अब सडक़ों से बढ़ाया जाएगा भू जल स्तर

  • हर एक किलोमीटर की दूरी पर बनाया जाएगा रिचार्ज बोर
  • विनोद उपाध्याय
भू जल स्तर

प्रदेश में लगातार भू जल स्तर गिरता जा रहा है। कई जगह हालत ऐसे हैं, की पानी कई- कई सैकड़ा फिट नीचे पहुंच चुका है। इस स्थिति में सुधार के लिए अब सरकार सडक़ों पर बहने वाले बारिश के पानी से भू- जलस्तर में सुधार लाने की योजना पर काम कर रही है।  इसके लिए सडक़ के पानी को एकत्रित कर उसे जमीन में डाला जाएगा। इसके लिए  प्रत्येक किलोमीटर पर एक रिचार्ज बोर बनाया जाएगा। इसकी सबसे पहले उन इलाकों से शुरुआत की जाएगी, जिन इलाकों में भू-जल स्तर बेहद अधिक कम हो चुका है। ऐसे इलाकों को चिहिन्त करने की भी योजना है। देश में बेंगलुरु एवं चेन्नई जैसे महानगरों में पेयजल की कमी देखने को मिली है। यह स्थिति मप्र के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड जैसे अन्य क्षेत्रों की भी है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर समेत मध्य प्रदेश के कई शहरों में भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। इससे निपटने के लिए बारिश के पानी का संग्रहण कर भूजल बढ़ाने के लिए इस तरह का नवाचार किया जा रहा है।प्रदेश की नई सडक़ों पर रिचार्ज बोर बनाए जाएंगे। इसके सडक़ निर्माण की निविदा की शर्तों में प्रावधान होंगे।
रिचार्ज बोर के किया जाएगा स्थानों का चयन
सामान्यत: सडक़ एवं आसपास का वर्षा जल नालियों में बहकर आसपास के जल स्रोतों में मिल जाता है। इस तरह वर्षा जल का उपयोग भू-जल पुनर्भरण में नहीं हो पाता है। ऐसे में वर्षा जल संग्रहण के लिए कुछ चिन्हित स्थानों का चयन किया जाएगा। जहां भूजल की कमी हो, दूषित भूजल स्थल, पर्वतीय/ विषम जल स्थल, सूखा या बाढ़ प्रभावित स्थल, प्रदूषित जल स्थल, कम जनसंख्या घनत्व वाले स्थल, अधिक खनिज व खारा पानी वाले स्थल एवं ऐसे स्थल जहां बिजली और पानी की उपयोगिता अधिक हो।
इस तरह के कराए जाएंगे बोर
सूत्रों के मुताबिक जो योजना तैयार की गई है, उसके मुताबिक छह इंच का रिचार्ज बोर खुदवाया जाएगा, जिसकी लागत 75 हजार रुपये संभावित है। इस बोर की गहराई कितनी होगी , यह उस जगह के भू-जल स्तर पर निर्भर होगी।  ऊपर की ओर जमीन की सतह से लगभग 3 मीटर गहरे 1.5 मीटर व्यास की संरचना की जाएगी। इसी से पानी जमीन में जाएगा।  वर्षा जल में मिली गंदगी जैसे मिट्टी को रोकने के लिए इस संरचना में रेत, मिट्टी एवं पेबल बोल्डर की मोटी परत दी जाएगी।  निगम द्वारा कार्बन फुट प्रिंट की संख्या में वृद्धि सकने के लिए एक लाख पौधों के रोपण का भी लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश के 86 विकास खंडों में जल संकट
प्रदेश के 86 विकास खंडों में जल संकट की आहट बनी हुई है। इनमें इंदौर के शहरी क्षेत्र, धार के तिरला, राजगढ़ के नरसिंहगढ़, सीहोर के आष्टा और छिंदवाड़ा ब्लॉक का भूजल स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। इसका खुलासा केंद्रीय भूमिजल आयोग के वर्ष 2023 की रिपोर्ट में हुआ है। इसमें बताया गया है कि प्रदेश में 60 ब्लॉक ऐसे हैं, जो अभी सेमी क्रिटिकल श्रेणी में हैं।यदि इसमें सुधार नहीं हुआ तो यहां के हालात भयावह होंगे। वहीं 26 ब्लॉक ऐसे में हैं, जहां भूजल का अत्याधिक दोहन किया जा रहा है। हालांकि अभी भी प्रदेश के 226 ब्लॉक में भूजल का स्तर ठीक है।
 भू जल आयोग की रिपोर्ट
केंद्रीय भूमिजल आयोग के अनुसार मध्यप्रदेश में भूजल का 90 प्रतिशत पुनर्भरण वर्षा के जल से होता है। यदि वर्ष 2023 की बात करें तो मानसून के बाद जितना भूजल बढ़ा, उसमें से 58.75 प्रतिशत भूजल का दोहन कर लिया गया। इसमें 90 प्रतिशत भूजल का उपयोग कृषि, 9 प्रतिशत का घरेलू और एक प्रतिशत भूजल का उपयोग उद्योगों के लिए किया गया। इधर, मध्यप्रदेश के लिए राहत की बात है कि 71 प्रतिशत भू-भाग में पर्याप्त भूजल स्तर है। जबकि 19 प्रतिशत सेमी क्रिटिकल और 8 प्रतिशत क्षेत्र में अत्याधिक दोहन हो रहा है।
इस तरह से होगा वाटर रिचार्ज
भू जल स्तर की समस्या से निपटने के लिए  मप्र सडक़ विकास निगम (एमपीआरडीसी) द्वारा एनडीबी (न्यू डेवलपमेंट बैंक) से ऋण लेकर बनाई जाने वाली 14 राज्य स्टेट हाइवे पर वर्षा जल के भू-जल पुनर्भरण के लिए प्रावधान किया गया है। 805 किमी मार्ग के किनारे पर बड़ी पुनर्भरण पिट (रिचार्ज बोर) का निर्माण किया जाएगा। इन पुनर्भरण पिट का निर्माण प्रस्तावित राज्य राजमार्गों के हर एक किमी में किया जाएगा।  इन सडक़ों को इस तरह बनाया जाएगा कि बारिश का पानी सडक़ों को खराब भी न करें और वर्षा जल से वाटर रिचार्ज भी हो जाए। सडक़ों के किनारों में उपलब्ध भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा।

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