अब प्रदेश में 3 और फोरेंसिक लैब शुरू करने की तैयारी

 फोरेंसिक लैब

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अपराधों से संबंधित मामले फोरेंसिक जांच रिपोर्ट के अभाव में लंबे समय तक लंबित पड़े रहते हैं। इसकी वजह से पीडि़तों को समय पर न्याय नही मिल पाता है। इससे जहां पीडि़त लंबे समय तक परेशान होते रहते हैं, तो वहीं न्यायालयों में भी लंबित मामलों की संख्या में दिन व दिन वृद्धि होती रहती है। इस स्थिति को देखते हुए अब प्रदेश की डां मोहन सरकार फोरेंसिक लैबों की संख्या में वृद्धि करने पर लगातार काम कर रही है। इसके तहत अब  उज्जैन, नर्मदापुरम और शहडोल जिला मुख्यालय में भी फारेंसिक सैंपलों की जांच के लिए लैब शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। इन तीनों फोरेंसिक लैबों के शुरु होने से प्रदेश में इस तरह की लैबों की संख्या दस हो जाएगी। इनके खुलने से लाभ यह होगा कि जिन सेंपलों की जांच के लिए एक से डेढ़ वर्ष तक का इंतजार करना पड़ता है, उसके समय में बचत होगी।  दरअसल, देशभर में एक जुलाई से तीन कानूनों के नए स्वरूप में प्रभावी होने के बाद त्वरित न्याय देने का दावा किया गया है। इसमें विलंब का बड़ा कारण समय पर साक्ष्य प्रस्तुत नहीं हो पाना है। इनमें भी फोरेंसिक सैंपलों की जांच अहम होती है। प्रदेश की वर्तमान पांच लैब की क्षमता कम होने के कारण विभिन्न जिलों के 20 हजार से अधिक सैंपल जांच के लिए लैबों में रखे हुए हैं।
इस माह शुरु हो जाएंगी दो नई लैब
जांच जल्दी करने के लिए सरकार रीवा और रतलाम में भी फोरेंसिक लैब इसी माह से प्रारंभ करने की तैयारी में है। अभी सागर, भोपाल, ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर में फोरेंसिक सैंपलों की जांच के लिए लैब है। जबलपुर की लैब पिछले माह से ही प्रारंभ हुई है। रीवा और रतलाम की लैब के लिए सभी उपकरण आ गए हैं। मानव संसाधन की व्यवस्था की जा रही है। रीवा और रतलाम में प्रतिमाह लगभग 200 सैंपलों की जांच की सुविधा मिलेगी। प्रस्तावित तीन नई लैबों की क्षमता भी दो सौ सैपंलों की हर माह जांच की होगी। जिनकी क्ष्मता में जरुरत के हिसाब से वृद्धि की जा सकती है।  गौरतलब है कि फारेंसिक सैंपलों में लगभग 90 फीसदी विसरा के होते हैं, जिनकी जांच से यह पता चलता है कि कोई जहरीली चीज का अंश तो शरीर में नहीं मिला है।  

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