भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र का राजस्व विभाग इन दिनों तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की बड़ी कमी से जूझ रहा है। यह पद फिलहाल इस साल भी भरे जाने की संभावना बेहद ही कम है। इस वजह से इस विभाग को अभी एक साल और इंतजार करना पड़ सकता है।
इन रिक्त पदों को भरने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग को पत्र लिखा जा चुका है , लेकिन कोरोना की स्थिति को देखते हुए इस मामले में अब तक कोई निर्णय आयोग नहीं कर पा रहा है। दरअसल कोरोना का असर मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के कामकाज पर भी पूरी तरह से पड़ना तय माना जा रहा है। राजस्व विभाग ऐसा विभाग है जिसमें सर्वाधिक आम आदमी का सरोकार रहता है। यही वजह है कि इस विभाग में कामकाज का बोझ अधिक रहता है। ऐसे में अमले की कमी की वजह से विभाग की चुनौतियां और अधिक बढ़ जाती हैं। सबसे अधिक काम होने के बाद भी इस विभाग में इन दिनों बड़ी संख्या में पटवारी से लेकर तहसीलदार तक के पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। यह ऐसा विभाग है, जिस पर प्राकृतिक आपदा की स्थिति में फसलों के सर्वे करने से लेकर सभी तरह के नुकसान के आंकलन का भी जिम्मा भी होता है। इसकी वजह से ऐसे में विभाग का काम और बढ़ जाता है।
अन्य पदों के यह हैं हाल
राजस्व विभाग में मुख्य रुप से राजस्व निरीक्षक और पटवारी को रीढ़ की हड्डी माना जाता है। इन दोनों ही पदों के कर्मचारियों के काम के आधार पर ही विभाग के कामकाज का आंकलन होता है। इसके बाद भी प्रदेश सरकार इन दोनों ही संवर्ग के रिक्त पदों को भरने में कोई रुचि नहीं ले रही है। प्रदेश में 21000 से अधिक पंचायत क्षेत्रों के लिए 19163 पद पटवारियों के स्वीकृत हैं, लेकिन फिलहाल 17533 पटवारी के पद भरे हुए हैं। इसी तरह से स्वीकृत पदों के हिसाब से राजस्व निरीक्षक के भी 542 पद रिक्त चल रहे हैं। अभी विभााग में महज 1625 राजस्व निरीक्षक ही कार्यरत है।
नायब तहसीलदारों के एक तिहाई पद रिक्त
तहसीलदारों की ही तरह नायब तहसीलदारों के पद भी खाली पड़े हुए हैं। प्रदेश में नायब तहसीलदार के 1234 पद स्वीकृत हैं , लेकिन फिलहाल मात्र 744 नायब तहसीलदार के ही पद भरे हुए हैं। इस तरह से 490 पद रिक्त चल रहे हैं। इस तरह से एक तिहाई पद रिक्त होने से नायब तहसीलदारों पर भी काम का दबाव बना रहता है।
तहसीलदारों के आधे से अधिक पद रिक्त
विभाग में वैसे तो तहसीलदार के 606 पद स्वीकृत हैं, लेकिन कार्यरत महज 266 हैं। इस तरह से 340 पद खाली पड़े हुए हैं। इस वजह से कई तहसीलदारों को तो दो से लेकर तीन तहसीलों का कामकाज देखना पड़ रहा है। जिसकी वजह से उनका अधिकांश समय इन तहसीलों में आने जाने में ही निकल जाता है। इसकी वजह से उनका कामकाज भी बुरी तरह से प्रभावित होता है। ऐसे में वे आम लोगों को भी नहीं मिल पाते हैं।