
- केंद्र सरकार में बढ़ा मप्र का प्रभाव
- 4,41,590.38 करोड़ के मंत्रालय मप्र के नेताओं के पास
बीमारू राज्य से उबारने के बाद से ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पूरा फोकस मप्र को विकसित राज्य बनाने पर है। मुख्यमंत्री की इस मंशा को अब उड़ान मिलने वाली है, क्योंकि केंद्र सरकार में मप्र का प्रभाव बढ़ा है। अब केंद्र सरकार में मप्र के 6 मंत्री हो गए है। इससे प्रदेश में 6 गुना तेजी से विकास होने की संभावना है।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 जुलाई को अपनी कैबिनेट का विस्तार किया। ज्योतिरादित्य सिंधिया और डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में शामिल होने के बाद मप्र का सियासी प्रभाव और बढ़ गया है। मोदी के दूसरे कार्यकाल में अब तक मप्र से 5 केंद्रीय मंत्री रहे, अब संख्या 6 हो गई है। प्रदेश के विकास के लिए आतुर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए यह बड़ी सौगात है। यानी अब प्रदेश का विकास 6 गुना तेजी से हो सकता है। गौरतलब है कि मप्र के 6 मंत्रियों के पास जो मंत्रालय हैं, उनका सालाना बजट 4,41,590.38 करोड़ रुपए है। इससे प्रदेश में विकास की आस जगी है।
मोदी की नई कैबिनेट में नरेंद्र सिंह तोमर के पास कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय है, इसका सालाना बजट 1,31,531 करोड़ है। वहीं धर्मेंद्र प्रधान के पास शिक्षा, केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय है, जिसका सालाना बजट 93,224.31 करोड़ है। डॉ. वीरेंद्र कुमार के पास सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय है, जिसका सालाना बजट 1,1689.39 करोड़ रुपए है। इसी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास नागरिक उड्डयन मंत्रालय है, जिसका सालाना बजट 3224.67 करोड़ रुपए है। वहीं राज्यमंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते के पास दो मंत्रालय हैं। इस्पात मंत्रालय का सालाना बजट 39.25 करोड़ है, वहीं ग्रामीण विकास मंत्रालय का सालाना बजट 131519.08 करोड़ रुपए है। जबकि प्रहलाद सिंह पटेल के पास भी दो मंत्रालय हैं। इस बार उनके पास जल शक्ति मंत्रालय आ गया है, इसका सालाना बजट 69,053.02 करोड़ रुपए है। वहीं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय भी उनके पास है, जिसका सालाना बजट 1308.66 करोड़ रुपए है। इस तरह मप्र के 6 मंत्रियों के पास कुल 4,41,590.38 करोड़ रुपए के मंत्रालय हैं।
तोमर बनेंगे तारणहार
संवेदनशीलता, संकल्प शक्ति और समन्वय की त्रिवेणी नरेंद्र सिंह तोमर के पास कृषि मंत्रालय है। मप्र की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि ही है। आज मप्र कृषि के क्षेत्र में अव्वल राज्य बना है, उसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही तोमर का भी अमूल्य योगदान है। तोमर का सर्वाधिक योगदान देश के कृषि, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री के रूप में रहा है। भ्रष्टाचार का कलंक झेल रही मनरेगा को आज देश के ग्रामीण अंचल में रोजगार की रीढ़ बनाने में तोमर का खास योगदान है। गांवों के विकास में पारदर्शिता, प्रधानमंत्री आवास योजना से हर गरीब को छत और प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के माध्यम से पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के स्वप्न को पूर्ण करने का कार्य तोमर ने विगत 7 वर्षों में किया है। तोमर की योग्यता, प्रतिभा और अनुभव का सही उपयोग देश के कृषि मंत्री के रूप में हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मार्गदर्शन में बहुप्रतिक्षित कृषि सुधार कानूनों को अमली जामा पहना कर उन्होंने मील के वे पत्थर स्थापित किए है जिनके सकारात्मक परिणाम किसानों के जीवन की दशा और दिशा दोनों परिवर्तित कर देंगे। पीएम किसान योजना के माध्यम से किसानों की आय का सशक्तिकरण हो या स्वामिनाथन आयोग की अनुशंसा पर किसानों को लागत मूल्य से डेढ़ गुना एमएसपी प्रदान करना हो, तोमर ने कृषि मंत्री के रूप में किसानों के हित में ऐसी उल्लेखनीय भूमिका निभाई है जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगी।
