अब अगले माह से होगी ग्रामीणों से कर वसूली

  • चुनाव खत्म…राहत भी होगी समाप्त
  • विनोद उपाध्याय
कर वसूली

शहरों की तरह गांवों में संपत्ति, जल और स्वच्छता कर एक बार फिर से वसूला जाएगा। दरअसल, विधानसभा चुनाव को देखते हुए इसे बंद कर दिया गया था। लेकिन अब चुनाव खत्म हो गए हैं, इसलिए एक अगस्त से एक बार फिर से गांवों में संपत्ति, जल और स्वच्छता कर वसूले जाएंगे। सीईओ जिला पंचायत ऋतुराज सिंह का कहना है कि पंचायतों में स्वच्छता, जल और संपत्ति कर वसूलने की शुरूआत फिर की जा रही है। टैक्स सखियों के द्वारा कर कलेक्शन किया जाएगा। इससे पंचायतों में विकास कार्यों को गति मिलेगी। साथ ही कर वसूली की जिम्मेदारी एक बार फिर टैक्स सखी को दी जाएगी।
गौरतलब है कि पंचायतों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और विकास कार्यों को गति देने के लिए भोपाल की पंचायतों में टैक्स कलेक्शन की शुरुआत वर्ष 2022 में की गई थी। ठीक विधानसभा चुनाव से पहले करों की वसूली पर रोक लगा दी गई थी। तब तक 222 पंचायतों से करीब ढाई करोड़ रुपए कर के रूप में वसूले गए थे। अब शहर की तर्ज पर पंचायतों में संपत्ति, जल और स्वच्छता कर वसूलने की तैयारी एक बार फिर शुरू कर दी गई है। इसे भोपाल जिले की 222 पंचायतों में एक अगस्त से लागू कर दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में कर वसूली का कार्य टैक्स सखी द्वारा किया जाएगा।
टैक्स कलेक्शन की जिम्मेदारी सखी को
 जब यह योजना शुरू की गई थी, तब भोपाल जिले में 187 ग्राम पंचायत थी। वर्तमान में यह संख्या बढक़र 222 पहुंच गई है। हालांकि 187 पंचायतों से ही तोडक़र नई पंचायतों का गठन किया गया है। इनमें 614 गांव आते हैं। जिला प्रशासन ने इन गांवों में टैक्स कलेक्शन की जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूहों को दी हुई है। जिसमें एक पंचायत में दो महिलाएं टैक्स कलेक्शन का जिम्मा संभालती हैं। इन्हें टैक्स सखी नाम दिया गया है। ये महिलाएं गांवों से प्रॉपर्टी टैक्स, स्वच्छता कर, कमर्शियल टैक्स और जल कर वसूलने का कार्य फिर करेंगी। जनपद पंचायत फंदा की 77 पंचायतों में 4434 लोगों को संपत्ति कर के दायरे में रखा गया है। इनसे 81 लाख 30 रुपए की वसूली की जानी है। टैक्स कलेक्शन पर रोक लगने तक करीब 65 लाख रुपए की वसूली टैक्स सखी के द्वारा की गई थी। जनपद पंचायत बैरसिया की 110 पंचायतों में 7203 लोगों को संपत्ति कर के दायरे में रखा गया है। इनसे 47 लाख 19 हजार 748 रुपए की वसूली की जानी थी। टैक्स कलेक्शन पर रोक लगने तक करीब 35 लाख रुपए की वसूली की जा चुकी थी। इसी तरह जनपद पंचायत फंदा में करीब 25 लाख रुपए और बैरसिया जनपद में 11 लाख रुपए जल कर का वसूला गया था।
वाहनों के कबाड़ होने से गांवो में बंद हुआ कचरा उठना
केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल स्वच्छ भारत अभियान अब ग्रामीण इलाकों में ठप होता जा रहा है। इसकी वजह है इस काम में लगे वाहनों का रखरखाव के अभाव में कबाड़ हो जाना। इन वाहनों के सुधार के लिए ग्रामीण इलाकों में कोई पैसा नहीं मिल रहा है और ग्रामीण स्वच्छता कर के नाम पर पंचायतों को कुछ देते नही हैं। इसी तरह के कुछ हालात भोपाल में हैं। भोपाल के हालात देखकर समझा जा सकता है कि प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में क्या स्थिति होगी।
 ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता की अपील करते हुए बैनर, पोस्टर, स्लोगन और दीवारों पर बने चित्र जरूर नजर आ जाएंगे, लेकिन देखने को मिल सकते हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं बदला। गलियों में वहीं कूड़े के ढेर और उनमें मुंह मारते पशु पहले भी दिखते थे और अब भी दिखते हैं। अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार प्रशासन पर दबाव बनाती है। इसके बाद अधिकारी हाथ में झाडू लेकर फोटो खिंचवाते नजर आते हैं। सिलसिला इससे आगे नहीं बढ़ पाता है। यह हालात तब हैं, जब वर्ष 2023 में भोपाल जिला पंचायत को स्वच्छता के मामले देश में फाइव स्टार रेटिंग मिल चुकी है। दरअसल, शहरी इलाकों की तरह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता भारत अभियान शुरू किया गया। इसके तहत पंचायतों को कचरा उठाने के लिए 212 कचरा वाहन दिए गए थे। इसका संचालन पंचायत को करना था। कचरा उठाने के एवज में प्रत्येक परिवार को एक निश्चित राशि पंचायत को देनी थी। शुरुआत में तो इसका असर दिखा और स्वच्छता के मामले में भोपाल को पुरस्कार भी मिला, लेकिन समय के साथ यह व्यवस्था ठप सी हो गई। भोपाल की अधिकांश पंचायतों में कचरा उठाने की व्यवस्था वेंटिलेटर पर है। वाहन जर्जर हो गए हैं। बार-बार मेंटेनेंस के चलते इसे खड़ा कर दिया गया है। इलेक्शन के समय टैक्स कलेक्शन पर लगी थी रोक स्वच्छता और नलजल के लिए प्रत्येक परिवार से राशि पंचायत द्वारा ली जाती थी, लेकिन विधानसभा इलेक्शन के दौरान टैक्स लेने पर रोक लगा दी गई थी। यह रोक आज भी जारी है। सरपंचों का कहना है कि हमें घर से राशि लगानी पड़ रही है। अब हमने इससे मना कर दिया है। इस मामले में सरपंचों ने जनपद और जिला पंचायत सीईओ को लिखित में भी दिया है।
ढाई करोड़ वसूले गए थे टैक्स
दरअसल, करीब दो साल पहले पंचायतों में संपत्ति, जल और स्वच्छता कर लेने की शुरुआत की गई थी। ठीक विधानसभा चुनाव से पहले टैक्स कलेक्शन पर रोक लगा दी गई थी। तब तक 222 पंचायतों से करीब ढाई करोड़ रुपए कर के रूप में वसूले गए थे। दरअसल, विकास कार्यों के लिए खुद का फंड नहीं होने के कारण पंचायतें विकास कार्यों के लिए दूसरी निधियों के भरोसे रहती है। ऐसे में पंचायतों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और विकास कार्यों को गति देने के लिए भोपाल की पंचायतों में टैक्स कलेक्शन की शुरुआत वर्ष 2022 में की गई थी। इसके पीछे अफसरों की सोच थी कि गांव में प्रॉपर्टी टैक्स का कलेक्शन होने से पंचायत का खुद का फंड होगा। इससे वो विकास के काम कर सकेगी। इस टैक्स से स्ट्रीट लाइट, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, सीवेज, सड़क सहित अन्य विकास कार्य हो सकेंगे। पंचायतों में प्रॉपर्टी रुपए, स्वच्छता कर 50 रुपए, व्यवसायिक कर सालाना 1400 रुपए और जलकर के लिए 60 से 100 रुपए हर महीने चार्ज किया जाता है।

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