अब प्रदेश में ई-चौकियों पर होगी खनिज परिवहन की जांच

ई-चौकियों

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। अवैध खनिज परिवहन, उत्खनन और भंडारण की लगातार आने वाली शिकायतों को देखते हुए अब प्रदेश सरकार राज्य में इसकी जांच के लिए ई- चौकियां बनाने जा रही है। इसके माध्यम से सरकार की अवैध खनिज परिवहन पर प्रभावी रोक लगाने की मंशा है। यही वजह है कि प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश की तर्ज पर प्रदेश में भी  खनिज नीति लागू करने जा रही है, जिसके तहत ही अत्याधुनिक जांच चौकियां बनाई जाने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश की खनिज नीति का दो बार अध्ययन भी करवाया जा चुका है। इसकी एक रिपोर्ट भी तैयार करवायी गई है, जिसे अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने रखा जाना है। मुख्यमंत्री की स्वीकृति मिलते ही इस नई व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। दरअसल इस साल के शुरू में ही मुख्यमंत्री ने खनिज साधन विभाग को राजस्व बढ़ाने के साथ ही अवैध खनिज परिवहन को रोकने के कड़े कदम उठाने के साथ ही उत्तर प्रदेश की खनिज नीति का अध्ययन कर मप्र में लागू करने के लिए कहा था।
बनाया जाएगा माइनिंग सर्विलांस सिस्टम
अवैध परिवहन को रोकने के लिए राज्य में माइनिंग सर्विलांस सिस्टम बनाने का प्रस्ताव बनाया गया है। इस सिस्टम में वाहन समेत मालिक और खनिज आदि का पूरा डाटा होगा। रेत, गिट्टी और पत्थर आदि खनिज लाने वाले वाहनों को माइनटैग लगवाना जरूरी होगा। खनिज अधिकारी को भी हैंड होल्ड एमचेक मशीन दी जाएगी। इसकी मदद से ओवरलोडिंग आदि नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों का चालान किया जाएगा।
उप्र में ठेकेदार के व्यय पर बनाए गए हैं चेकपोस्ट
मप्र के खनिज अधिकारियों की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में अवैध परिवहन की रोकथाम के लिए ठेकेदार के व्यय पर चेक पोस्ट स्थापित किए गए हंै। इसके अलावा ई-गेट भी बनाए गए हैं, यहां से रेत या अन्य खनिज से भरे वाहन के गुजरने पर वाहन में भरी हुई खनिज की मात्रा का आंकलन इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से होता है।
उत्तर प्रदेश में ये नीति है लागू
खनिज के अवैध परिवहन को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में वर्ष 2021 में अत्याधुनिक जांच चौकियां बनाई गई थी। यहां रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस (आरएफआइडी) विकसित किया गया है। मुख्य मार्गों के एंट्री प्वाइंट पर कैमरे लगाए गए हैं। यह कैमरे राज्य सरकार के साफ्टवेयर से जुड़े हुए हैं। कैमरे के सामने आते है सारी जानकारी मुख्यालय में बैठे अधिकारियों को मिल जाती है। गड़बड़ी पाए जाने पर आनलाइन चालान किया जाता है। खनिज परिवहन करने वाले वाहनों पर माइनटैग लगाया जाता है। हैंड होल्ड एमचेक मशीन से वाहन पर लगे माइनटैग को दूर से ही स्कैन कर लिया जाता है। यदि वाहन ओवरलोडिंग या अन्य नियमों का उल्लंघन करता है तो विभाग को इसका आनलाइन पता लग जाता है और चालान कट जाता है। चालान की सूचना वाहन मालिक के मोबाइल पर पहुंच जाती है। सात दिनों में चालान जमा न करने पर प्रकरण की न्यायालय में सुनवाई होती है।

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