अब संघ के शताब्दी विस्तारक मैदान में

विस्तारक मैदान

समाज के बीच सक्रियता बढ़ाने की कवायद

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी /बिच्छू डॉट कॉम। संगठन के सौ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने संगठन को और मजबूत करने के साथ ही सामाजिक सरोकारों में सहभागिता बढ़ाने पर फोकस करना शुरू कर दिया है। इसके लिए अब संघ ने अपने स्वयंसेवकों की टोलियों को मैदान में उतारा है। इन टोलियों में शामिल किए जाने वाले संघ के विस्तारकों को शताब्दी विस्तारक का नाम दिया गया है। दरअसल संघ अपनी स्थापना के 2025 में 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। शताब्दी वर्ष से पहले संघ समाज के बीच से नए समूहों को टोलियों के रूप में जोड़ने में तेजी से लगा हुआ है। खास बात यह है कि इन टोलियों में लगभग सभी युवा शामिल है। इसके लिए पहले चरण में दो सालों के लिए करीब तीन हजार विस्तारकों को निकाला गया है, जिसमें जल्द ही एक हजार युवाओं को जोड़ने की तैयारी है।
अगर मध्यप्रांत की बात की जाए तो यहां पर अब तक करीब 102 विस्तारक निकाले जा चुके हैं जबकि,लक्ष्य 240 विस्तारकों का रखा गया है। संघ की व्यवस्था में विस्तारक वह कड़ी है, जिसके जिम्मे समाज के बीच सक्रियता से काम करना होता है और लए लोगों को संघ से जोड़ने का जिम्मा इनका रहता है। यही विस्तारक शाखाएं लगाने से लेकर टोलियां बनाने और व्यवस्था देखने का काम करते हैं। गौरतलब है कि अभी तक संघ कार्य की दृष्टि से पूरे देश में 59450 मंडल हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत से अधिक मंडलों में संघ का काम जारी है। काम की गति को बढ़ाने के लिए सभी खंडों में शताब्दी विस्तारक निकालने में संघ लगा है। पूरे देश में 6650 खंड हैं। शताब्दी वर्ष मनाने की तरफ बढ़ रहा संघ अब उन राज्यों और मंडलों में भी अपनी सक्रियता बढ़ाना चाहता है, जहां फिलहाल वो मजबूत नहीं है। संघ नेता लगातार इसे लेकर विचार-विमर्श भी कर रहे हैं। आपको बता दें कि, भारत में शहर और गांव में कुल मिलाकर 55 हजार से ज्यादा जगहों पर संघ की शाखाएं हैं या कार्य चल रहा है। संघ की योजना इसे दोगुने के लगभग यानि एक लाख तक पहुंचाने की है। वर्तमान में देश के लगभग सभी जिलों में किसी न किसी रूप में संघ सक्रिय ह ै लेकिन, शताब्दी वर्ष की तरफ बढ़ रहा संघ 2024 तक देश के सभी मंडलों तक अपना कार्य पहुंचाकर संगठन को और मजबूत करना चाहता है।
इन पर किया जा रहा है फोकस
देश में संघ से जुड़ाव रखने वाले दो तरह के लोग माने जाते हैं। इनमें पहले वो लोग हैं, जो किसी ना किसी स्वरूप में संघ के करीबी हैं। दूसरे, वे जो संघ के प्रति सद्भावना रखते हैं। इनके अलावा समाज में जो व्यक्ति और वर्ग विशेष रह गए हैं, उन तक संघ के विचार और रीति नीति को पहुंचाना। इसके लिए ही अब कवायद की जा रही है। दरअसल संघ अपने शताब्दी वर्ष में अधिकतम लोगों तक पहुंचना चाहता है। इसके लिए बीते अप्रैल माह से प्रयास तेज कर दिए थे। इसके तहत ही संघ प्रोफेशनल्स, प्रबुद्धजन और समाज के प्रभावी समूहों की राष्ट्र निर्माण में भूमिका पर चिंतन मंथन तेज किया। पारंपरिक रीति-नीति, शाखाओं के साथ तालमेल बैठाने के बजाय इन्हें संघ विचार, धर्म, सनातन संस्कृति व परंपरा से जोड़ने के लिए क्या जतन किए जाएं, इसके लिए रणनीति बनाई। 2019 से वर्क प्रोफाइल के आधार पर सदस्यों और कर्मचारियों को जोड़ने  के प्रयास शुरू किए। इसके तहत साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक एकत्रीकरण , विजया दशमी दीपावली, विश्वकर्मा जयंती, नववर्ष प्रतिपदा जैसे उत्सवों अवसरों पर मिलन समारोह किए जा रहे हैं।
फ्लैट कल्चर में साप्ताहिक मिलन
संघ के एक अधिकारी के मुताबिक महानगरों में फ्लैट कल्चर में दैनिक शाखाएं शुरू करना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि यहां लोगों के पास वक्त नहीं होता है। ऐसे में विस्ताकर उन इलाकों में जाकर लोगों को शाखा के बारे में बता सकते हैं। मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में शुरू में साप्ताहिक मिलन के जरिए शुरूआत करने की योजना है। इसमें कल्चरल क्लासेज लगाई जाएंगी और योग प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह इनडोर ऐक्टिविटी होगी तो तडके सुबह की बजाए यह लोगों की सुविधा के हिसाब से किसी भी वक्त हो सकती है। जिसके बाद इसे शाखा में तब्दील करने की कोशिश रहती है।
यह होते हैं विस्तारक
संघ ने कुछ साल पहले ही विस्तारक योजना शुरू की थी।  विस्तारक प्रचारकों की तरह ही काम करते हैं लेकिन यह कुछ वक्त के लिए होते हैं। संघ के एक अधिकारी के मुताबिक बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो गृहस्थ जीवन में होते है या नौकरीपेशा होते हैं या पढ़ाई कर रहे होते हैं। वह अपना पूरा जीवन संघ को नहीं दे पाते लेकिन संघ के लिए काम करना चाहते हैं। ऐसे लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से कुछ समय निकालते हैं और इन दिनों में वह पूरी तरह संघ को समर्पित होते हुए संघ के लिए काम करते हैं। ये किसी गांव या नगर में जाकर वहां शाखा शुरू करवाने का काम करते हैं ।
इस तरह की सक्रियता
संघ ने जहां एक ओर कोराना के संकट काल में ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करने का प्रयास किया वहीं दूसरी ओर श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान चला कर भी देश के गांव-गांव और शहर-शहर जाकर लोगों से संवाद भी स्थापित किया है। श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान के दौरान संघ के लगभग 30 लाख स्वयंसेवकों ने देशभर में 6.5 लाख गांवों में से 5.34 लाख गांवों तक पहुंचकर 12.73 करोड़ परिवारों तक सीधा संपर्क स्थापित किया था। आने वाले दिनों में भी संघ लगातार समाज से जुड़े मुद्दों पर सक्रियता के जरिए लोगों को अपने साथ जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। संघ पर्यावरण संरक्षण, परिवार प्रबोधन, समरसता और सामाजिक सद्भाव जैसे कार्यों को लेकर लोगों को अपना साथ जोड़ने की योजना पर कार्य कर रहा है।

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