अब किसानों को नहीं मिलेगी मौसम की जानकारियां

मौसम की जानकारियां
  • नए वित्तीय वर्ष में बंद हो जाएंगी जिला कृषि मौसम इकाइयां

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। खेती-किसानी को लाभप्रद बनाने के लिए सरकार द्वारा किसानों को मौसम संबंधी जानकारी और सहायता प्रदान करने के लिए जिला कृषि मौसम इकाइयां शुरू की गई थीं। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण अब इन इकाइयों को बंद करने की तैयारी हो रही है। नए वित्तीय वर्ष के पहले दिन से ही इन इकाइयों को बंद कर दिया जाएगा।  किसानों को मौसम का सटीक पूर्वानुमान, फसल संबंधी सावधानियां बताने के लिए वर्ष 2019 से संचालित जिला कृषि मौसम इकाइयां अब बंद होने जा रही हैं। मप्र की 13 इकाइयों सहित देशभर में 199  जिला कृषि मौसम इकाइयां बंद की जा रही हैं। इन इकाइयों के बंद होने के बाद अब किसानों को मौसम की जानकारियां नहीं मिल पाएंगी। यानी किसानों को अब भगवान भरोसे ही मौसम की जानकारियां मिल सकेंगी। कृषि विज्ञान केंद्र (बडग़ांव) के प्रमुख व  वरिष्ठ विज्ञानी आरएल राउत का कहना है कि इस संबंध में भारत मौसम विज्ञान विभाग से पत्र प्राप्त हुआ है। यह निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर लिया गया है। इकाइयां क्यों बंद की जा रही हैं, ये स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन उम्मीद है कि इकाइयों को नए सिरे से या कुछ बदलावों के साथ दोबारा शुरू किया जा सकता है।
चार सौ कर्मचारी हो जाएंगे बेरोजगार
गौरतलब है कि जिला कृषि मौसम इकाइयों की स्थापना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (नई दिल्ली) और भारत मौसम विज्ञान विभाग के बीच वर्ष 2019 में हुए करार (एमओयू) के बाद की गई थी। हालांकि, फरवरी 2022 में भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इस योजना को 2026 तक बढ़ाने की घोषणा की थी, लेकिन समय से पहले ही वित्त विभाग की अनुशंसा पर इन इकाइयों को बंद करने का फैसला लिया गया है। इस फैसले के पीछे आर्थिक तंगी बड़ी वजह मानी जा रही है। जानकारी के अनुसार, देश के 199 कृषि विज्ञान केंद्रों में संचालित प्रत्येक इकाई में दो कर्मचारी (एक कृषि विज्ञानी और एक आब्जर्वर) संविदा पर नियुक्त किए गए थे। देशभर में करीब 400 कर्मचारियों को वेतन के लिए सात से आठ महीनों का लंबा इंतजार करना पड़ता था। अब इनके सामने नौकरी का संकट खड़ा हो गया है। बता दें कि मध्य प्रदेश के 13 जिलों में जिला कृषि मौसम इकाई संचालित हो रही हैं, जो मार्च के बाद हमेशा के लिए बंद हो जाएंगी। इनमें बालाघाट, कटनी, रीवा, शहडोल, छतरपुर, दमोह, सिंगरौली, गुना, खंडवा, शिवपुरी, राजगढ़, अशोकनगर और बड़वानी शामिल हैं। मप्र की ये इकाइयां जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर और राजमाता कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर द्वारा संचालित हो रही थीं। कर्मचारियों के वेतन संबंधी कार्य इन विश्वविद्यालयों द्वारा किए जा रहे थे। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के अंतर्गत बालाघाट, कटनी, रीवा, शहडोल, छतरपुर, दमोह, सिंगरौली की इकाइयां, तो ग्वालियर के विश्वविद्यालय के अधीन गुना, खंडवा, शिवपुरी, राजगढ़, अशोकनगर और बड़वानी की इकाइयां शामिल हैं।

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