अब मंत्री बनने के लिए होगी खासी मेहनत

 मेहनत

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पिछली शिव सरकार में मंत्रियों के मामले में उपेक्षित रहा मालवा अंचल इस बार सत्ता का केन्द्र बनकर उभरा है। इसकी वजह है प्रदेश के मुखिया और उनके सहयोगी के रुप में उपमुख्यमंत्री का पद इसी अंचल के हिस्से में आया है। दरअसल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उप मुख्यमंत्री  जगदीश देवड़ा का वास्ता इसी अंचल से है। इसी वजह से अब इस अंचल के मंत्री पद के दावेदार विधायकों को क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों में फिट होने के बाद भी काफी मशक्कत और जोर-आजमाइश करना होगी।
दरअसल सरकार के दो बड़े पद इस अंचल के खाते में आने की वजह से यह तो तय हो गया है कि अंचल के खाते में अब अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा कम मंत्री पद आएंगे। मुख्यमंत्री यादव के साथ दो उप मुख्यमंत्रियों ने भी शपथ ली है। इनमें जगदीश देवड़ा मालवा और राजेंद्र शुक्ला विंध्य से आते हैं। अगर मालवा निमाड़ अंचल की बात करें , तो इस अंचल मेेंं विधानसभा की कुल 66 सीटें है। इनमें 48 सीटों पर भाजपा को जीत मिली है। भाजपा की इस बार बड़ी जीत में मालवा का बेहद अहम् रोल है। मालवा और निमाड़ से जीते विधायकों में अधिकांश दो से चार बार से जीत रहे हैं। लिहाजा लगातार जीतने वाले विधायक मंत्री बनने की इच्छा रखते हैं, लेकिन उनकी यह तमन्ना पूरा होना आसान नहीं है।
इसकी वजह है मुख्यमंत्री और एक उप मुख्यमंत्री का पद। प्रदेश के मध्य इलाके यानी भोपाल के आसपास के जिलों और बुंदेलखंड व विंध्य में भी इस बार भाजपा की सीटें बढ़ी है। महाकौशल और ग्वालियर चंबल में भी 2018 की तुलना में भाजपा का प्रतिनिधित्व बढ़ा है। लिहाजा कटौती मालवा और निमाड़ इलाके से होगी, क्योंकि मंत्रिमंडल में जगह सीमित है और विधायकों की संख्या इस बार अधिक है। पार्टी सूत्रों की मानें तो भाजपा आलाकमान की नई रणनीति के तहत उज्जैन और मंदसौर जिले से किसी अन्य विधायक को मंत्री नहीं बनाया जाएगा। दरअसल मुख्यमंत्री यादव उज्जैन और उप मुख्यमंत्री देवड़ा मंदसौर जिले से ही आते हैं। इस बार लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने मंत्री बनाने की रणनीति तैयार की है, जिसके हिसाब से इंदौर से दो, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, धार, देवास, रतलाम और नीमच से एक-एक विधायक को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। बहरहाल क्षेत्रीय समीकरणों के लिहाज मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले विधायकों का यह आंकड़ा तकरीबन दस फीसदी होगा।
जिस प्रकार मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों के चयन में रसूखदार नेताओं की नहीं चली, ठीक इसी तर्ज पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के मंत्रिमंडल का गठन होना तय माना जा रहा है। मंत्रिमंडल में लोकसभा चुनाव की दृष्टि से क्षेत्रीय और जातीय संतुलन देखने को मिलेगा। पार्टी सूत्रों की माने तो पहले विस्तार में करीब दो दर्जन मंत्री बनाए जाएंगे। कुछ वरिष्ठों के साथ ही नए चेहरों को भी मौका दिया जाएगा। इस बार नए चेहरे अधिक रखे जाएंगे। माना जा रहा है कि पहले ही विस्तार में लगभग सभी अंचलों से चार-चार मंत्री बनाए जाएंगे। जिसमें जातीय संतुलन का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा।
मालवा से विजयवर्गीय सबसे बड़ा चेहरा
