अब लोकायुक्त कसेगा जनार्दन सिंह पर शिकंजा

जनार्दन सिंह
  • हेमा मीणा पर छापे का मामला

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन से बर्खास्त प्रभारी सहायक इंजीनियर हेमा मीणा के यहां डाले गए छापे की जांच में अब तक लोकायुक्त पुलिस को कई सनसनीखेज जानकारियां हाथ लगी हैं। मीणा की कमाई में इंजीनियर जर्नादन सिंह की अहम भूमिका के भी सबूत भी जांच के दौरान हाथ लगे हैं। इसके बाद अब लोकायुक्त पुलिस ने जर्नादन सिंह पर शिकंजा कसने की कवायद शुरु कर दी है। उधर, जांच में अब तक मीणा की संपत्ति का आंकड़ा दस करोड़ रुपए से अधिक पहुंच चुका है। जांच में खुलासा हुआ है कि 30 हजार रुपए मासिक वेतन पानी वाली हेमा ने महज 10 साल की नौकरी में आय से पांच सौ गुना अधिक संपत्ति अर्जित की है। जब लोकायुक्त टीम ने उसकी आय से अधिक संपत्ति के स्रोत की पड़ताल की तो खुलासा हुआ कि अधिकतर प्रॉपर्टी पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन में पदस्थ रहे इंजीनियर जर्नादन सिंह की मदद से हेमा ने अर्जित की है। दोनों के बैंक अकाउंट में बड़ी रकम का आपस में लेनदेन होना पाया गया है। इसकी जानकारी मिलने के बाद अब लोकायुक्त पुलिस जल्द ही मुख्य आरोपी हेमा मीणा के साथ जर्नादन सिंह को षड्यंत्र रचने (आईपीसी 120 बी) का आरोपी बना सकती है। गौरतलब है कि 12 मई 2023 को लोकायुक्त की टीम ने हेमा मीणा के भोपाल में बिलखिरिया स्थित फार्म हाउस, सीहोर, विदिशा में रेड की थी। रेड के दिन ही 30 लाख रुपए कीमत की टीवी के साथ करोड़ों रुपए की काली कमाई का खुलासा हुआ था। इसके बाद हेमा मीणा को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। जबकि जर्नादन को छापेमारी के सप्ताहभर बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के निर्देश के बाद निलंबित किया गया था। पूरे घटनाक्रम में पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन की तमकर किरकिरी हुई थी।
रसूख के चलते जमा था कारपोरेशन में
पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन में जनार्दन सिंह सहायक इंजीनियर के रूप में लोक निर्माण विभाग से वर्ष 2007 में प्रतिनियुक्ति पर आया था। उसको पुलिस कारपोरेशन में सबसे ताकतवर अधिकारियों में माना जाता था। रसूख ऐसा कि 16 साल में मूल विभाग लोक निर्माण ने चार बार पत्र लिखकर वापस बुलाया, लेकिन वह जोड़- तोड़ कर यहीं पर डटा रहा। उसका रसूख ऐसा था कि विभाग का कैसा भी काम हो, उसकी जानकारी के बिना नहीं किया जाता था।
जनार्दन का था संरक्षण
बर्खास्त प्रभारी सहायक इंजीनियर हेमा मीणा का संरक्षक जनार्दन सिंह ही था। उसकी ही छत्र छाया में उसने 10 साल में इतनी काली कमाई की 10 करोड़ की मालकिन हो गई। जांच एजेंसी ने जब दोनों के बैंक अकाउंट की पड़ताल कराई, तो पता चला कि इंजीनियर जर्नादन सिंह हेमा को पैसा देता था। इन्हीं पैसों से उसने अवैध प्रॉपर्टी बनाई। हेमा मीणा 12 साल तक शंभूनाथ सिंह के साथ लिव- इन-रिलेशन में रही है। जब से जनार्दन सिंह उसके संपर्क में आया वह शंभूनाथ से अलग हो गई। अलग होने के लिए शंभूनाथ को काफी प्रताड़ित किया गया। पुलिस भी उसे धमकाती रहती थी।
राजसात होगी संपत्ति
हेमा अब तक प्रॉपर्टी हासिल करने के लिए आय का स्रोत जांच एजेंसी को नहीं बता सकी है। इसकी बड़ी वजह कि हेमा आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से थी। विभाग में उसका वेतन भी 30 हजार रुपए मासिक था। अपने नाम से उसने संपत्ति इतनी जुटा ली कि अब जांच एजेंसी को उसका स्रोत नहीं बता पा रही है। ऐसे में जांच एजेंसी को भरोसा है कि कोर्ट संपत्ति को राजसात करने का फैसला कर सकती है। 

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