
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ सरकार जनहित के मामलों में खासतौर पर कोरोना मरीजों की हर संभव मदद का लगातार ढोल पीट रही है, वहीं कोरोना मरीजों से दवाओं पर करों की भी वसूली करने में पीछे नहीं रह रही है। यह हाल प्रदेश में तब है जबकि सरकार जनहित के नाम पर फिल्मों को कर मुक्त कर देती है। कोरोना महामारी में जिस तरह से लोग इलाज के लिए अपने घर-बार और जेवरात तक बेचने को मजबूर बने हुए है, इसके बाद भी सरकार इस बीमारी के इलाज में काम आने वाली दवाओं को कर मुक्त कर सस्ती करने को तैयार नहीं है। खास बात यह है कि इससे सरकार के खजाने पर खास अंतर नहीं पड़ेगा , लेकिन आम गरीब आदमी को बहुत मदद मिल सकेगी। प्रदेश में कोरोना काल में अब तक 350 करोड़ रुपए से अधिक की दवा एवं उपकरणों की खरीद की जा चुकी है। इस पर सरकार द्वारा 12 फीसदी की दर से जीएसटी की वसूली की गई है। लोगों को यह नहीं समझ आ रहा है कि फिल्में तो जनहित की हो सकती हैं ,लेकिन जान बचाने वाली दवाएं सरकार की नजर में जनहित की क्यों नहीं होती हैं। हालत यह है कि प्रदेश में कोरोना के इलाज में काम आने वाली दवाओं और उपकरण पर पूरा टैक्स वसूल किया जा रहा है। अगर बीते साल की बात की जाए तो वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, रेमडेसिविर, पीपीई किट आदि पर सरकार ने करीब 42 करोड़ का जीएसटी वसूला है। यही नहीं पल्स आॅक्सीमीटर, भाप की मशीन आदि की भी प्रदेश में 20 करोड़ से ज्यादा की बिक्री हुई है। इस पर भी सरकार ने लोगों से ढाई करोड़ का टैक्स वसूला है। खास बात यह है कि मप्र में बीते साल कोरोना का पहला मरीज मिलने के एक माह पहले ही फरवरी 2020 में सरकार ने थप्पड़ फिल्म को स्टेट जीएसटी में जनहित का कारण बताते हुए छूट प्रदान कर दी थी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार की नजर में जान से अधिक फिल्म महत्वपूर्ण है।
किस पर कितना कर वसूला
100 करोड़ के करीब 5 लाख रेमडेसिविर बिके, 12फीसदी की दर से 12 करोड़ टैक्स
50 करोड़ की 10 हजार आॅक्सीजन कंसंट्रेटर पर 6 करोड़ टैक्स
पीपीई किट- अब तक 50 करोड़ की करीब 10 लाख पीपीई किट खरीदी, ढाई करोड़ टैक्स लगा।
मंत्री कर चुके हैं इंकार
कोरोना संक्रमण को रोकने के काम आने वाली दवाओं पर टैक्स कम या शून्य करने की मांग पहले भी कई बार हो चुकी है। लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा इस प्रस्ताव को यह कह कर पहले भी खारिज किया जा चुका है कि इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। उनका तर्क है कि इससे सामग्री महंगी हो जाएगी। जानकारों की मानें तो क्रेडिट का इश्यू आने पर उसकी दर कम कर राहत दे सकते हैं, इसका टैक्स रिफंड भी एक रास्ता हो सकता है।
गुजरात में दी जा रही है छूट
खास बात यह है कि पड़ौसी राज्य गुजरात में सरकार ने सरकारी व अनुबंधित अस्पतालों में कोविड की दवा, मशीन आदि दान करने पर जीएसटी की छूट दी हुई है। यानी कोई गुजरात में बाहर से लाया और इन्हें दिया है तो वे सर्टिफिकेट रिफंड ले सकते हैं। इस मामले में प्रदेश के कर सलाहकारों का कहना है कि जीएसटी की धारा 11 में सरकार कोविड दवा, मशीन आदि पर कर में छूट देकर राहत दे सकती है। जैसा कि थप्पड़ फिल्म के लिए किया गया था।