
- ओंकारेश्वर के मांधाता पर्वत पर आदि गुरु शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। ओंकारेश्वर स्थित ओंकार पर्वत पर आज एक नया इतिहास बन गया है। संकल्प से ही सिद्धि की प्राप्ति होती है। इस ध्येय वाक्य को शिवराज सरकार ने धरातल पर साकार करके दिखाया है। शिव का संकल्प हो साकार एकात्म धाम ले रहा आकार…. इसी मंत्र के साथ ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में मांधाता पर्वत पर आज आद्य शंकराचार्य की विश्व की ऊंची (108 फुट) बाल रूप प्रतिमा का शंकरावतरणम् समारोह दिव्य- भव्य रूप में चल रहा है। इसके साथ ही यह तो तय है कि अब सनातन के भाव को प्रचारित-प्रसारित करने के साथ धार्मिक नगरी ओंकारेश्वर आस्था विश्वास एवं अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा देने का निमित्त बनेगी। उज्जैन में महाकाल लोक के बाद आर्थिक गतिविधियां बढ़ी, वैसे ही ओंकारेश्वर में एकात्म धाम के बाद नया परिदृश्य उभरेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ओंकारेश्वर में आज गुरुवार को गुरु शंकराचार्य को समर्पित एकात्मता की मूर्ति का अनावरण और अद्वैत लोक का भूमि-पूजन किया गया है। ओंकारेश्वर के मांधाता पर्वत पर चल रहे विशेष कार्यक्रम शंकरावतरणम और ब्रह्मोत्सव में एकात्म धाम बनकर तैयार होगा तो मालवा-निमाड़ के पर्यटन में बड़ा बदलाव दिखेगा?
पुस्तकों का करेंगे विमोचन
सिद्धवरकूट पर ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम में मुख्यमंत्री दोपहर 3 बजे आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकात्म न्यास द्वारा प्रकाशित एकात्म धाम और अद्वैत युवा जागरण शिविर आधारित पुस्तकों का विमोचन करेंगे। इस अवसर पर आचार्य शंकर के स्रोतों पर एकाग्र शिवो हम समवेत नृत्य की प्रस्तुति होगी। एकात्मता की यात्रा फिल्म का प्रदर्शन किया जाएगा।
भगवामय हुआ ओंकारेश्वर
ओंकारेश्वर से सात किमी पहले कोठी से ही भगवा रंग की ध्वज पताकाएं लहरा रहीं हैं। मुख्य मार्गों पर भी भगवा रंग के ध्वज लगाए गए हैं। आदि शंकराचार्य ब्रह्मविद्या पीठ उत्तरकाशी के आचार्य स्वामी हरि ब्रम्हा नंद जी ने बताया कि 35 से ज्यादा संत पाठ कर रहे हैं। यही नहीं यहां पर बीते कई दिनों से अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी जारी हैं। इनका समापन आज हो रहा है। उधर, आदि गुरु शंकराचार्य के मूर्ति अनावरण अनावरण के दौरान ओंकार पर्वत ऊं नम: शिवाय के जयघोष से गूंज उठा। मुख्यमंत्री ने इस दौरान मूर्ति अनावरण लिफ्ट के माध्यम से आदि गुरु के चरणों में पुष्प चढ़ाकर नमन किया।
350 से अधिक कलाकारों की प्रस्तुति
संपूर्ण भारत से आमंत्रित किए गए साधु संत और सांस्कृतिक एकता के सूत्र धार आदि गुरु शंकराचार्य जी की मूर्ति का अनावरण के ऐतिहासिक पलों के कार्यक्रमों को विभिन्न शैलियों में 350 से अधिक केरल से आए कलाकार अपनी प्रस्तुतियां प्रस्तुत कर रहे हैं। ओंकारेश्वर पहुंचे मुख्यमंत्री चौहान ने कार्यक्रम के शुरुआत में मांधाता पर्वत पर शंकरावतरणम कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर संतों के साथ वैदिक यज्ञ अनुष्ठान में आहुति दी। इस दौरान देशभर के शैव परंपरा के नृत्यों की प्रस्तुतियां भी दी गईं।
एकात्मता की मूर्ति
– 108 फीट की बहु-धातु मूर्ति 12 वर्ष की आयु के आचार्य शंकर की है।
– मूर्ति के आधार में 75 फीट का पैडेस्टल है।
– यह मूर्ति पत्थर से बने 16 फीट के कमल पर स्थापित है।
– यह प्रतिमा विख्यात चित्रकार वासुदेव कामत के द्वारा बनाए गए चित्र के आधार पर बनाई गई है।
– 100 टन की प्रतिमा में 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक, 8 प्रतिशत टिन का उपयोग किया गया है।
– कुल 290 पैनल से यह मूर्ति निर्मित की गई है।
– भूमि सतह से मूर्ति के आधार तल तक 45 फीट का स्तंभ है। इसके ऊपर कमल पर मूर्ति को विराजित किया गया है। इसे शंकर स्तंभ का नाम दिया गया है।
– समग्र अधोसंरचना के निर्माण में उच्च गुणवत्ता के 250 टन के स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है।
– कंक्रीट के पैडस्टल की डिजाइन 500 वर्ष तक की अवधि को ध्यान में रखकर की गई है।