भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। इंसान लगातार वन्य जीवों के इलाकों में घुसपैठ कर रहा है, लिहाजा उनके लिए आवास का इलाका कम होता जा रहा है, ऐसे में वे अब मजूबरन नए रिहायशी इलाकों में दस्तक दे रहे हैं। इसी तरह के मामले भोपाल के बाद जबलपुर और इंदौर से भी लगातार सामने आ रहे हैं। इसकी वजह से अब इन दोनों ही जिलों में तेंदुओं पर नजर रखने और उनके रहवास का पता लगाने के लिए ट्रैपिंग कैमरे लगाए जाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए राज्य वन अनुसंधान केंद्र जबलपुर से लेपर्ड प्रोजेक्ट पर काम कर रही वैज्ञानिकों की एक टीम इंदौर में प्रवास कर रही है। इस टीम द्वारा ट्रेप कैमरे लगाने के लिए सवेर्का काम भी लगभग पूरा कर लिया है। सर्वे में यह बात सामने आयी है कि इंदौर के वे ग्रामीण क्षेत्र जो कि शहरी क्षेत्र से बेहद करीब हैं उनमें तेंदुओं की चहल कदमी होती रहती है। दरअसल इसके पहले ही जबलपुर में सर्वे के काम को पूरा किया जा चुका है। वैज्ञानिकों की टीम ने इंदौर के तेंदुए के दिखने वाले रहवासी क्षेत्रों में करीब 1700 से अधिक घरों में मनोवैज्ञानिक सर्वे के बाद अब तीन इलाकों में करीब दो दर्जन ट्रैपिंग कैमरा लगाने की तैयारी है।
क्या कहते है प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर
बताया जा रहा है कि इंदौर के महू (केंट), रालामंडल व आईआईटी इलाके में अगले हफ्ते करीब 20 ट्रैप कैमरा लगाए जाएंगे। इन कैमरों से मॉनीटरिंग की जाएगी। यह काम अखिल भारतीय बाघ गणना प्रोटोकॉल के तहत किया जा रहा है। इसके बाद जबलपुर में कैमरे लगाए जाएंगे। इसके लिए 20 दिसंबर से करीब एक माह जनवरी तक का समय रखा है।
जबलपुर में यहां लगेंगे कैमरे
प्रोजेक्ट के मुताबिक जबलपुर जिले में तेंदुए की चहल-कदमी वाले क्षेत्रों मदन महल की पहाड़ी, ठाकुरताल, खमरिया, डुमना को चिह्नित किया गया है। इनमें करीब 20 ट्रैपिंग कैमरा लगाए जाएंगे। सहां किए गए सर्वे में वैज्ञानिकों की टीम ने रहवासियों से यह जानने का प्रयास किया है कि वे तेंदुए के साथ आगे भी इन परिस्थितियों में रह सकते हैं या नहीं।
29/10/2022
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