अब स्कूलों में टीचिंग स्टाफ तैयार करेंगे खिलाड़ी

टीचिंग स्टाफ
  • प्रदेश में 14 साल से नहीं हुई स्पोर्ट्स टीचर की भर्ती

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार प्रदेश में ऐसे खिलाड़ी तैयार करना चाहती है, जो ओलंपिक और एशियाड में मेडल जीत सके। लेकिन हैरानी की बात यह है की स्पोटर््स की पहली पाठशाला यानी स्कूलों में स्पोर्ट टीचर ही नहीं है। इसकी वजह है प्रदेश में पिछले 14 साल से स्पोर्ट्स टीचर ही नहीं है। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग ने टीचिंग स्टाफ को खिलाड़ी तैयार करने की जिम्मेदारी देने जा रहा है।
प्रदेश में हर साल तकरीबन 3950 स्पोर्ट्स ग्रेजुएट निकलते हैं। लेकिन 14 साल से कोई वैकेंसी नहीं निकलने के कारण स्कूलों में स्पोर्ट्स टीचर की कमी है। ऐसे में लोक शिक्षक संचालनालय ने स्पोर्ट्स टीचर तैयार करने का ऐसा फामूर्ला तैयार किया है, जिससे 5 दिन में हिंदी, गणित, विज्ञान के शिक्षकों को ट्रेनिंग देकर स्पोर्ट्स टीचर बना दिया जाएगा।
स्पोर्ट्स टीचर के पर खाली पड़े
प्रदेश के स्कूलों में स्पोर्ट्स टीचर के पद हैं। लेकिन वे खाली पड़े हुए हैं। ऐसा नहीं है कि प्रदेश में खेल प्रशिक्षक न हों। हमारे प्रदेश में खेल में ग्रेजुएशन कराने वाले 39 कॉलेज हैं। इनमें से हर साल 3950 खेल प्रशिक्षक निकलते हैं, लेकिन प्रदेश में इनके लिए 2008 के बाद से वैकेंसी नहीं निकली हैं। शिक्षा विभाग में कार्यरत अर्जुन अवॉर्डी राजेश यादव कहते हैं कि अगर राज्य-राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों को अतिथि प्रशिक्षक बनाकर भी अस्थायी अपाइंट किया जाए तो हमारे गांवों से ऐसे खिलाड़ी निकलेंगे जो देश का नाम रोशन करेंगे। ये प्रयास तो खेल का माहौल बनाने के लिए है।
5 दिन में चयनित 14 खेलों का प्रशिक्षण देंगे
लोक शिक्षक संचालनालय के फार्मूले के अनुसार, स्पोर्ट्स टीचर की कमी को पूरा करने के लिए अनूठा तरीका निकाला  गया है, जिसके अनुसार सरकारी स्कूल के हिंदी, गणित, विज्ञान के शिक्षक को सिर्फ 5 दिन में खेल प्रशिक्षक बनाया जाएगा। ये ऐसे शिक्षक होंगे, जिन्होंने कभी हाथ में न गेंद पकड़ी और न ही खेलों से या फिजिकल फिटनेस से कोई वास्ता रहा। ये शिक्षक स्कूल में अपने विषय तो पढ़ाएंगे ही, साथ ही 5 दिनी ट्रेनिंग लेकर खेल प्रतिभा को निखारकर देश-दुनिया के सामने ला सकेंगे। इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर धीरेंद्र चतुर्वेदी का कहना है कि 5 दिन में 14 खेलों का प्रशिक्षण देकर प्रभारी खेल प्रशिक्षक बनाएंगे। हम चाहते हैं कि जैसे लाइब्रेरियन नहीं होने पर लाइब्रेरी का चार्ज देते हैं वैसे ही खेल प्रशिक्षक न होने पर दूसरे विषय के शिक्षकों को खेल इंचार्ज बना सकें।

Related Articles