अब प्रदेश के थानों में बतौर रिश्वत नहीं देनी होगी स्टेशनरी

पुलिस मुख्यालय

टीआई और आईओ डिजिटल पेमेंट के माध्यम से स्टेशनरी खरीदकर मुख्यालय से इसका भुगतान ले सकेंगे

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। 
मध्यप्रदेश में शायद ही ऐसा कोई थाना हो जहां पर फरियादी से बतौर रिश्वत स्टेशनरी न ली जाती हो। खास बात यह है कि यह रिश्वत भले ही अघोषित तौर पर ली जाती है , लेकिन उसे घोषित तौर पर ही माना जाता है। इस मामले की जानकारी आरक्षक से लेकर आला अफसर तक को रहती है। इसके बाद भी मजाल है कि कोई इस पर रोक लगा सका हो , लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसकी वजह है इस बार पुलिस मुख्यालय के बजट में थानों की स्टेशनरी के लिए दस करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया जाना। इससे न केवल पुलिस थानों में पहुंचने वाले फरियादियों को राहत मिलेगी , बल्कि पुलिसकर्मियों को भी अब उनके सामने स्टेशनरी के लिए हाथ फैलाने से मुक्ति मिल जाएगी।
दरअसल थानों के लिए स्टेशनरी के किसी तरह के बजट का प्रावधान न होने की वजह से शिकायत आवेदन से लेकर बयानों को दर्ज करने के लिए या तो पुलिसकर्मी  अपनी जेब से कागज और कार्बन का इंतजाम करें या फिर फरियादी से मंगाए। प्राय: यह सामान फरियादी से ही मंगाया जाता है। इस परेशानी को देखते हुए अब इस साल के बजट में अलग से इसके लिए दस करोड़ रुपए का इंतजाम किया गया है। इससे थानों में एफआईआर से लेकर अन्य कागजी कार्यवाही के लिए न तो फरियादी की फजीहत होगी और न ही विवेचक को अपनी जेब से राशि खर्च करना होगी। थाने में फरियादी लेकर आने वाले व्यक्ति से पेपर का बंडल या फोटोकॉपी मशीन का टोनर खरीदने के लिए विवेचक के दवाब को लेकर पुलिस पर कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते थे। पुलिस मुख्यालय की योजना शाखा ने पहली बार इस समस्या का निराकरण किया है। थाना प्रभारी और विवेचना अधिकारी को इमरजेंसी अधिकार दिए हैं। इसके तहत यदि एसपी थाने में स्टेशनरी की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं तो टीआई या आईओ डिजिटल पेमेंट कर जरूरी स्टेशनरी खरीद सकेंगे। डिजिटल पेमेंट की रिसीव्ड दिखाकर एसपी ऑफिस से भुगतान की गई राशि को प्राप्त कर सकेंगे। इसी तरह के ही अधिकार विवेचक को भी दिए गए हैं।
कई विवेचनाएं पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क या अन्य तकनीकी उपकरण न होने का हवाला देकर लंबित रह जाती हैं , लेकिन अब इस तरह के बहाने नहीं चल सकेंगे। दस करोड़ के बजट में स्टेशनरी के लिए करीब चार करोड़ और अनुसंधान के लिए करीब छह करोड़ रुपए अलग से आवंटित किए गए हैं। इसमें हर जिले को उसकी कैटेगरी के अनुसार बजट आवंटित किया गया है। इसके पहले तक सिर्फ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए ही स्टेशनरी का बजट दिया जाता था। इसकी वजह से पुलिस मुख्यालय को लगातार शिकायतें मिल रहीं थीं कि स्टेशनरी लाने के लिए फरियादी पर दबाव बनाया जाता है। विवेचना अधिकारी स्टेशनरी की कमी होने का हवाला देकर भी ऐसा करते हैं। सूत्रों के मुताबिक शासकीय मुद्रणालय से स्टेशनरी व अन्य फॉर्म पूर्व के नियमों के अनुसार खरीदे जाएंगे।
 थानों में स्टेशनरी की कमी न रहे इसका जिम्मा पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया है। खास बात यह है कि अनुसंधान के बजट से सैनिटाइजर या अन्य सफाई सामग्री की खरीदी नहीं की जा सकेगी। सेनेटाइजर आदि के लिए भी  जिलों को अलग से राशि दी गई है। थानों में स्टेशनरी की खरीदी के लिए बजट हर जिले के आकार के हिसाब से दिया गया है। इसमें सर्वाधिक बजट करीब 25 लाख रुपए भोपाल जिले को दिए गए हैं। इसके अलावा इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर, सागर और रीवा जैसे बड़े जिलों को भी 15 से 20 लाख रुपए दिए गए हैं।  

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