राष्ट्रीय स्तर पर कृषि एवं ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी निभानेे के बाद भी तोमर सदैव मप्र के विकास के प्रति सक्रिय एवं चिंतित रहते हैं। मुरैना जिले के कैलारस-सुमावली क्षेत्र में रक्षा मंत्रालय की 1500 करोड़ की रक्षा परियोजना हो या निजी क्षेत्र की देश की पहली हथियार निर्माण इकाई की स्थापना मालनपुर में कराना हो, तोमर के प्रयासों ने इस अंचल के विकास को नई दिशा दी है। ऐसे में अब तोमर से प्रदेश को और अपेक्षाएं हैं। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उसको सफलीभूत करने में शिवराज और तोमर की जोड़ी सफल होगी।
शिक्षा का स्तर सुधारेंगे प्रधान
मप्र से राज्यसभा सदस्य धर्मेंद्र प्रधान के पास इस बार शिक्षा, केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय है, जिसका सालाना बजट 93,224.31 करोड़ है। प्रधान के पास इससे पहले पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और स्टील मंत्रालय का जिम्मा था। प्रधानमंत्री ने अब धर्मेंद्र प्रधान को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय का मुखिया बनाया है। इसके साथ ही शिक्षा मंत्रालय का कुनबा भी बढ़ गया है। अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में तीन राज्य मंत्री बनाए गए हैं। जबकि केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय में एक राज्य मंत्री का पद सृजित किया गया है। नए बदलाव के तहत डॉ. सुभाष सिरकार, डॉ. राजकुमार रंजन सिंह और अन्नपूर्णा देवी को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है। वहीं, राजीव चंद्रशेखर को केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय में राज्य मंत्री का जिम्मा सौंपा गया है। यानी प्रधान के पास एक मजबूत टीम है। इससे संभावना जताई जा रही है कि मप्र सहित देशभर में शिक्षा का स्तर सुधारने में प्रधान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
धमेंद्र प्रधान के पास उच्च शिक्षा विभाग है। हाल ही में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई है। इससे प्रदेश में कई नवाचार हो सकते हैं। प्रदेश को नए एनआईटी, आईआईएम या ऐसे बड़े संस्थान की उम्मीद है। इसके अलावा नॉलेज कारपारेशन और इंटरनेशनल एजुकेशन कनेक्टिविटी भी प्रदेश के लिए हो सकती है। नई नीति में निजीकरण को बढ़ाया दिया गया है। इस कारण देश-दुनिया के बड़े गु्रप को इंदौर या अन्य शहरों में लाने की उम्मीद की जा सकती है। प्रायवेट यूनिवर्सिटी के लिए भी नया स्कोप है। इसके अलावा बजट के मामले में उम्मीदें बढ़ गई हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी प्रधान की अच्छी ट्यूनिंग है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि प्रधान मप्र में शिक्षा की क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
बुंदेलखंड में आएगी बहार
