अब गांवों में भी रहने शहरों की तरह चुकानी होंगी कीमतें

टैक्स

– गांवों में भी लगेगा संपत्तिकर, जलकर सहित अन्य टैक्स

– टैक्स वसूलने खोले जा रहे ग्रामीणों के खाते

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। अब शहरियों की तरह गांवों में रहने वाले लोगों को भी विभिन्न तरह के टैक्स देने पड़ेंगे। दरअसल, सरकार ने पंचायतों को अपनी आय बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में अब ग्रामीणों को भी गांवों में रहने के लिए उसकी कीमतें चुकानी होगी। शहरों की तर्ज पर गांवों में भी संपत्तिकर, जलकर, स्ट्रीट लाइन कर वसूला जाएगा।
इसके लिए पंचायत स्तर पर हाउस होल्डरों और कारोबारियों का ग्राम पंचायतों में खाते खोले जा रहे हैं। वर्तमान में लगभग 7 लाख लोगों और 19 सौ संस्थाओं के खाते खोले गए हैं। इन खाताधारकों से 277.59 लाख रुपए वसूले भी गए हैं। सबसे ज्यादा खातेधारक उज्जैन, नरसिंहपुर और बैतूल जिले में हैं। गांवों को शहर में तो सरकार तब्दील नहीं कर पायी लेकिन ग्रामीणों पर शहर जैसे टैक्स लगाने की तैयारी जरूर कर ली है। अब गांवों में सड़क, प्रकाश व पानी के उपयोग करने कर चुकाना पड़ सकता है। इतना ही नहीं नया मकान बनाने के लिए मंजूरी व पुराने मकान का भी टैक्स देना पड़ सकता है। सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। यह सब परफार्मेंंस ग्रांट की राशि के लिए किया जाएगा। शासनादेश पर आयुक्त पंचायत ने सभी जिला पंचायतों को उनके अधीन आने वाले उन पंचायतों की जानकारी भी मांगी है जो कर वसूली कर रही हैं।
पंचायतों को अपनी आय बढ़ाने का निर्देश
सरकार द्वारा पंचायतों को अपनी आय बढ़ाने के लिए कहा गया है।  इसके अलावा उन्हें तमाम तरह के टैक्स वसूलने के भी अधिकार दिए गए हैं। इसके चलते ग्राम पंचायतों ने अपने क्षेत्र में मकान, दुकान, मेला-बाजार से टैक्स वसूलने का काम शुरू कर दिए हैं। वही जिन मकान मालिकों के खाते नहीं खोले गए हैं उनके खाते भी खोले जा रहे हैं, जिससे कि उनसे संपत्तिकर सहित अन्य कर वसूला जा सके। इसके अलावा तहबाजारी भी वसूल की जा रही है। तहबाजारी की राशि का निर्धारण और वसूलने का काम ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर किया जाता है।
परफार्मेंस ग्रांट राशि के लिए कवायद
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वह पंचायतें भी कर वसूली की जद में आएंगी जहां पर हाट बाजार लगता है। इसके अलावा बड़ी सीमावाली व हाइवे के किनारे वाली पंचायतों में भी करा रोपण किया जा सकता है। नई निर्देशों के मुताबिक इन पंचायतों में लोगों हाउस टैक्स, जल कर, प्रकाश कर के साथ ही नवीन भवन निर्माण की मंजूरी के लिए शहरों की तरह कर अधिरोपित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि अभी तक गांवों व ग्रामीणों पर कोई कर नहीं लगाया जाता था। नई नीति से आम ग्रामीणों पर अतिरिक्त बोझ थोपने की तैयारी है। यह सब केंद्र द्वारा मिलने वाली परफार्मेंस ग्रांट राशि के लिए किया जा रहा है। दरअसल प्रदेश में 60 प्रतिशत से कम स्वकराधान वाली पंचायत होने की स्थिति में केंद्र द्वारा परफार्मेंंस ग्रांट राशि बंद करने की घुड़की दी है।
शहरों के आसपास के गांवों पर फोकस
गांवों में मकान बनाने के लिए भवन अनुज्ञा भी जरूरी है। इसे अब धीरे-धीरे सख्ती से पालन किया जाएगा। सरकार का फोकस उन गांवों की तरफ ज्यादा है, जो शहरों के आस पास हैं। इन गांवों में बिना भवन अनुज्ञा के मकान, कॉलोनी तैयार करने पर कॉलोनाइजर और मकान मालिक पर कार्रवाई भी की जाएगी। हालांकि प्रदेश में करीब 291 आवेदन करने वालों से 165140 रुपए वसूले गए हैं। वहीं अब गांवों में भी नगरीय निकायों की तर्ज पर तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी, जिससे इन कामों को बारीकी से कर सकें। स्वच्छता कर के नाम पर ग्रामीणों से 139.06 लाख रुपए की वसूली की गई है। इसे मेला-बाजार और कस्बे के रूप में विकसित हुए ग्राम पंचायतों में सख्ती से लागू किया जाएगा। वहीं ग्रामीणों को स्वच्छता का वातावरण भी उपलब्ध कराया जाएगा, जिसमें घर-घर कचरा संग्रहण, सुबह झाड़ू, कचरा प्रबंधन से जुड़े कार्य किए जाएंगे। प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा जल कर की वसूली की जा रही है। मप्र जल जीवन मिशन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के जरिए 40 लाख 56 हजार से अधिक घरों में नल कनेक्शन दिया गया है। 3236 ग्रामों में 100 प्रतिशत घरों में नल कनेक्शन दिए गए हैं। इन कनेक्शनधारियों से करीब 507.11 लाख रुपए वसूला गया है।

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