अब अंग्रेजों के जमाने के कानून बदलेगी मप्र सरकार

  • प्रदेशवासियों की सुविधा को देखते हुए होंगे कई बदलाव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के विभागों में अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कुछ कानूनों को सरकार बदलने की तैयारी कर रही है। दरअसल, वर्तमान स्थिति और परिस्थिति को देखकर नए कानूनों को अमलीजामा पहनाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने 9 विभागों के 13 कानून को बदलने की तैयारी कर चुकी है।
इसके लिए विभागों से प्रस्ताव मंगाए गए हैं। लेकिन अभी तक विभागों ने कोई जवाब नहीं भेजा है। गौरतलब है कि प्रदेश में आजादी के 77 साल बाद भी विभागों में अंग्रेजों के समय के कानून चल रहे हैं। मोहन यादव सरकार आजादी के पहले से लागू 9 विभागों के नियमों और अधिनियमों में बदलाव करना चाहती है। इसके लिए सरकार ने तैयारी कर ली है, लेकिन इन विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अधिकारी यह नहीं बता पा रहे हैं कि उनके विभाग के कितने नियम निरस्त किए जा सकते हैं या मौजूदा परिस्थितियों में किन नियमों में संशोधन की जरूरत है। यह स्थिति तब है जब विधि विभाग ने संबंधित विभागों को उनके डिपार्टमेंट से संबंधित बदलाव के दायरे में आने वाले नियमों की पूरी जानकारी भी दे रखी है।
9 विभागों से मांगी गई जानकारी
विधि और विधायी कार्य विभाग ने 9 विभागों से उनके पुराने नियमों और अधिनियमों की समीक्षा कर उन्हें निरस्त या संशोधित किए जाने को लेकर जानकारी मांगी है। इसके लिए विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को पत्र भेजे गए हैं। जिन विभाग से जानकारी मांगी गई है, उनमें जल संसाधन विभाग, गृह विभाग, उद्योग और व्यापार विभाग, नगरीय विकास और आवास विभाग, वाणिज्यिक कर विभाग, पशुपालन विभाग, राजस्व विभाग, किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग शामिल है। इन विभागों के जिन कानूनों को बदला जाना है उनमें कैटल डिजीजेज एक्ट (सेंट्रल प्रोविंस रीजन) 1934, स्लॉटर ऑफ एनिमल्स एक्ट 1915, एडजस्टमेंट एंड लिक्विडेशन आफ इंडस्ट्री वर्कर्स डेब्ट एक्ट 1936, एक्साइज एक्ट 1915, ओपियम एक्ट (सेंट्रल प्रोविंस रीजन) 1929, फैमिन रिलीफ एंड एक्ट 1937, डेब्ट कैसिलेंशन एक्ट 1933, रेगुलेशन ऑफ कोचिंग एक्ट (सेंट्रल प्रोविंस रीजन) 1944, मनी लेंडर्स एक्ट 1934, प्रोटेक्शन ऑफ डेब्टर्स एक्ट 1937, विद्यामंदिर एक्ट 1940, ग्रांट्स इन एड टू लोकल बॉडीज एक्ट 1934 तथा इरिगेशन एक्ट 1937 (सेंट्रल प्रोविंस रीजन) आदि शामिल हैं। विधि विभाग ने चार महीने पहले ही इन विभागों से जानकारी मांगी थी। इस दौरान विभाग ने तीन बार पत्र भी भेजे, लेकिन संबंधित अधिकारी यह नहीं बता पाए हैं कि उनके विभाग के कौन-से नियम और अधिनियम अब प्रासंगिक नहीं हैं, जिन्हें निरस्त या संशोधित किया जाना चाहिए।
13 कानून बदलेगी मप्र सरकार
मोहन सरकार आजादी के पहले से अंग्रेज शासनकाल में लागू किए गए 13 एक्ट को बदलने जा रही है। विधि और विधायी कार्य विभाग का कहना है कि जिन विभागों में ऐसे अधिनियम और नियम लागू हैं जो देश की स्वतंत्रता से पहले बनाए गए थे, उन्हें या तो निरस्त किए जाने की जरूरत है या फिर मौजूदा हालात के अनुसार उनमें संशोधन किया जाना चाहिए। ऐसे नियमों की जानकारी संबंधित विभागों से शीघ्र मांगी गई है, ताकि एकत्रित जानकारी के आधार पर शासन स्तर पर फैसला किया जा सके। इसके लिए विधि विभाग ने 4 महीने पहले विभागों से एक्ट (कानून) समाप्त करने के लिए प्रस्ताव बुलाए थे, लेकिन विभागों के अफसरों अभी तक यह तय नहीं कर सके कि कौन से कानून समाप्त किए जाना है। यह स्थिति तब है जब विधि विभाग ने संबंधित विभागों को उनके डिपार्टमेंट से संबंधित बदलाव के दायरे में आने वाले कानूनों (एक्ट) की पूरी जानकारी भी दे रखी है। जिन अधिनियमों की समीक्षा होनी है, उनमें लाइसेंस प्रणाली, किसानों की कर्जमाफी, अकाल राहत, साहूकारी नियंत्रण और नशीले पदार्थों के व्यापार से जुड़े प्रावधान शामिल हैं। विधि और विधायी विभाग का कहना है कि जिन विभागों में ऐसे अधिनियम और नियम लागू हैं जो देश की आजादी से पहले बनाए गए थे।

Related Articles