- पुलिस कर रही डाटा तैयार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रदेश में कई ऐसे अपराधी हैं, जो संगठित गिरोह बनाकर बार-बार अपराधों को अंजाम देते हैं, लेकिन पुलिस उन पर प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाती है। इसकी वजह से उनके हौसले बुलंद बने रहते हैं। अब ऐसे अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए एसटीएफ की मदद लेने की तैयारी है। इसके तहत न केवल एसटीएफ ऐसे अपराधियों पर नजर रखेगी बल्कि, उनके खिलाफ कार्रवाई करने में भी स्थानीय पुलिस की मदद भी करेगी।
प्रदेश में ऐसे कई अपराधी हैं, जो एक साथ गिरोह बनाकर लगातार अपराध करते रहते हैं। इसके बाद भी पुलिस को उनके बारे में पता नहीं चल पाता है। जब पुलिस उन्हें पकड़ती है तब पता चलता है कि एक ही तरह के लगातार होने वाले अपराध कौन कर रहा था। यही वजह है कि इनकी निगरानी का काम अब एसटीएफ द्वारा किया जाएगा। अपराधियों को लेकर मिलने वाली गुप्त सूचनाएं और उनसे संबंधित अन्य तरह की सभी जानकारियों भी एसटीएफ अपने स्तर पर जुटाएगी। जरूरत पर जिला पुलिस बल का सहयोग भी कुछ अपराधियों पर नजर रखने के लिए लिया जाएगा। इसके लिए प्रदेश की एसटीएफ ने कुल 12 सौ से अधिक अपराधियों की सूची तैयार की है। इस सूची में उन अपराधियों को शामिल किया गया, जिनके खिलाफ दो से अधिक गंभीर प्रकृति के अपराध दर्ज हो चुके हैं। इनमें ऐसे अपराधी भी शामिल हैं, जो जेल में सजा काटने के बाद बाहर आते ही अपराध करने लगते हैं।
इस तरह के अपराधियों पर खास नजर
एसटीएफ द्वारा जा सूची तैयार की गई है, उसमें अपराध की प्रकृति के आधार पर आठ अलग-अलग श्रेणियों में अपराधियों को रखा गया है। इसमें नारकोटिक्स, वन्य जीवों की तस्करी, अवैध हथियारों की खरीद-बिक्री, जुआ-सट्टा जैसे अपराध शामिल हैं। पुलिस के रडार में रहने से अब वह फिर अपराध करते हैं,ं तो जल्दी ही गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। इसके साथ ही उनसे संबंधित सभी तरह की जानकारियों का डाटा भी तैयार किया जा रहा है, जिससे की पूरी जानकारी जरूरत पर तत्काल मिल सके।
तस्करों पर रहेगा खास फोकस
पुलिस की नारकोटिक्स शाखा द्वारा चलाए जाने वाले विशेष अभियानों के दौरान भी मादक पदार्थों के अवैध कारोबार में पकड़े गए लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मादक पदार्थों का अवैध कारोबार करने वाले 25 हजार आरोपियों एवं अपराधियों का डाटा उनके पास है, जिसमें दो से अधिक बार अपराध करने वालों को चिह्नित किया गया है। अब ऐसे लोगों पर लगातार नजर रखी जा रही है, जिससे की अगर वे फिर से तस्करी शुरु करते हैं, तो उन पर तत्काल कार्रवाई की जा सके।
कैसे-कैसे मामले
नारकोटिक्स के प्रकरण में उज्जैन के एक आरोपी जब दस साल की सजा काटने के बाद जले से छूटा तो वह फिर से मादक पदार्थीं की तस्करी में लग गया। जिसे हाल ही में पुलिस ने फिर से गिरफ्तार किया है। भोपाल में एमडी ड्रग मामले में गिरफ्तार किए गए मंदसौर के हरीश आंजना के विरुद्ध पहले से ही चार प्रकरण दर्ज थे। इसके बाद भी मादक पदार्थों के अवैध कारोबार को वह धड़ल्ले से चला रहा था। अगर पुलिस की खुफिया नजर लगातार उस पर रहती तो पहले ही उसके गिरोह को दबोच लिया जाता और प्रदेश की पुलिस व नारकोटिक्स विभाग की बदनामी होने से भी बच जाती।