भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग को अपनी कार्यशैली की वजह से परीक्षाओं का न केवल कई बार टाइम टेबिल बदलना पड़ गया , बल्कि अब उसे परीक्षा का स्वरुप तक बदलना पड़ रहा है। इसकी वजह से छात्रों के सामने मुसीबत बनी हुई है। दरअसल विभाग को लेटलतीफी का ऐसा रोग लगा हुआ है जो ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग की लेटलतीफी के चलते इस बार जनवरी में 9वीं से बारहवीं तक अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं ऐसे समय कराई जा सकीं, जब बच्चे वार्षिक परीक्षा की अंतिम तैयारी करते हैं। इस देरी की वजह से ही अब विभाग को प्री-बोर्ड परीक्षा का स्वरूप बदलना पड़ गया है। इसके तहत अब फरवरी में प्री- बोर्ड परीक्षा की जगह स्थानीय स्तर पर परीक्षा कराने का तय किया गया है। इसके तहत डीपीआई स्कूलों को प्रश्न पत्र देगा और बच्चे उन्हें घर पर ही हल करेंगे। स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में लेटलतीफी के चलते कोर्स पूरा नहीं हो पाया है। नियुक्ति प्रक्रिया में देरी के चलते स्कूलों में शिक्षकों की कमी पहले से ही बनी हुई है। अक्टूबर-नवंबर में खाली पदों के विरुद्ध अतिथि विद्वान रखने के आदेश दिए गए। इस कारण पहले तिमाही परीक्षा देर से हुई और फिर अक्टूबर में होने वाली छमाही परीक्षा जनवरी में आयोजित की गई। दोनों परीक्षाओं में देरी होने से 10वीं और 12वीं की प्री-बोर्ड परीक्षा का डीपीआई ने स्वरूप बदल दिया है। अब डीपीआई प्रश्न पत्र जिला स्तर पर विद्यार्थियों को भेजेगा। विद्यार्थी घर ले जाकर प्रश्न-पत्र हल करेंगे। अगले दिन कक्षा में आकर स्वयं आदर्श उत्तर के अनुसार उसका मूल्यांकन करेंगे। इसमें विद्यार्थियों की जो कमी सामने आएगी, उसे शिक्षकों द्वारा हल किया जाएगा।
पूरे साल से हैं प्रायमरी शिक्षकों की नियुक्ति का इंतजार
मार्च 2022 में प्रायमरी शिक्षकों की पात्रता परीक्षा हो चुकी है। इसी सत्र में सभी प्रायमरी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की बात कही गई थी, लेकिन अभी तक एक भी शिक्षक को नियुक्ति पत्र नहीं मिला है। वहीं माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति चार साल से चल रही है। इसकी पात्रता परीक्षा की दो बार वैधता बढ़ाई गई है। अभी भी दूसरी काउंसलिंग की प्रक्रिया चल रही है। अनुगूंज, बालरंग समेत कई कार्यक्रमों में शिक्षक व अधिकारी सालभर व्यस्त रहे । अब दसवीं-बारहवीं परीक्षा के लिए महज डेढ़ माह का समय बचा है। इसी बीच साइंस फेस्टिवल का नया कार्यक्रम शुरू हो रहा है। राजधानी में यह कार्यक्रम 21 से 25 जनवरी तक होगा। इसमें शिक्षक व अधिकारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।
तरसते रहे किताबों को गणवेश भी नहीं मिली
विभाग की लेटलतीफी किस हद तक है इससे ही समझी जा सकती है कि बच्चे किताबों के लिए पूरे समय परेशान होते रहे। सत्र शुरू होने के बाद जरूर रस्म अदायगी के लिए कुछ पुस्तकें बांटकर औपचारिकता जरूर कर ली गई, लेकिन कई मुख्य पुस्तकें सितंबर-अक्टूबर तक बच्चों तक पहुंच पाई। इसी तरह यूनिफार्म के लिए सालभर योजना बनती रही। अब सत्र की समाप्ति पर आ गया है , लेकिन अब भी यह पता नहीं है कि बच्चों को गणवेश कब मिलेगी।
13/01/2023
0
167
Less than a minute
You can share this post!