अब लोगों को समय पर मिल सकेगा न्याय

न्याय
  • अप्रैल से डीएनए और फोरेंसिक की जांच होगी तेज

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में डीएनए और फोरेंसिक लैब की कमी के कारण दुष्कर्म एवं अन्य संगीन अपराधों से जुड़े नमूनों की जांच समय पर नहीं हो पा रही है। इस कारण लोगों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है। इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार रीवा, रतलाम और जबलपुर में नए लैब बनवा रही है। संभावना जताई जा रही है कि इन लैबों में अप्रैल से डीएनए और फोरेंसिक की जांच शुरू हो जाएगी। यानी इसके बाद लोगों को समय पर न्याय मिलने लगेगा और अपराधियों को सजा।
गौरतलब है कि प्रदेश में दुष्कर्म एवं अन्य संगीन अपराधों से जुड़े नमूनों की जांच लैबों में अटकी हुई हैं। इस वजह से लोगों को समय पर न्याय मिलने में देरी हो रही है। मौजूदा स्थिति में मप्र की सभी लैबों में हजारों नमूने लंबित हैं। दूसरी लैंबों पर निर्भरता कम करने के लिए 1 अप्रैल से तीन जिले रीवा, रतलाम और ग्वालियर में नई लैब शुरू होंगी। इसके लिए अलग से स्टॉफ रखने की अनुमति मांगी जाएगी। प्रदेश में रीवा और रतलाम में फोरेंसिक नमूनों और जबलपुर में डीएनए नमूनों की जांच के लिए नई लैब इसी वर्ष एक अप्रैल से शुरू करने की तैयारी है। डीएनए लैब में हर माह 200 और प्रत्येक फोरेंसिक लैब में प्रतिमाह 150 से 200 नमूनों की जांच की जा सकेगी। तीनों लैब का सिविल कार्य पूरा हो चुका है। भवन बनाने में 13 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। अधिकारी और अन्य कर्मचारियों के 38 पद स्वीकृत हैं, जिन्हें भरने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। इसके अतिरिक्त उपकरणों की खरीदी के लिए एक-दो दिन में निविदा जारी होगी।
अभी प्रदेश में 4 लैब
अभी सागर, भोपाल, ग्वालियर और इंदौर में फोरेंसिक लैब हैं। यहां बायोलाजिकल, केमिकल और जहर संबंधी (टाक्सिकोलाजिकल) सैंपलों की जांच हो रही है। इनमें सर्वाधिक सैंपल टाक्सिकोलॉजी के होते हैं। सागर में सबसे ज्यादा प्रतिमाह 800 से 1000 सैंपलों की जांच की जाती है। इसी तरह डीएनए के 10 हजार से अधिक सैंपल जांच के लिए रखे रहते थे। पहले सिर्फ भोपाल और सागर में सैंपलों की जांच हो रही थी। इसके बाद इंदौर में बीते साल जनवरी में डीएनए सैंपलों की जांच शुरू हुई। इसी वर्ष ग्वालियर की लैब भी शुरू हुई। जांच क्षमता बढऩे से लंबित सैंपलों की संख्या 10 हजार से घटकर सात हजार हो गई है। डायरेक्टर फोरेंसिक साइंस लैब भोपाल शशिकांत शुक्ला का कहना है कि रीवा, रतलाम और जबलपुर की लैब एक अप्रैल से शुरू करने की तैयारी है। भवन तैयार हैं। उपकरण खरीदी की प्रक्रिया एक-दो दिन में शुरू हो जाएगी।
46 हजार नमूने लैबों में लंबित
बता दें कि प्रदेशभर के डीएनए के सात हजार और फोरेंसिक के 38 हजार सैंपलों की जांच लैब की क्षमता कम होने की वजह से अटकी हुई है, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। डीएनए जांच के लिए लंबित नमूनों में लगभग 80 प्रतिशत जांच दुष्कर्म से संबंधित हैं। इस कारण पीडि़त को न्याय नहीं मिल पा रहा है। दो वर्ष पहले तक प्रदेशभर के फोरेंसिक के 40 हजार से अधिक नमूनों की जांच अटकी थी।

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