अब जीपीएस से की जाएगी इंजीनियरों की निगरानी

जीपीएस
  • अफसरों द्वारा लगाए जाने वाले फर्जी बिलों पर लगाम लगाने की कवायद

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत काम करने वाली निजी कंपनियों के इंजीनियरों की निगरानी के लिए जल निगम अब के वाहनों में जीपीएस लगवा रहा है। खास बात यह है कि पहली बार फोर व्हीलर के साथ-साथ टू व्हीलर में भी जीपीएस लगाए जाने की तैयारी की गई है। जीपीएस लगने के बाद सभी इंजीनियरों की मॉनिटरिंग जीएम स्तर के अधिकारी जल निगम मुख्यालय से करेंगे।
किराए पर लगवाने का दिया ठेका
जल निगम ने जीपीएस लगाने के लिए टेंडर निकाला है। जिस कंपनी को यह टेंडर मिला है वह 280 रुपये मासिक किराए पर सभी इंजीनियरों और संबंधित अधिकारियों के वाहनों में जीपीएस लगाएगी। दरअसल, कंपनियों के माध्यम से काम करने वाले इंजीनियर और अधिकारियों को फील्ड पर आने जाने के लिए हर माह पेट्रोल का भुगतान किया जाता है। लगातार शिकायतें आ रही थीं, कि कई इंजिनियर फील्ड पर नहीं जाते, किंतु बिल लगाकर पेमेंट लेते रहते हैं। जीपीएस लगने से जहां काम में तेजी आएगी। वहीं, फील्ड से नदारद रहने वाले इंजीनियरों और अधिकारियों पर भी लगाम लग सकेगी।
फर्जी अटेंडेंस पर लगेगी रोक
दरअसल, जल जीवन मिशन के काम की गुणवत्ता देखने के लिए जल निगम ने दो प्रकार की कंपनियों को काम दिया है। सुपरविजन क्वालिटी कंट्रोल और थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन। यह दोनों ही कंपनियां ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे काम की निगरानी करती हैं। काम में किसी प्रकार की लापरवाही पाए जाने पर यह जल निगम के अधिकारियों को रिपोर्ट करती हैं। इनके द्वारा सही रिपोर्ट दिए जाने के बाद ही ठेकेदारों द्वारा किए गए काम के बिलों का भुगतान किया जाता है। जानकारी के अनुसार इन कंपनियों के इंजीनियर फील्ड पर नहीं जाते हैं , लेकिन निगरानी के लिए आने जाने का पेट्रोल का पूरा पैसा लेते हैं। जीपीएस लगने के बाद ऐसे इंजीनियर और अधिकारियों पर रोक लगेगी। इसकी वजह से  काम में गुणवत्ता आएगी, वहीं सरकार के पैसे भी बचेंगे।
हर माह बचेगी बड़ी राशि  
दरअसल, जल निगम द्वारा किए गए टेंडर के अनुसार कंपनियों के टीम लीडर, डिप्टी टीम लीडर, आरई, एई को फील्ड पर जाने के लिए महीने में 2500 किलोमीटर के पेट्रोल का भुगतान किया जाता है। इससे एक-एक वाहन का 40 से 50 हजार तक खर्च आता है। जानकारी के मुताबिक, कई इंजीनियर फील्ड में नहीं जाने पर भी अपनी लिमिट का पेट्रोल लेते हैं। जीपीएस लगने से ऐसे अधिकारियों पर लगाम लगेगी और सरकार के पैसे भी बचेंगे।

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