अब अपनों को उपकृत करने बदली टेबल-बेंच खरीदी के टेंडर की शर्तें

 टेंडर
  • एमएसएमई इकाइयों ने मुख्यमंत्री से की टेंडर निरस्त करने की मांग

    भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
    घपले-घोटाले के लिए कुख्यात मध्य प्रदेश उद्योग निगम (एलयूएन)की कारगुजारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार विभाग में व्याप्त भराशार्ही, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में जुटी हुई है, वहीं दूसरी तरफ एलयूएन में एक बार फिर से नियमों को ताक पर रखकर अपनों को उपकृत करने में जुट गया है। इसके लिए छात्रों के लिए टेबल और बेंच की खरीदी किए जाने के टेंडर में हेरफेर किया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एलयूएन द्वारा छात्रों के लिए टेबल और बेंच की खरीदी का टेंडर जारी किया गया है। करोड़ों रूपए की इस खरीदी के लिए जो टेंडर जारी किया गया है उसमें अपने किसी खास को लाभ पहुंचाने के लिए एलयूएन टेंडर भरने वाली कंपनियों का टर्नओवर 70 करोड़ रुपए तय किया है। जबकि एमएसएमई इकाइयों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार की नीति कम से कम टर्नओवर की है। ऐसे में पूरी खरीदी पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस मामले को लेकर एमएसएमई इकाइयों में रोष है और उन्होंने मुख्यमंत्री से टेंडर निरस्त करने की मांग की है।
    15 करोड़ की जगह 70 करोड़ टर्नओवर की शर्त
    गौरतलब है कि सरकार का फोकस है कि प्रदेश में एमएसएमई इकाइयों को अधिक से अधिक काम मिले। लेकिन एलयूएन ने टेबल और बेंच की खरीदी के लिए जारी टेंडर में सरकार के दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया है। सूत्रों के अनुसार, डीपीआई के द्वारा टेंडर में टर्नओवर 15 करोड़ रुपए रखा गया है, किंतु एलयूएन ने इस बार टर्नओवर बढ़ाकर 70 करोड़ रूपए कर दिया है। उसने टर्नओवर बढ़ाने की वजह भी नहीं बताई गई है। पिछले वर्षों में इसी तरह की खरीदी पर तीन करोड़ रुपए टर्नओवर की शर्त रखी गई थी। उधर एमएसएमई इकाई संचालित करने वाले कारोबारियों ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप कर टेंडर की शर्त में टर्नओवर पूर्व की तरह कराने को कहा है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो एमएसएमई इकाई लगाकर करोड़ों रुपए की मशीनरी आदि लगाने वाले कारोबारियों व बड़ी संख्या में मजदूरों का नुकसान होगा। इस टेंडर को कैंसिल कर हजारों लोगों को बेरोजगार होने से बचाने की अपील की गई है।
    दोगुनी कीमत पर खरीदकर सरकार को करोड़ों की चपत
    प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में यह चर्चा आम है कि एलयूएन बाजार मूल्य से दो और तीन गुना कीमत पर खरीदी करता है। उसके बावजुद उसी के माध्यम से खरीदी कराना बड़े भ्रष्टाचार का संकेत है। सूत्रों के अनुसार टेबल व बेंच की खरीदी में एलयूएन में काफी समय से घोटाला चल रहा है।
    इस घोटाले की यह स्थिति है कि पहले वेट की चोरी की जाती थी अब जीएसटी की चोरी की जा रही है। इसमें विभागीय मिलीभगत से कई ऐसे तरीके निकाल लिए जाते हैं कि सामान्य व्यक्ति को इस घोटाले की जानकारी ही नहीं हो पाती। ताज्जुब यह भी है कि जिस सामान को एलयूएन एक हजार रुपए में खरीदी है वही सामान बाजार में 400 से 500 रुपए में उपलब्ध है। किंतु टेंडर में कई तरह की शर्तें रखकर पूरे घोटाले को अंजाम दिया जाता है।
    छोटे निर्माताओं को दूर रखने का षड्यंत्र
    एलयूएन में हमेशा यह कोशिश की जाती है कि बड़े-बड़े लोगों को हर टेंडर दिया जाए। इसके लिए टेंडर की शर्ते उसके हिसाब से रखी जाती हैं। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए बाकायदा एक रैकेट काम कर रहा है। वह या तो छोटे निमार्ता को तो टेंडर भरने नहीं देता। अगर किसी से भर दिया तो उसे बाहर करवा देता है। इस पर एमएसएमई इकाई के संचालकों ने कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए मुख्यमंत्री से इस पर हस्तक्षेप करने की मांग की है। एक शिकायती पत्र प्रबंध संचालक एलयूएन को भी भेजा गया है। उनसे कहा गया है कि आपके कार्यालय के टेंडर क्रमांक में टेबल व बेंच फॉर आरएसके की निविदा जारी की गई है इसमें टर्नओवर साथ करोड़ मांगा गया है जबकि पिछले वर्ष इसी क्रमांक के टेंडर में यह तीन करोड़ था।
    सरकारी प्रयास का असर नहीं
    एलयूएन में घपले-घोटाले पर अंकुश लगाने के लिए अब तक जितने प्रयास किए गए हैं, सभी विफल रहे हैं। कुछ वर्ष पहले एलयूएन में चल रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कुछ अधिकारियों ने खरीदी नियमों में व्यापक परिवर्तन कर दिया था, किंतु बाद में उक्त अधिकारियों को ही बदल दिया गया। कुछ दिन तो ठीक चलता रहा किंतु बाद में उसी तरह के घपले फिर शुरू हो गए। 

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