- हरीश फतेहचंदानी
प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में अब महज छह माह का ही समय रह गया है। ऐसे में चुनावी बिसात बिछनी शुरु हो गई है, लिहाजा प्रशासनिक स्तर पर भी इसी तरह के कदम उठाने की तैयारियां की जा रही हैं। इसके तहत करीब डेढ़ दर्जन विभागों के प्रमुखों को बदलने की कवायद शुरु हो गई है।इसके अलावा कुछ मैदानी स्तर के आला अफसरों की भी नई पदस्थापनाएं किए जाने की भी चर्चाएं हैं। दरअसल मंत्रालय में आधा दर्जन से अधिक वरिष्ठ आईएएस अफसर बीते तीन सालों से एक ही विभाग में पदस्थ हैं। इन्हें बदला जाना है। इनमें से अधिकांश अफसर ऐसे हैं, जिनकी अपने ही विभाग के मंत्रियों से पटरी नहीं बैठ रही है। उनकी शिकायत भी मंत्री कई बार मुख्यमंत्री तक से कर चुके हैं। इसके बाद भी इन अफसरों की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया है। इसकी वजह से मंत्रियों द्वारा लगातार ऐसे अफसरों को बदलने की मांग की जा रही है। इस बीच केंद्रीय नगर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक एक मंत्री ने अपने प्रमुख सचिव से परेशान होकर सिंधिया तक को पत्र लिखकर शिकायत की है। यह पत्र सिंधिया द्वारा मुख्यमंत्री सचिवालय को भी भेज दिया गया है। अब इस पत्र पर क्या कार्रवाई होती है, इसका इंतजार राजनैतिक हलकों में किया जा रहा है। अगर आला अफसरों की बात की जाए तो अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान बीते तीन साल से अधिक समय से विभाग में पदस्थ हैं। उन्हें अब इस विभाग से हटाकर दो नए महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा दिया जा सकता है। माना जा रहा है कि सरकार एक बार फिर से उन्हें उद्योग तथा मध्यम व लघु उद्योग विभाग की कमान दे सकती है। इसी तरह से प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर श्रीमती दीपाली रस्तोगी के पास महिला व बाल विकास विभाग का भी प्रभार है। माना जा रहा है कि उन्हें अब महिला बाल विकास विभाग का ही पूरी तरह से प्रभार दिया जा सकता है, जबकि उनसे वाणिज्यक कर विभाग को वापस लेकर किसी दूसरे अफसर को जिम्मा दिया जा सकता है। इसके पीछे की वजह है लंबे अर्से बाद आबकारी विभाग की आय में कमी आई है। अगर सूत्रों की मानें तो प्रमुख सचिव उद्योग व औद्योगिक निवेश मनीष सिंह को वाणिज्यिक कर विभाग की कमान सौंपी जा सकती है। दरअसल सरकार की चुनावी दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है लाड़ली बहना योजना का क्रियान्वयन महिला व बाल विकास विभाग द्वारा ही किया जाना है। यह योजना सरकार की प्राथमिकता में है। प्रमुख सचिव आदिमजाति व अनुसूचित जाति कल्याण डॉ. पल्लवी जैन गोविल का विभाग के मंत्री मीना सिंह से लंबे समय से विवाद चल रहा है। सुश्री सिंह कई बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से प्रमुख सचिव को बदलने का अनुरोध कर चुकी हैं। इसी तरह से प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा श्रीमती रश्मि अरुण शमी का विभाग में लंबा कार्यकाल हो चुका है। शमी का भी विभाग बदला जाना तय माना जा रहा है। इसी तरह से प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन श्रीमती दीप्ति गौड़ मुखर्जी का विभाग में कार्यकाल चार साल से अधिक का हो चुका है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर श्रीमती मुखर्जी को अन्यत्र पदस्थ करने की चर्चा जोरों पर है। उधर, प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे को भी दूसरे विभाग की जिम्मेदारी दिए जाने की संभावना है। आयुक्त नगर व ग्राम निवेश मुकेश गुप्ता द्वारा पहले ही मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से अन्यत्र पदस्थ करने का अनुरोध किया जा चुका है। गुप्ता के पास प्रमुख सचिव के अलावा आयुक्त का भी प्रभार है।
तीन दर्जन अफसरों की भी होनी है पदस्थापनाएं
राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति के लिए 19 मई को हुई विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक में जिन 33 अफसरों के नाम को हरी झंडी दी गई है। वे भी नोटिफिकेशन जारी होते ही आईएएस संवर्ग में शामिल हो जाएंगे, जिसकी वजह से उनकी भी नए सिरे से पदस्थापनाएं करना होंगी। यह वे अफसर हैं जो बीते दो साल से पदोन्नति का इंतजार कर रहे थे। इसकी वजह से सरकार को करीब तीन दर्जन जूनियर आईएएस अफसरों की पदस्थापना करनी होगी। माना जा रहा है कि सरकार एक साथ या दो बार में इन अफसरों की भी पदस्थापना आदेश जारी करने की तैयारी मे है। इनमें से कई अफसर सरकार के बेहद करीबी माने जाते हैं, उन्हें अच्छी जगहों पर पदस्थ किया जा सकता है।
यह संभागायुक्त भी बदलेंगे
विभाग प्रमुखों की सूची के साथ ही तीन संभागों के संभागायुक्तों को भी बदला जाना है। इनमें इंदौर संभागायुक्त पवन शर्मा, उज्जैन संभागायुक्त संदीप यादव व रीवा संभागायुक्त अनिल सुचारी को अन्यत्र पदस्थ किया जा सकता है। तीनों अधिकारियों को मंत्रालय में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चंबल संभागायुक्त के पद पर किसी अधिकारी की पदस्थापना की जाएगी। वर्तमान में चंबल संभागायुक्त का प्रभार ग्वालियर संभागायुक्त दीपक सिंह के पास है।
कुछ कलेक्टरों के भी होंगे तबादले
बताया जा रहा है कि इसके साथ ही कुछ जिलों के कलेक्टर भी बदले जाएंगे। इनमें वे कलेक्टर खासतौर पर शामिल रहने वाले हैं, जिनकी अपने जिले के जनप्रतिनिधियों से पटरी नहीं बैठ पा रही है और जो सरकार की अपेक्षाओं पर भी खरे नहीं उतर रहे हैं। बताया जाता है कि ऐसे कलेक्टरों की संख्या करीब आधा दर्जन है।