अब जल, जंगल और खनिज संपदा का भी होगा डेटा बैंक

खनिज संपदा

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। डिजिटलाइजेशन के इस युग में मध्यप्रदेश भी तरक्की की राह पर चल पड़ा है। सचिवालय सहित अन्य विभागों में काम कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है। फाइलों को रिकार्ड में रखा जा रहा है। इसी कड़ी में अब प्रदेश में खनिज संपदा का भी डेटा बैंक बनाने की कवायद शुरू की जा रही है। यही नहीं अब प्रदेश में पानी की उपलब्धता का भी रिकॉर्ड होगा।
डैम में कितना पानी है उसकी क्या कीमत है इस सबका भी हिसाब-किताब रखा जाएगा। इसके लिए पहली बार प्रदेश में राजस्व की जमीनों, जल संसाधन और खनिज संपदा की जानकारी जुटाई जा रही है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञों की कमेटी गठित की है जो प्राकृतिक संसाधनों की डिपॉजिटरी तैयार कर उपलब्ध कराएगी। इसके बाद यह हिसाब केंद्र को दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में फिलहाल पैंतीस लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो रही है। जिसमें प्रति हेक्टेयर सिंचाई में उपयोग होने वाले पानी का आकलन 3.50 लाख रुपए है। इस हिसाब से कुल पानी की कीमत का आकलन डेढ़ लाख करोड़ रुपये किया गया है। यानी प्रदेश के पास डेढ़ लाख करोड़ रुपए की जल संपदा है। इसी तरह वनों की भी अलग-अलग श्रेणियां बनाकर डाटा तैयार किया जा रहा है। बता दें कि राज्य में करीब 95 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन है। इनमें वनों को अलग-अलग श्रेणी में बांटा गया है। इसमें ऐसे वन क्षेत्र भी शामिल किए हैं जिनसे इमारती लकड़ी काटी जाती है और जिनकी हर साल सरकार नीलामी करती है। खास बात है कि इसी तरह वनों से पर्यावरण के होने वाले संतुलन तथा आॅक्सीजन की पूर्ति का भी डाटा तैयार होगा अभी तक वनों से हर साल ढाई सौ करोड़ रुपए के मिलने वाले राजस्व की जानकारी है। हालांकि अन्य जानकारियां अब तक उपलब्ध नहीं है। अब सरकार इस सबका डेटा इकट्ठा करने के प्रयास कर रही है। इसी तरह प्रदेश में खनिज के 55 ब्लॉक है। यह मेजर मिनरल्स के ऐसे ब्लॉक है जहां से लोह अयस्क, डोलोमाइट, कॉपर, लाइम स्टोन और मैंगनीज निकलता है। इसी तरह जितने भी गौण खनिज के ब्लॉक हैं उनकी भी जानकारियां इकट्ठा की जाकर रिकॉर्ड रखा जाएगा।

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