- तमाम अनुमतियों के लिए नहीं होना पड़ता परेशान
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में यह साल चुनावी होने की वजह से लगभग हर वर्ग इन दिनों अपनी मांगे मनवाने के लिए आंदोलनरत है। फिर चाहे सरकारी कर्मचारी हों या फिर सामजिक संगठन। आंदोलनों के लिए तमाम तरह की स्वीकृति सरकार के तमाम विभागों से लेनी होती हैं। ऐसे में अब तकनीक के इस युग में लोगों ने सोशल मीडिया को अपना प्रमुख हथियार बनाना शुरु कर दिया है। इसकी वजह है तमाम विभागों से अनुमतियों के लिए चक्कर काटने में होने वाली परेशानी से बचना और समय की बर्बादी का भी नहीं होना। यही वजह है कि इन दिनों खासतौर पर युवाओं द्वारा डिजिटल प्रोटेस्ट यानी डिजिटल तरीके से विरोध करने का तरीका तेजी से बढ़ रहा है। इसके लिए युवा हैशटेग का अभियान चलाने में आगे आ रहे हैं। इसकी वजह से न तो उन्हें पैदल मार्च निकलना पड़ता है और न ही हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करनी पड़ती है। अहम बात यह है कि इसके माध्यम से वे अपनी बात भी सही जगह पहुंंचाने में भी सफल रहते हैं। इसके लिए ट्विटर पर हैशटैग के माध्यम से अपनी मांगों और मुद्दों को ट्रेंड कराकर लोगों तक अपनी आवाज को पहुंचाई जा रही है। इसके साथ ही फेसबुक पर भी अपने मुद्दों को डालकर उन्हें शेयर कराया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि जहां मकसद भी पूरा हो जाता है वहीं ,आंदोलन में आने वाली तमाम तरह की आने वाली परेशानियों का भी सामना नहीं करना पड़ता है। ट्विटर ट्रेंड्स को आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं कि जब ट्विटर कई लोग एक साथ एक ही समय पर करना शुरू कर देते हैं या उसमें इंगेज हो जाते हैं तो ट्विटर उस टॉपिक को ट्रेंड मान लेता है और दायें तरफ बने ट्रेंडिंग चार्ट में उसे दिखाना शुरू कर देता है।
4 घंटे में 70 हजार ट्वीट
प्रदेश में पटवारी भर्ती का मामला इन दिनों जोर पकड़े हुए है। परीक्षा में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद सरकार ने उनकी भर्ती पर रोक लगा रखी है। इसके विरोध में चयनित पटवारी भोपाल में बड़ा प्रदर्शन कर चुके हैं। प्रदर्शन के दौरान प्रशासन ने उन्हें हटा दिया था। इसके बाद इस आंदोलन से जुड़े युवाओं ने बीते रोज से युवा हल्लाबोल के बैनर तले डिजिटल प्रोटेस्ट की शुरुआत की है। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष अरुणोदय सिंह परमार के मुताबिक हैशटैग चयनित पटवारी का कटोरा किताब कंपेन में 4 घंटे में 70 हजार ट्वीट के जरिए लोग जुड़े हैं। यही नहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस के पीयूष बबेले ने भी इसे रीट्वीट कर अपना समर्थन दिया है।
ढाई साल के बाद मिली अनुमति
प्रदर्शन के लिए अनुमति मिलना कितनी टेड़ी खारी है , इससे ही समझी जा सकती है कि अध्यापक शिक्षक संघ ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने के लिए भोपाल जिला प्रशासन से बीते ढाई साल में 5 बार अनुमति मांगी, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी। इसकी वजह से यह संगठन भोपाल में प्रदर्शन तक नहीं कर सका है। अब जाकर मोर्चे को भेल स्थित एनसीसी मैदान में प्रदर्शन की अनुमति मिली। संगठन क्रमोन्नति, पुरानी पेंशन बहाली जैसी मांगों को लेकर यह संगठन बीते कई सालों से मांग कर रहा है।
नव नियुक्त शिक्षक भी चला चुके हैं मुहिम
शिक्षक भर्ती 2018 में नव नियुक्त शिक्षकों ने 10 सितंबर को ट्विटर के माध्यम से सरकार को फिर से 100 प्रतिशत सैलरी नियुक्ति दिनांक से देने के लिए मुहिम चलाई। ट्विटर के माध्यम से लगभग 3 लाख ट्वीट होने से उनका यह अभियान पहले नंबर पर ट्रेंड कर गया। न्यूली इंपॉर्टंट टीचर एसोसिएशन का कहना है कि जल्द ही मध्यप्रदेश में आचार संहिता लगने वाली है इसलिए सरकार को इसी हफ्ते 100 प्रतिशत सैलरी का आदेश जारी कर देना चाहिए।
यह भी होता है फायदा
ट्विटर सबसे अधिक लोकप्रिय प्लेटफॉर्म है, जहां लोग सीमित शब्दों में जानकारी और विचार साझा करते हैं। राजनीतिक पार्टियों के नेता या उनके सोशल मीडिया किसी एक विषय के बारे में बात एकाउंट को हैंडल करने वाली टीम ट्विटर पर ट्रेंड हो रहे टॉपिक पर नजर जरूर डालते हैं। इससे युवा अपनी आवाज सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तक आसानी से पहुंचा देते हैं।