सूखा, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और पलायन की मार झेल रहे बुंदेलखंड में अब विकास की बहार आएगी। इसकी आस मप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाले 7 जिलों के लोगों को है। इसकी वजह यह है कि मोदी की नई कैबिनेट में टीकमगढ़ के सांसद डॉ. वीरेन्द्र कुमार मंत्री बनाए गए हैं। डॉ. वीरेंद्र कुमार के पास सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय है, जिसका सालाना बजट 1,1689.39 करोड़ रुपए है। लोगों को उम्मीद है कि डॉ. वीरेन्द्र कुमार क्षेत्र की समस्याओं को दूर कर यहां विकास की गंगा बहाएंगे। बुंदेलखंड के बड़े नेता वीरेंद्र खटीक सागर, टीकमगढ़ से 7 बार के सांसद हैं। थावरचंद गहलोत अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं, जिन्होंने इस्तीफा दिया है। लिहाजा, उनकी जगह इसी वर्ग से खटीक को मौका दिया गया है। सांसद खटीक मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सितंबर 2017 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाए गए थे। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोबारा सरकार बनने पर खटीक को 17 जून 2019 को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। उन्होंने मोदी सहित सभी सांसदों को शपथ दिलाई थी।
डॉ. वीरेंद्र अपने सरल स्वभाव और अपनी सादगी के लिए हमेशा पहचाने जाते हैं। डॉ वीरेंद्र दूसरे नेताओं से अलग हटके लाइमलाइट में रहने की वजह तामझाम से दूर रहते हैं। यही वजह है कि मंत्री रहते हुए भी वे अक्सर अपने पुराने स्कूटर पर सागर में घूमते दिख जाते थे। सागर में जन्मे वीरेंद्र का बचपन बेहद तंगहाली में गुजरा। शायद यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचने के बाद भी वे दूसरे नेताओं की तरह तामझाम से दूर नजर आते हैं। बुंदेलखंड के विकास के लिए उन्होंने काफी प्रयास किया है। मोदी की नई कैबिनेट में उन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनका कहना है कि सबका साथ, सबका विकास के प्रधानमंत्री के परिकल्पना को आगे ले जाना उनके लिए सौभाग्य की बात है। सामाजिक न्याय एंव अधिकारिता मंत्रालय द्वारा पहले से किए जा रहे अच्छी योजनाओं को आगे बढ़ाने का उनका प्रयास जारी रहेगा। वह समाज के उन पिछड़े लोगों (कम विशेषाधिकार प्राप्त) के लिए काम करने के लिए भाग्यशाली महसूस करते हैं जिनका जीवन संघर्ष और कठिनाई से भरा है। कठिन परिस्थितियों में लोगों के जीवन में योगदान देने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने में सक्षम होने के लिए यह उनके लिए एक अच्छा अवसर है। वह उनके जीवन में बदलाव लाने का काम करेंगे। वह कहते हैं कि समाज के वंचित वर्गों के लिए काम करना एक सामूहिक प्रयास होगा जिसमें उनके लिए बनाई गई नीतियों और कार्यक्रमों के बेहतर कार्यान्वयन के लिए लोगों के विचारों को भी शामिल किया जाएगा।
मप्र बन सकता है एयर इंड्रस्टी हब
मप्र से राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का मंत्रिमंडल में शामिल होना पहले से तय माना जा रहा था। क्योंकि कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के साथ ही उन्होंने सरकार भी बनवाई थी। इसलिए उन्हें यह पद उपहार स्वरूप भी माना जा रहा है। हालांकि उनका परफार्मेंस मनमोहन सरकार में भी अच्छा था। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास नागरिक उड्डयन मंत्रालय है, जिसका सालाना बजट 3224.67 करोड़ रुपए है। इससे प्रदेश को उनसे काफी उम्मीदे हैं। प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी बड़ा मुद्दा है। अभी देश के बड़े शहरों से कनेक्टिविटी ज्यादा नहीं है। एयर कनेक्टिविटी बढऩे की उम्मीद प्रदेश करता है। इसके अलावा एयर कार्गों की लंबे समय से डिमांड हो रही है। साथ ही प्रदेश में नए एयरपोर्ट व इंटरनेशनल एयरपोर्ट की उम्मीद की जा सकती है। इसके अलावा प्रदेश का एयर-कनेक्शन यदि सीधे विदेश से जुड़े तो इसे भी बड़ी पहल माना जाएगा। एयर इंड्रस्टी में प्रदेश हॅब बन सकता है, क्योंकि यह देश के सेंटर में है। इससे देशभर में कही भी जाने के लिए सेंट्रल पाइंट के रूप में विकसित हो सकता है।