मालवा-निमाड़ अंचल से जीतकर आने वाले विधायकों में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सबसे बड़े चेहरे है। वे सीएम के भी दावेदार थे। मुख्यमंत्री यादव उनसे काफी जूनियर है। ऐसे में विजयवर्गीय मंत्रिमंडल में आएंगे, इसकी संभावना कम है। उनकी गैरमौजूदगी में उनके करीबी माने जाने वाले रमेश मेंदोला को मौका मिलना तय है। इस बार मालवा-निमाड़ इलाके से मेंदोला का दावा भी सबसे मजबूत है। वे चौथी बार के विधायक हैं और एक लाख से ज्यादा मतों से जीते हैं। इस अंचल से तुलसी सिलावट का मंत्री बनना तय है, जबकि सज्जन सिंह वर्मा को हराने वाले राजेश सोनकर, दीपक जोशी को हराने वाले आशीष शर्मा, हरसूद के विजय शाह, नेपानगर की मंजू राजेंद्र दादू भी मंत्री बन सकते हैं।
बीती सरकार में थे दस मंत्री
पिछली शिवराज सरकार में इस अंचल से दस विधायकों को मंत्री बनाया गया था। उस समय अंचल से भाजपा के विधायकों की संख्या कम थी। इस बार चुनाव में दो मंत्री चुनाव हार गए हैं, जबकि पुराने मंत्रियों में विजय शाह, ओमप्रकाश सखलेचा, हरदीप सिंह डंग, तुलसी सिलावट, ऊषा ठाकुर सहित कई मंत्री जीते हैं। इनमें अर्चना चिटनीस, बालकृष्ण पाटीदार, राजकुमार मेव, नागर सिंह चौहान, नीना वर्मा, चैतन्य कुमार कश्यप, रमेश मेंदोला, महेंद्र हार्डिया जैसे नाम शामिल हैं।
अन्य अंचलों में यह रह सकती है स्थिति
चंबल-ग्वालियर से नेता प्रतिपक्ष को हराने वाले अंबरीश शर्मा, जनता के बीच सक्रिय प्रद्युम्न सिंह तोमर, केपी सिंह को हराने वाले देवेंद्र कुमार जैन और घनश्याम सिंह को हराने वाले प्रदीप अग्रवाल को मंत्री बनाया जा सकता है। नरेंद्र सिंह तोमर पहले ही विधानसभा अध्यक्ष घोषित किए जा चुके हैं।बुंंदेलखंड से नरयावली विधायक प्रदीप लारिया, छतरपुर की ललिता यादव और जबेरा के धर्मेंद्र लोधी को मौका मिल सकता है। इनके अलावा वरिष्ठों में गोपाल भार्गव, भूपेेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, जयंत मलैया और बृजेंद्र प्रताप सिंह में से 1 अथवा 2 को मौका मिल सकता है। नए चेहरों में हरिशंकर खटीक को शपथ दिलाई जा सकती है।  महाकौशल अंचल में भाजपा को इस बार 38 में से 21 सीटें मिली हैं। इस अंचल के खाते से प्रणव पांडे, प्रहलाद पटेल और हेमंत खंडेलवाल को मौका मिल सकता है। इनके अलावा जबलपुर के राकेश सिंह और गाडरवारा के उदयप्रताप सिंह में से किसी एक को मौका मिल सकता है।  उधर, शहपुरा के ओम प्रकाश धुर्वे और मंडला की संपतिया उइके में से किसी एक को मंत्री बनाया जाना है। इसी तरह से मध्य अंचल से इस बार रामेश्वर शर्मा, विश्वास सारंग, विष्णु खत्री में से दो मंत्री बन सकते हैं। रायसेन जिले में प्रभुराम चौधरी और सुरेंद्र पटवा में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है। इनके अलावा सीहोर के सुदेश राय और खिलचीपुर में पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह को हराने वाले हजारीलाल दांगी मंत्री बनाए जा सकते हैं।
कभी भी हो सकता है विस्तार
मोहन सरकार का पहला मंत्रिमंडल विस्तार अब कभी भी हो सकता है। इसके लिए नामों के चयन के लिए मंथन का दौर जारी है। अब तक दो दौर का मंथन हो चुका है। दरअसल जल्दबाजी की वजह है खरमास। धार्मिक मान्यता है कि खरमास में शुभ कार्य नहीं होते हैं। खरमास 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है। यह 15 जनवरी 2024 रहेगा। इसलिए शुभ कार्य बंद होने के पहले ही मंत्रिमंडल गठन की कोशिश की जा रही है।

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