- भ्रष्टाचारियों पर सरकार सख्त
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में मोहन सरकार सुशासन मोड में काम कर रही है। ऐसे में सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर लगातार नकेल कस रही है। इसी कड़ी में अब सरकार ने जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त प्रमुख अभियंता राजीव कुमार सुकलीकर के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दी है। गौरतलब है कि डॉ. मोहन यादव जब से मुख्यमंत्री बने हैं भ्रष्टों के खिलाफ लगातार अभियोजन की स्वीकृति दी जा रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भ्रष्टाचारियों पर सख्त निर्णय लेने में पीछे नहीं हट रहे हैं। एक महीने के भीतर जल संसाधन विभाग के दो सेवानिवृत्त प्रमुख अभियंता के खिलाफ भ्रष्टाचार के अलग-अलग मामलों में शासन ने ईओडब्ल्यू को अभियोजन की स्वीकृति दी है। पहली अभियोजन की स्वीकृति जल संसाधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता एमजी चौबे के खिलाफ दी थी। चौबे लंबे समय तक विभाग के प्रमुख अभियंता रह चुके हैं। दूसरी स्वीकृति कमलनाथ सरकार के जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता रहे राजीव कुमार सुकलीकर के खिलाफ दी है। खास बात यह है कि ईओडब्ल्यू ने इस मामले में मौजूदा प्रमुख अभियंता शिरीष कुमार मिश्रा को भी आरोपी बनाया था, लेकिन अभियोजन की स्वीकृति लेने से पहले ही प्रकरण से शिरीष मिश्रा का नाम हटा दिया गया था।
पूर्व एसीएस गोपाल रेड्डी का भी नाम
जल संसाधन विभाग ने राजीव सुकरणीकर के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति का जो आदेश जारी किया है। उसमें विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी का भी नाम है। सुकलीकर ने जांच एजेंसी को बताया कि उनके कार्यकाल में 7 कामों के लिए ठेकेदारों को कार्यपूर्व भुगतान किया गया था, उसके लिए तत्कालीन अपर मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी ने मौखिक निर्देश दिए थे। आदेश में मैसर्स मेंटोना के नाम का भी उल्लेख है। कमलनाथ सरकार के समय 7 निर्माण कार्यों के लिए ठेकेदारों को 3333 करोड़ रुपए का समय पूर्व भुगतान करने के मामले में ईओडब्ल्यू ने जल संसाधन विभाग के 3 अधिकारियों को आरोपी बनाया था। डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही विभाग के अधिकारी भी बदल गए। इस बीच जांच एजेंसी ने अपराधिक प्रकरण से एक आटोपी शिरीष मिश्रा का नाम हटा दिया। इसके बाद शिरीष मिश्रा को भारी विरोध के बीच विभाग के प्रमुख अभियंता (ईएनसी) बनाया गया। मिश्रा की संविदा नियुक्ति के करीब 7 महीने बाद राज्य शासन ने अभियोजन की स्वीकृति भी दे दी।
3333 करोड़ रुपए का कार्य पूर्व भुगतान
जानकारी के अनुसार, जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता रहे राजीव कुमार सुकलीकर के कार्यकाल में 7 सिंचाई परियोजनों के लिए ठेकेदारों को 3333 करोड़ रुपए का कार्य पूर्व भुगतान कर दिया गया था। बाद में सरकार बदलने पर इस मामले में ईओडब्यू में शिकायत दर्ज की गई। ईओडब्ल्यू ने शिकायत की जांच के आधार पर ठेकेदारों को 3333 करोड़ रुपए का कार्य पूर्व भुगतान करने के मामले में तत्कालीन प्रमुख अभियंता राजीव सुकलीकर, मुख्य अभियंता शरद श्रीवास्तव और तत्कालीन अधीक्षण यंत्री एवं प्रभारी मुख्य अभियंता शिरीष मिश्रा के खिलाफ जालसाजी एवं धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया था। ईओडब्ल्यू ने शुरूआती जांच में तीनों को आरोपी बनाया और ठेकेदारों को समयपूर्व भुगतान करने के एवज में संलिप्तता पाई। जांच एजेंसी ने प्रकरण से अचानक शिरीष मिश्रा का नाम हटा दिया। मोहन सरकार ने साल भर पहले सेवानिवृत्त हो चुके अधीक्षण यंत्री शिरीष मिश्रा को संविदा नियुक्ति दे कर प्रमुख अभियंता बना दिया है।