सिंधिया का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बेहतर तालमेल है। मप्र की राजनीति में पिछले सवा साल में दोनों नेता एक नजर आ रहे हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि मप्र के विकास में सिंधिया-शिवराज की जोड़ी नया गुल खिलाएगी। सिंधिया के केंद्र में मंत्री बनने से मप्र की राजनीति में भी बदलाव दिखेगा। अगर यह कहा जाए कि सिंधिया मप्र की राजनीति के नए किंगमेकर बनेंगे तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं होगी। सिंधिया उस घराने का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसके सदस्य दो परस्पर विरोधी विचारधाराओं के फॉलोअर रहे हैं। मप्र की राजनीति का एक बेहद जाना-पहचाना नाम हैं ज्योतिरादित्य। वह सिंधिया राजघराने की तीसरी पीढ़ी के नेता हैं, जिनकी पहचान प्रदेश से बढक़र देश में है। वह दादी स्व. विजयाराजे सिंधिया और पिता स्व. माधवराव सिंधिया की राजनीतिक विरासत के वारिस हैं। हालांकि, दादी और पिता दोनों का ताल्लुक दो अलग-अलग दलों से था। ज्योतिरादित्य को अपने पिता से राजनीति और क्रिकेट दोनों विरासत में मिले और दोनों को उन्होंने बखूबी संभाला।
राजनीति के माहिर खिलाड़ी
एक सियासी तीर से विपक्षी दिग्गजों को परेशान करने का गुर सिंधिया से बेहतर कोई नहीं जानता। चुटीले तंज, सियासी समझ से भरे व्यंग्य और जनता से जुड़े मुद्दे उठाने में ज्योतिरादित्य माहिर हैं। राजघराने से होने के बाद भी आम आदमी से रिश्ता जोडऩे की कला सिंधिया के खून में है। 2018 में मध्य प्रदेश में अगर 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में आयी थी तो उसके पीछे भी उस वक्त कांग्रेस सांसद रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया का ही रोल था। ग्वालियर-चंबल की सियासत का बड़ा चेहरा सिंधिया उस चुनाव में प्रदेश के नेता के तौर पर उभर कर सामने आए। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सबसे ज्यादा चुनावी सभाएं कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया था। उन्हें पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं और जनता का अभूतपूर्व समर्थन मिला था। ज्योतिरादित्य ने स्कूल एजुकेशन मुंबई से हासिल करने के बाद हॉवर्ड और अमेरिका के स्टेनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के बाद अमेरिका में ही साढ़े चार साल लिंच, संयुक्त राष्ट्र न्यूयार्क और मार्गेन स्टेनले में काम का अनुभव लिया। कांग्रेस में रहते हुए वो राहुल और प्रियंका गांधी के बेहद करीब रहे। यही वजह है कि 2019 के इस लोकसभा चुनाव में उन्हें पश्चिम उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी गई थी। कमलनाथ का हमकदम बनते हुए कांग्रेस पार्टी ने 2018 में सिंधिया को चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष की कमान सौंपी थी। ज्योतिरादित्य जब कांग्रेस में थे तब उन्हें महाराज के नाम से ही पुकारा जाता था। अब बीजेपी में आने के बाद वो भाई साहब कहलाने लगे। लेकिन अपने ग्वालियर-चंबल इलाके में वो आम तौर पर महाराज नाम से ही पुकारे जाते हैं।
घर-घर नल से जल योजना होगी साकार
मोदी की नई कैबिनेट में प्रहलाद सिंह पटेल के पास भी दो मंत्रालय हैं। इस बार उनके पास जल शक्ति मंत्रालय आ गया है, इसका सालाना बजट 69,053.02 करोड़ रुपए है। वहीं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय भी उनके पास है, जिसका सालाना बजट 1308.66 करोड़ रुपए है। जलशक्ति मंत्रालय की योजना को साकार करने में मप्र अन्य राज्यों से आगे रहा है। घर-घर नल से जल पहुंचाने की योजना पर मप्र में तेजी से काम हो रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि प्रहलाद पटेल हर घर नल से जल की योजना को जल्द से जल्द साकार करेंगे। गौरतलब है कि दमोह से सांसद प्रहलाद पटेल काफी अनुभवी नेता हैं। प्रहलाद पटेल का जन्म नरसिंहपुर के गोटेगांव तहसील में 28 जून 1960 को हुआ था। करीब डेढ़ दशक पहले पैदल नर्मदा यात्रा कर सुर्खियों में आए थे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पहली बार मंत्री बने थे। अटलजी ने उन्हें कोयला मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया था। पटेल चार से बार से सांसद हैं।
