अब उम्रदराज चिकित्सकों को भी सरकार देगी नौकरी

उम्रदराज चिकित्सकों
  • मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों की भर्ती में 10 साल छूट देने की तैयारी, डॉक्टर्स की कमी होगी पूरी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जिस उम्र में सरकारी नौकरी में कर्मचारियों की सर्विस आधी हो चुकी होती है, उस उम्र में अब मप्र सरकार चिकित्सकों को नौकरी देने की तैयारी मे है। इसके पीछे की वजह है, चिकित्सकों द्वारा सरकारी अस्प्तालों में सेवाएं देने में रुचि न होना। इसका खुलासा उस प्रस्ताव से हुआ है, जिसे हाल ही में चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने जीएडी को भेजा है। इसमें में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में होने वाली प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया में 10 साल की छूट देने का आग्रह किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लग सकती है। मेडिकल कॉलेजों में अब 50 साल की उम्र तक असिस्टेंड प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हो सकेगी। अभी तक अधिकतम आयु 40 वर्ष थी। इसके पीछे दिए गए तर्क में कहा जा रहा है किएमडी-एमएस की पढ़ाई पूरी करने में ही डॉक्टरों की उम्र 32 पार हो जाती है। इसके बाद उसे बांड अवधि भी पूरी करनी होती है। वहीं, यदि डॉक्टर का चयन सुपर स्पेशियलिटी में हो गया तो इसमें चार साल और लग जाते हैं। इसके बाद एक साल सीनियर रेजिडेंट के पद पर रहने के बाद ही डॉक्टर असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का पात्र होता है। इस पूरी प्रक्रिया में डॉक्टर की उम्र 40 साल पहुंच जाती है और भर्ती होने से उम्र सीमा पार होने से असिस्टेंड प्रोफेसर नहीं बन पाते।
पहले भी भेजा गया था प्रस्ताव
अधिकारियों ने बताया कि एक पहले भी मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंड प्रोफेसरों की नियुक्ति की उम्र सीमा बढ़ाने को लेकर प्रस्ताव भेजा जा चुका है। लेकिन तब जीएडी ने यह कहते हुए प्रस्ताव को वापस कर दिया था, कि किसी एक विभाग के लिए उम्र सीमा में बदलाव नहीं किया जा सकता है। ऐसे में इस बार चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने इसे विशेष प्रकरण बताकर जीएडी को भेजा है। इसके बाद इसे कैबिनेट में रखा जाएगा।
निजी मेडिकल कॉलेजों में नियम नहीं होगा लागू
इस प्रस्ताव में स्पष्ट तौर बताया गया है कि यह निजी मेडिकल कॉलेजों में लागू नहीं होगा। निजी कॉलेज अपने हिसाब से असिस्टेंट प्रोफेसरों की आयु सीमा तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। बता दें, कि अब तक शासकीय मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती के लिए 40 साल की आयु सीमा तय की गई है। वहीं, आरक्षित वर्ग को इसमें 5 साल की छूट देते हुए 45 वर्ष तय की गई है। सरकार के आधीन अभी सिंगरौली और श्योपुर मेडिकल कॉलेज में इस साल भर्ती प्रक्रिया शुरु होगी। मंडला, बुधनी और राजगढ़ मेडिकल कॉलेज में आगे साल से सत्र प्रारंभ होगा। इन कॉलेजों में नए नियमों के तहत ही भर्ती होगी।
मेडिकल कालेजों में भी संकट
राज्य सरकार हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलना चाह रही है। धड़ाघड़ घोषणाएं भी मुख्यमंत्री और मंत्री कर रहे हैं, लेकिन कालेजों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक ही नहीं मिल पा रहे हैं। इसके चलते हाल ही में सरकार को 5 में से केवल 3 कालेजों की अनुमति ही मिल सकी। फैकल्टीज की कमी के कारण एमसीआई ने मान्यता देने से मना कर दिया।
अब कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार: चिकित्सा शिक्षा
मंत्री शुक्ल मेडिकल कालेजों की फैकल्टीज को लेकर काफी गंभीर है। इसलिए जल्द ही यह प्रस्ताव कैबिनेट में भी आ जाएगा। विभाग इस मामले में एक बार झटका खा चुका है, इसलिए विभागीय मंत्री ने इस बार पुरानी कमियों को ध्यान में रखते हुए प्रस्ताव बनवाया है। इससे विभाग के अधिकारी भी प्रस्ताव को मंजूरी मिलने को लेकर आशांवित हैं। इससे सरकार को भी राहत मिल सकेगी। वैसे भी अगले सालों में प्रदेश में पीपीपी मोड पर कुछ और मेडिकल कालेज खोले जाने की तैयारी है।

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