अब मास्साब को गांव में… पढ़ाना होगा अनिवार्य

  • स्कूल शिक्षा विभाग की नवीन स्थानांतरण नीति होगी लागू
  • विनोद उपाध्याय
मास्साब

मप्र में अब मास्साब यानी स्कूल के शिक्षकों को अभिवार्य रूप से गांव के स्कूलों में पढ़ाना होगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने नवीन स्थानांतरण नीति बनाई है। इस नीति में प्रावधान किया गया है कि हर शिक्षक को कम से कम 10 साल तक गांव के स्कूल में पढ़ाना ही होगा। सरकार की इस नीति से शहरों में सालों से जमे शिक्षकों को बड़ा झटका लगना तय है।
गौरतलब है कि प्रदेश में चुनावी दौर के समाप्त होने के बाद अब ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू होगी। सबसे ज्यादा इस बार फोकस स्कूल शिक्षा विभाग के ट्रांसफरों पर रहेगा। तीन साल पहले विभाग की बनी नवीन स्थानांतरण नीति को तत्कालीन मंत्री इंदर सिंह परमार भी चुनाव के चलते लागू नहीं कर पाए थे। अब चुनाव समाप्त होने के बाद यह जिम्मेदारी वर्तमान मंत्री राव उदय प्रताप सिंह पर आ गई है। मंत्री का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में सालों से जमे शिक्षकों को गांव में भेजा जाएगा। दरअसल दो साल पहले एमपी सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग की नई ट्रांसफर पॉलिसी को मंजूरी दी है। यह व्यवस्था इसे साल 2023-24 से पूरी तरह लागू करना था। नई ट्रांसफर पॉलिसी के तहत शिक्षा विभाग में सभी संवर्गों के लिए स्थानांतरण प्रक्रिया 31 मार्च से 15 मई के बीच पूरी करना थी। लेकिन पिछले साल वरिष्ठ पदों पर प्रभार देने व विधानसभा के चुनाव होने के कारण नई ट्रांसफर पॉलिसी को टाल दिया गया था।
लागू होगी नई ट्रांसफर पॉलिसी
अब विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव भी समाप्त हो गए हैं। आगामी दो-तीन साल तक कोई चुनाव भी नहीं है। ऐसे में इस बार विभाग ने नई ट्रांसफर पॉलिसी को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही ट्रांसफर की तिथि भी घोषित की जाएगी। नई शिक्षा नीति के तहत नवीन नियुक्त शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में कम से कम तीन वर्ष और अपने संपूर्ण सेवाकाल के न्यूनतम 10 साल कार्य करना होगा। दस वर्ष या इससे अधिक अवधि तक एक ही संस्था विशेषकर शहरी क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षक विहीन और शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में पदस्थ किया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग की नई नीति में एक बार स्वैच्छिक स्थानांतरण होने के बाद विशेष परिस्थिति छोडक़र तीन वर्ष तक स्थानांतरण नहीं किया जा सकेगा। सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई शाला शिक्षक विहीन न हो जाए। प्रथम श्रेणी अधिकारियों के स्थानांतरण समन्वय मुख्यमंत्री के अनुमोदन से किए जाएंगे। अभी तक शिक्षकों के तबादले में प्रभारी मंत्रियों की चलती थी। नई नीति में प्रभारी मंत्रियों की इसमें कोई भूमिका नहीं रहेगी। अब सब कुछ ऑनलाइन ही होगा। शिक्षकों की पोस्टिंग उपलब्ध सीटों के आधार पर ही होगी।
बीमारी या दिव्यांग को मिलेगी छूट
स्कूल शिक्षा विभाग की नई ट्रांसफर पॉलिसी में ऐसे शिक्षक जिनकी सेवानिवृत्ति में तीन वर्ष शेष हैं और गंभीर बीमारी या दिव्यांगता से पीड़ित हैं, उन्हें इस प्रक्रिया से मुक्त रखा जाएगा। स्थानांतरण में वरीयता क्रम निर्धारित किया गया है। नई नीति के अनुसार शिक्षकों को निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की निजी पदस्थापना में पदस्थ नहीं किया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले के लिए आवेदन ऑनलाइन ही लिए जाएंगे। उत्कृष्ट स्कूल, मॉडल स्कूल और सीएम राइज स्कूलों में स्वैच्छिक स्थानांतरण नहीं होगे, साथ ही प्राचार्य, सहायक संचालक या उससे वरिष्ठ पदों के स्वैच्छिक स्थानांतरण आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे, लेकिन उनका निराकरण ऑफलाइन भी किया जा सकेगा। रिलीविंग और ज्वाइनिंग की कार्यवाही ऑनलाइन होगी। स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह का कहना है कि कई शिक्षक पंद्रह-बीस सालों से एक ही स्कूल में जमे हैं। जहां बच्चे कम हैं और शिक्षक ज्यादा है, ऐसे शिक्षकों को ज्यादा बच्चे वाले दूसरे स्कूलों में ट्रांसफर किया जाएगा, जिससे शिक्षकों का स्कूलों में संतुलन बना रहे।

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