मोदी की पूवर्वती कैबिनेट में पर्यटन का स्वतंत्र प्रभार पटेल के पास था। मप्र सहित देशभर में पर्यटन के विकास के लिए इन्होंने उल्लेखनीय काम किया है। पर्यटन को उद्योग बनाने के लिए पटेल ने कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। प्रहलाद सिंह पटेल ने पर्यटन व संस्कृति क्षेत्र के दमोह सहित महाकौशल जबलपुर में कई नए कार्य शुरू कराए। राष्ट्रपति को दमोह लेकर आए, रानी दुर्गावती किला का जीर्णाेद्धार कराया। देश में पांचवा सीसीआरटी सांस्कृतिक प्रशिक्षण केंद्र का कार्यालय भी खुलवाया था। गुजरात से पदयात्रा भी की थी, जिसे प्रधानमंत्री ने हरी झंडी दिखाई थी। प्रहलाद सिंह द्वारा किए गए कार्यों के अलावा बुंदेलखंड क्षेत्र के लोधी बाहुल्य वोट बैंक को आगामी उत्तरप्रदेश में भी साधने के लिए कद घटाते हुए मंत्री मंडल मेें ही रखा गया है। प्रहलाद सिंह पटेल को जलशक्ति व खाद्य प्रसंस्करण का राज्यमंत्री बनाया गया है, जो दो मंत्रियों के नीचे कार्य करेंगे। जलशक्ति के केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत बनाए गए हैं। वहीं खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री पशुपति कुमार बनाए गए हैं। प्रहलाद पटेल ने दमोह जिले में पर्यटन उद्योग के जो नए द्वार खोले जाने के प्रयास किए जा रहे थे अब वह पूर्व की तरह बंद रहने के आसार बन गए हैं। जिससे पर्यटन के क्षेत्र में होने वाले विकास को बड़ा झटका लगा है।
हम साथ-साथ
प्रहलाद पटेल का कहना है कि चाहे केंद्र की मोदी सरकार हो या फिर मप्र की शिवराज सरकार, दोनों ने ही विकास के रिकार्ड कायम किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो भी वादे विकास के किए थे उनको पूरा किया है तो अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है। कश्मीर से धारा 370 हट चुकी है। आज प्रदेश के हर गरीब के पास पक्का मकान हो गया है तो अब किसानों को सम्मान निधि भी मिलना शुरू हो गई है। वह कहते हैं कि देश और प्रदेश में विकास के लिए हम सभी साथ-साथ हैं। वह कहते हैं कि 15 माह प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं थी तो यहां के विकास कार्य ही रूक गए थे। कांग्रेस के मुख्यमंत्री के पास कोई विकास कार्यों के लिए जाता था तो वे खजाना खाली होने का बहाना बनाते थे, लेकिन भाजपा सरकार बनते ही विकास कार्यों की झड़ी लग गई। भाजपा की सरकार ने हर वर्ग के लोगों का ध्यान रखा है। चाहे गरीब हो, किसान हो, माता-बहन और बेटी हो या फिर युवा हो, सबके लिए योजनाएं शुरू कीं और उनका लाभ लोगों तक पहुंचाया। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल कहते हैं कि हमारा लक्ष्य ही सबका साथ-सबका विकास करना है। भाजपा की सरकारें अपने इस लक्ष्य के लिए दिन-रात काम में जुटी हुई हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता की भलाई के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने संबल जैसी योजना बनाकर प्रदेश के हर गरीब का दुख-दर्द जाना है और उसको मदद पहुंचाई है। अंतिम संस्कार के लिए भी पांच हजार रूपए की मदद दी है तो किसी गरीब की मौत पर उसको 4 लाख रूपए की आर्थिक सहायता देने का काम किया है। वह कहते हैं कि मप्र के विकास के लिए केंद्र सरकार से हर संभव सहायता दी जा रही है और दी जाएगी।
गांवों में विकास को मिलेगा आधार
