अब कर्मचारियों का दिल जीतेगी सरकार

सरकार

सेवानिवृत्ति आयु में भी वृद्धि की कवायद

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर से अपने कर्मचारियों का दिल जीतने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार कर्मचारियों को एक साल की सेवा वृद्धि दे सकती है। यही नहीं उन्हें चार फीसदी डीए देने की भी तैयारी शासन व सरकार स्तर पर शुरू कर दी गई है। इससे यह तय हो गया है कि फिलहाल सूबे के कर्मचारियों के लिए पदोन्नति की राह  नहीं खुलने वाली है। यह कवायद इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर की जा रही है, जिससे की कर्मचारियों की नाराजगी को दूर किया जा सके। गौरतलब है कि इसके पहले भी प्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों की सेवा अवधि में दो साल की वृद्धि कर चुकी है।
यह सेवा वृद्धि बीते आम विधानसभा चुनाव के समय की गई थी। इस बार भी सरकार चुनावी साल में भी ऐसा ही कदम उठाने की तैयारी कर रही है। दरअसल सरकार पदोन्नति में आरक्षण के मामले में कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं। इसकी वजह है सरकारी स्तर पर लिए जाने वाले फैसले से राजनैतिक दुष्परिणाम की आशंका। यही वजह है कि प्रदेश सरकार इस मामले में को बीते कई सालों से लटकाए हुए हैं। दरअसल सरकार को आशंका है कि अगर वह पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त करती है तो उससे आरक्षित वर्ग नाराज हो जाएगा। यह वर्ग प्रदेश में बढ़ी संख्या मे है।  अगर ऐसा नहीं करती है तो दूसरा वर्ग नाराज हो जाएगा। गौरतलब है कि चिकित्सा शिक्षा का समस्त अमला और स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सक तथा नर्सों को (65 वर्ष) छोडक़र अन्य विभागों में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष है, जिसमें वृद्धि कर उसे 63 साल किए जाने की सुगबुगाहट चल रही है। सूत्रों का कहना है कि 26 जनवरी को मुख्यमंत्री द्वारा सेवानिवृत्ति आयु वृद्धि की घोषणा की जा सकती है।  प्रदेश में कर्मचारियों को फिलहाल 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है जो कि केंद्रीय कर्मचारियों से 4 फीसदी कम है। इसके साथ ही कर्मचारियों का बकाया देने का भी ऐलान किया जा सकता है। इन दिनों प्रदेश के सरकारी महकमें अफसरों व कर्मचारियों की कमी से बेहद परेशान चल रहे हैं। प्रदेश में करीब 5.50 लाख नियमित कर्मचारी है, इनमें से हजारों कर्मचारी हर साल बगैर पदोन्नति सेवानिवृत्त होने को मजबूर बने हुए हैं। इस फैसले के पीछे की एक और बड़ी वजह है प्रदेश सरकार का खजाना खाली होना, जिसकी वजह से सरकारी तिजोरी अधिक आर्थिक भार उठाने की स्थिति में नहीं है। दरअसल कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने पर स्वत्वों का एक साथ भुगतान करना होता है। एक वर्ष की सेवावृद्धि का निर्णय होने पर सरकार फिलहाल एकमुश्त भुगतान के आर्थिक भार से तो बच ही जाएगी , साथ ही सरकार का मानना है कि पदोन्नति और पुरानी पेंशन बहाली को लेकर आंदोलित कर्मचारियों की नाराजगी भी दूर हो जाएगी।
पूर्व में की जा चुकी है सिफारिश
इस मामले में राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेशचंद्र शर्मा पूर्व में ही राज्य सरकार को पत्र लिखकर अनुशंसा कर चुके हैं। उसमें उनके द्वारा लिखी गई नोट सीट में  कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 से बढ़ाकर 65 करने की अनुशंसा की गई थी। लेकिन उनके प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने अड़ंगा लगा दिया था, जिससे यह मामला अटका हुआ है।  
कई साल से अटकी पदोन्नति
बता दें कि मध्य प्रदेश में बीते कई सालों से पदोन्नति की प्रक्रिया रुकी हुई है। दरअसल साल 2016 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) अधिनियम 2002 को खारिज करते हुए पदोन्नति पर रोक लगा दी थी। इस अधिनियम में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने का प्रावधान था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले की सुनवाई पूरी होने तक यथास्थिति रखने के निर्देश दिए थे, जिसके चलते तभी से ही मध्य प्रदेश में पदोन्नति रुकी हुई है। इस दौरान करीब एक लाख कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही रिटायर हो चुके हैं।  
पहले भी बढ़ा चुके हैं दो वर्ष
प्रदेश में राज्य सरकार के कर्मचारियों की  2018 से पहले सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष थी, जिसमें दो साल की वृद्धि करते हुए सरकार ने वर्ष 2018 में 62 कर दिया था। अब एक बार फिर से चुनावी साल में सेवा अवधि दो वर्ष की बजाए एक वर्ष बढ़ाने पर विचार किर रहा है। दरअसल एक लाख नियमित पदों पर सरकारी भर्ती की कवायद तो जारी है लेकिन इसमें समय लगना स्वाभाविक है, चुनावी वर्ष में कामकाज प्रभावित होने पर सरकार के खिलाफ माहौल न बने इसलिए भी इस पर विचार किया जा रहा है।

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