का कहना है कि सुशासन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सभी विभागों से कहा गया है कि योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल पर दिखना चाहिए। अफसरों से कहा गया है कि विकास कार्य समय पर पूरे किए जाएं, प्रमुख सचिवों को फील्ड का दौरा करने के निर्देश दिए गए है।
नई तबादला नीति से पहले होगा बड़ा प्रशासनिक फेरबदल
 प्रदेश में नई तबादला नीति से पहले बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा। मंत्रालय से लेकर मैदानी स्तर तक अधिकारी बदले जाएंगे। सरकार तबादला नीति घोषित कर ट्रांसफर से प्रतिबंध हटाने को लेकर जल्दबाजी में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, विधानसभा मानसून सत्र के बाद तबादला नीति घोषित की जा सकती है। मध्य प्रदेश में मंत्रियों को अपने विभागीय तबादले करने के लिए अभी प्रतीक्षा करनी होगी। सरकार तबादला नीति घोषित कर तबादलों पर से प्रतिबंध हटाने को लेकर जल्दबाजी में नहीं है। वैसे भी अभी प्रशासनिक आवश्यकता या शिकायत के आधार पर तबादले मुख्यमंत्री समन्वय के माध्यम से हो रहे हैं। हालांकि, इनकी संख्या बहुत कम है। लोकसभा चुनाव निपटने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रशासनिक स्तर पर परिवर्तन की शुरुआत अपने कार्यालय से कर दी। अब जल्द ही मंत्रालय और मैदानी स्तर पर नए सिरे से प्रशासनिक जमावट होगी। इसमें छह माह के प्रदर्शन को आधार बनाया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री प्रारंभिक चर्चा भी कर चुके हैं। कलेक्टरों और कमिश्नरों के साथ ही मंत्रालय में प्रमुख सचिव व अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों के दायित्व में परिवर्तन किया जाएगा। पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारियों के भी तबादले होंगे। प्रदेश में अपनी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्रालय से लेकर जिलों में प्रशासनिक आधार पर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और कमिश्नर बदले थे। अधिकारियों को काम करने के लिए फ्री-हैंड भी दिया। 3 माह आचार संहिता में निकल गए और काम थम गए थे। कुछ अधिकारियों की चुनाव के दौरान शिकायत भी सामने आईं।
विकास कार्य के लिए फ्री हैंड
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने विकास कार्यों के लिए मंत्रियों और अफसरों को फ्री हैंड दे दिया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि विकास कार्य को अमलीजामा पहनाना अधिकारियों की प्राथमिकता में होना चाहिए। सूत्र बताते हैं कि गत दिनों सीएम के साथ बैठक में प्रमुख विभागों के अधिकारियों ने एक-एक कर प्रेजेंटेशन के जरिए अपने-अपने विभाग की छह महीने की उपलब्धियां बताई और उन्होंने आने वाले 100 दिन का विजन मुख्यमंत्री के समक्ष रखा। अधिकारियों ने आने वाले दो साल और साढ़े चार साल का रोडमैप भी मुख्यमंत्री और कैबिनेट के सदस्यों के समक्ष रखा। मुख्यमंत्री ने प्रेजेंटेशन देखकर कुछ जरूरी सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि सरकार बने छह महीने हो चुके हैं। बीच में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण सरकारी काम प्रभावित हुए हैं। चूंकि अब आचार संहिता हट चुकी है, इसलिए सभी विभाग रोडमैप तैयार कर काम करें। आने वाले 100 दिन के लिए जो टारगेट रखे हैं, उन्हें निर्धारित अवधि में पूरा करें। अधिकारी विभागों में नवाचार करें और मंत्रियों के साथ समन्वय बनाकर काम करें। काम में किसी तरह की बाधा आए, कोई उलझा हुआ अंतर्विभागीय मुद्दा हो, तो मेरे पास आएं। इसमें कोई हिचक न करें।
मंत्रियों ने भी संभाला मोर्चा
मुख्यमंत्री के निर्देशों का असर नजर आने लगा है। सीएम के निर्देश के अगले ही दिन मंत्री अपने-अपने विभाग की समीक्षा में जुट गए। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ला, महिला एवं विकास मंत्री निर्मला भूरिया, ऊर्जा मंत्री त्री प्रद्युम्न प्रद्युम्न सिंह तोमर, कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री गौतम टेटवाल आदि ने मंत्रालय में य में अधिकारियों के साथ बैठक कर विभागीय गतिविधियों की समीक्षा कर जरूरी निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों के साथ 100 दिन के विजन पर चर्चा की और सीएम के निर्देशानुसार काम करने के निर्देश दिए। मंत्री तोमर ने समीक्षा बैठक में कहा कि त्रुटिपूर्ण बिजली बिल सुधारने की प्रक्रिया समय-सीमा में पूरी की जाए। बिजली उपभोक्ता को इधर-उधर भटकना नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि बिजली चोरी का प्रकरण दर्ज करने के बाद उसे नोटिस और सुनवाई का अवसर देना चाहिए। मेंटेनेंस की टीम बढ़ाई जाए और मेंटेनेंस नियमित रूप से करवाएं, जिससे ट्रिपिंग में कमी आए। विद्युत वितरण केन्द्रवार विद्युत हानि की जानकारी लें। इसके बाद विद्युत हानि रोकने की सुनियोजित कार्य योजना बनाएं।

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