अब डीजीपी बनने के लिए… ढाई दशक की सेवा जरूरी

  • गौरव चौहान
डीजीपी

मप्र के पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना इस साल नवंबर में सेवानिवृत्त होंगे। उनकी सेवानिवृति से पहले ही कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डीजीपी बनने की आस लगाए बैठे हैं। लेकिन यूपीएससी के नए नियम ने उन्हें पसोपेस में डाल दिया है।  दरअसल, अब तक डीजीपी पद के लिए यूपीएससी की गाइडलाइन में 30 साल की सेवा अनिवार्य थी। लेकिन अब इस व्यवस्था को बदलते हुए आयोग ने इसे 25 साल करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा एडीजी यानी लेवल 15 पर तैनात आईपीएस अधिकारियों को भी पुलिस महानिदेशक का पद दिए जाने की व्यवस्था की है। यूपीएससी द्वारा नई व्यवस्था लागू करने के बाद अब डीजीपी के लिए कतार में कई दूसरे अधिकारी भी शामिल हो गए हैं। इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद राज्य से बाहर के कैडर वाले किसी सीनियर आईपीएस अधिकारी को भी पुलिस महानिदेशक पद के लिए ले आने की अटकलें लगाई जा रही थी, लेकिन अब नई व्यवस्था के बाद मप्र कैडर के ही आईपीएस अधिकारी इसके लिए एलिजिबल हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार ने डीजीपी बनने के नियम अब काफी सख्त कर दिए हैं। डीजीपी बनने के लिए अब सीनियर होना या सीआर अच्छा होना ही पर्याप्त नहीं होगा। यूपीएससी ने डीजीपी के चयन प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है। इसके चलते अब केवल वही डीजीपी बन सकेगा, जो कम से कम दस साल मैदानी पदस्थापना में रहा हो। साथ ही यदि वह जांच एजेंसियों में रहा हो तो उसे प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा कानून और व्यवस्था, अपराध शाखा, आर्थिक अपराध शाखा या इंटेलीजेंस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कम से कम दस वर्ष का अनुभव और दूसरा विशिष्ट सेवा के साथ-साथ इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग या सीबीआई में पदस्थ रहने वाले अफसरों के नाम प्राथमिकता के आधार पर डीजीपी के पैनल में शामिल किए जाएंगे। डीजीपी चयन के लिए गठित होने वाली समिति का अध्यक्ष यूपीएससी चेयरमैन या चेयरमैन द्वारा नामित सदस्य होगा। समिति के अन्य सदस्यों में केन्द्रीय गृह सचिव या उनका नामिनी, मुख्य सचिव, विभाग द्वारा संबंधित राज्य के डीजीपी तथा गृह नियुक्त सीपीओ या सीपीएमएफ का अधिकारी, लेकिन वह संबंधित राज्य का नहीं होगा।
कम से कम दो साल का रहेगा डीजीपी का कार्यकाल
यूपीएससी के संयुक्त सचिव द्वारा जारी नए आदेश के बाद 2009 तथा 2019 में यूपीएससी द्वारा डीजीपी चयन के लिए बनाए सभी नियम निरस्त हो गए हैं। यूपीएससी द्वारा जारी नए आदेश में इस बात का कहीं उल्लेख नहीं है कि डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल का रहेगा। यानी राज्य सरकार जब चाहे तो डीजीपी को बदल सकती है। जानकारी के अनुसार डीजीपी नियुक्ति के लिए पहले तीस साल की सेवा अनिवार्य थी, इससे नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में डीजीपी की नियुक्ति में कठिनाइयां आ रही थी। इस कारण डीजीपी पद के लिए सेवाकाल पांच वर्ष कम कर दिया है, यानी पच्चीस साल की सेवा वाला अफसर भी डीजीपी बन सकता है। यूपीएससी द्वारा जारी नए नियम से कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डीजीपी की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। यूपीएससी का मानना है कि जो आईपीएस अपने सेवाकाल में महत्वपूर्ण पदों पर रहता है उसका सीआर अच्छा रहता है और वही डीजीपी के योग्य है। अब तक डीजीपी का चयन वरिष्ठता और सीआर के आधार पर होता रहा है। नए नियमों से डीजीपी की नियुक्ति से पक्षपात पर अंकुश तो लगेगा ही साथ ही अनुचित नियुक्तियां नहीं होगी। साथ ही सरकार द्वारा न चाहते हुए वरिष्ठ अधिकारी को डीजीपी बनाने की अनिवार्यता खत्म हो गई है। इसके पहले यूपीएससी ने नियम में एक और बदलाव करते हुए कहा था कि छह माह की सेवाकाल वाला पुलिस अधिकारी भी यदि योग्य है तो वह डीजीपी बन सकता है।

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