राज्यमंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते के पास दो मंत्रालय हैं। इस्पात मंत्रालय का सालाना बजट 39.25 करोड़ है, वहीं ग्रामीण विकास मंत्रालय का सालाना बजट 131519.08 करोड़ रुपए है। इससे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में विकास की नई बयार बहने की उम्मीद है। मंडला लोकसभा सीट से छठी मर्तबा जीते फग्गन सिंह कुलस्ते पार्टी का सबसे बड़ा आदिवासी चेहरा माने जाते हैं। प्रदेश के एक नेता थावरचंद गहलोत मंत्रिमंडल से हटाए गए बदले में प्रदेश से दो नेताओं को जगह मिल गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं वीरेंद्र खटीक को केबिनेट मंत्री के रूप में शामिल कर अच्छे विभाग दे दिए गए। सिंधिया को उड्डयन मंत्री बनाया गया और खटीक को सामाजिक न्याय, अधिकारिता मंत्री। इसका मतलब यह कतई नहीं कि मप्र के साथ सिर्फ अच्छा ही हुआ। सिंधिया-खटीक ताकतवर मंत्री बने तो प्रहलाद पटेल एवं फग्गन सिंह कुलस्ते का कद घटा दिया गया। नरेंद्र सिंह तोमर से दो महत्वपूर्ण विभाग पंचायत, ग्रामीण विकास एवं खाद्य प्रसंस्करण वापस ले लिए गए। हालांकि वे केंद्र में ताकतवर बने हुए हैं। प्रहलाद पिछड़े वर्ग में लोधी समाज के बड़े नेता है और फग्गन को भाजपा में आदिवासी चेहरे के तौर पर देखा जाता है। आमतौर पर स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री को पदोन्नत कर कैंबिनेट मंत्री बनाया जाता है। यहां उलटा हो गया। प्रहलाद-फग्गन का प्रमोशन की बजाय डिमोशन कर दिया गया। पहले वे स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री थे, अब सिर्फ राज्य मंत्री रह गए। ये दोनों पहले भी केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। फग्गन सिंह कुलस्ते का कद छोटा करने की वजह उनकी परफारमेंस को बताया जा रहा है। वे नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में भी राज्य मंत्री थे लेकिन परफारमेंस ठीक न होने के कारण उन्हें हटा दिया गया था। इस बार भी इसी कारण उन्हें मंत्रिमंडल से हटाए जाने की चर्चा थी। पर भाजपा नेतृत्व आदिवासी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहता, इसलिए हटाने की बजाय उन्हें स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री के स्थान पर सिर्फ राज्य मंत्री बनाकर मंत्रिमंडल में बनाए रखा गया।
योग्यता एवं अनुभव को प्राथमिकता
मंत्रिपरिषद के विस्तार में कुछ पुराने मंत्रियों की पदोन्नति यह बताती है कि उन्हें उनके बेहतर काम का पुरस्कार मिला। यह मिलना भी चाहिए था क्योंकि इससे सभी को यह संदेश जाता है कि बेहतर प्रदर्शन मायने रखता है न कि मीडिया और इंटरनेट मीडिया पर मौजूदगी। इस पहले बड़े विस्तार और साथ ही फेरबदल से यही स्पष्ट हुआ कि नए मंत्रियों के चयन में योग्यता एवं अनुभव को प्राथमिकता देने के साथ ही क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों का भी विशेष ध्यान रखा गया। लोकतंत्र में ऐसा करना आवश्यक होता है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार के साथ प्रधानमंत्री की टीम कहीं ज्यादा व्यापक आधार वाली और पहले से अधिक सक्षम दिखने लगी है। चूंकि मंत्रिपरिषद में सहयोगी दलों की भागीदारी के साथ ही युवा चेहरों का प्रतिनिधित्व बढ़ गया है इसलिए उसकी औसत आयु पहले से कम दिखने लगी है। खास बात यह भी है कि मंत्रिपरिषद में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। इसके साथ ही वंचित एवं पिछड़े तबकों की भी हिस्सेदारी बढ़ी है। इसका अर्थ है कि प्रधानमंत्री सोशल इंजीनियङ्क्षरग पर न केवल काम कर रहे हैं, बल्कि उसे बल भी प्रदान कर रहे हैं। यह उनके लिए अचरज का विषय हो सकता है, जो अभी भी भाजपा को पुराने चश्मे से देखने के अभ्यस्त हैं अथवा सामाजिक न्याय के नाम पर जातियों की गोलबंदी को ही सही मानते हैं।