- रियायती जमीन के लिए करना होगा बड़ा निवेश
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में उद्योग लगाने के नाम पर सरकारी जमीन लेकर ऐश करने वालों पर सरकार ने नकेल कस दी है। प्रदेश में अब सरकार उद्योग स्थापित करने के लिए उन्हीं निवेशकों को रियायती दर पर जमीन उपलब्ध कराएगी जो बड़ा निवेश करेगा। दरअसल, प्रदेश में निवेश के नाम पर सरकारी जमीने रियायती दर पर लेने का खेल वर्षों से चल रहा है। कई औद्योगिक क्षेत्रों में रियायती जमीने लेकर उन्हें दूसरों को किराए पर दिया गया है। प्रदेश में ऐसे हजारों मामले हैं। इसलिए सरकार ने उद्योग के नाम पर जमीनों के होने वाले खेल पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है।
गौरतलब है कि अभी तक प्रदेश में उद्योगों की स्थापना के लिए आगे आने वाले निवेशकों को 10 करोड़ रुपए का निवेश करने पर रियायती जमीन मिल जाती थी, अब 50 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश पर ही रियायती जमीन मिल पाएगी। यही नहीं पांच साल के भीतर जमीन का पूर्ण उपयोग नहीं करने पर सरकार आवंटन निरस्त भी कर सकेगी। राज्य सरकार ने इसके लिए मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियमों में संशोधन कर दिया है। अभी तक प्रदेश में उद्योगों के लिए अविकसित भूमि आवंटन हेतु प्रब्याजी की गणना के लिए भूमि के मूल्य में 50 प्रतिशत की छूट दी जाती है। इसमें 10 करोड़ रुपए तक संयंत्र और मशीनरी पर पूंजी निवेश करने पर दस हेक्टयर तक जमीन पर छूट मिलती थी। अब रियायती दरों पर सरकार से जमीन लेने के लिए निवेशक को न्यूनतम पचास करोड़ रुपए का निवेश करना पड़ेगा। सौ से पांच सौ करोड़ निवेश पर बीस हेक्टयर और पांच सौ करोड़ से अधिक निवेश पर चालीस हेक्टेयर तक की जमीन रियायती दर पर मिलेगी।
आवेदन शुल्क भी 5 लाख तक बढ़ाया
अविकसित भूमि पर औद्योगिक पार्क की स्थापना के लिए डेवलपर, वृहद औद्योगिक इकाई द्वारा एमपीआयडीसी में दिए जाने वाले आवेदन शुल्क की राशि दस हजार थी अब इसे बढ़ा दिया गया है। दो हेक्टेयर भूमि तक आवेदन शुल्क बीस हजार रुपए, दो से पांच हेक्टेयर जमीन पर पचास हजार, पांच से दस हेक्टेयर पर एक लाख, दस से बीस हेक्टेयर पर दो लाख, बीस हेक्टेयर से अधिक पर पांच लाख रुपए और साथ में जीएसटी भी देना होगा।
विकास शुल्क का 10 प्रतिशत भी देना होगा
आवंटी इकाई को भूमि आवंटन के समय प्रस्तुत परियोजना की कम से कम पच्चीस प्रतिशत स्थाई पूंजी का निवेश (जमीन की कीमत छोड़कर) अथवा पचास करोड़ का स्थायी निवेश करना होगा तब ही भूमि हस्तांतरण की पात्रता होगी। हस्तांतरण पर विकास शुल्क का दस प्रतिशत राशि भी देना होगा। वहीं अविकसित भूमि की स्वीकृति जारी होंने के बाद सात दिन में मांग पत्र जारी होगा और प्रचलित प्रब्याजि की 25 प्रतिशत राशि अधिकतम तीस दिन में जमा करना होगा। राशि जमा नहीं करने पर इकाई के पक्ष में जारी भूमि आबंटन निरस्त कर दिया जाएगा।
…तो आवंटन निरस्त होगा
आवंटित जमीन का पांच वर्ष के अंदर पूर्ण उपयोग करना जरुरी होगा। जमीन का पूर्ण उपयोग नहीं किए जाने पर दस प्रतिशत प्रब्याजि लेकर एक साल तक पट्टा बढ़ाया जा सकेगा। इसके बाद भी पूर्ण उपयोग नहीं करने पर शेष जमीन समर्पित करना होगा। ऐसा न करने पर आबंटन पट्टा निरस्त कर दिया जाएगा। ऐसे मामलों में जमीन अन्य इकाई को देना संभव नहीं है तो भूमि के पूर्ण उपयोग किये जाने तक अनुपयोगी जमीन पर प्रचलित भू-भाटक का सात गुना भू-भाटक प्रति वर्ष वसूला जाएगा। आवंटी इकाई को भूमि आबंटन के समय प्रस्तुत परियोजना की कम से कम पच्चीस प्रतिशत स्थाई पूंजी का निवेश (जमीन की कीमत छोड़कर)अथवा पचास करोड़ का स्थायी निवेश करना होगा तब ही भूमि हस्तांतरण की पात्रता होगी। हस्तांतरण पर विकास शुल्क का दस प्रतिशत राशि भी देना होगा। राज्य सरकार ने इसके लिए मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियमों में संशोधन कर दिया है। अभी तक प्रदेश में उद्योगों के लिए अविकसित भूमि आवंटन हेतु प्रब्याजी की गणना के लिए भूमि के मूल्य में पचास प्रतिशत की छूट दी जाती है। इसमें दस करोड़ रुपए तक संयंत्र और मशनरी पर पूंजी निवेश करने पर दस हेक्टयर तक जमीन पर छूट मिलती थी। अब रियायती दरों पर सरकार से जमीन लेने के लिए निवेशक को न्यूनतम पचास करोड़ रुपए का निवेश करना पड़ेगा।