- ई-टेंडरों में अब मैन्युअल यानी हार्डकॉपी पर पूरी तरह पाबंदी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में पारदर्शी शासन के लिए अब हर स्तर पर सतर्कता बरती जा रही है। इसके लिए कई तरह के नवाचार किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार ने अब ठेकों के टेंडर प्रक्रियों को पूरी तरह डिजिटलाइजेशन कर दिया है। सरकार का मानना है की इससे ठेकों के टेंडर में धांधली की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
गौरतलब है कि प्रदेश में सरकार ठेकों के टेंडर में धांधली की बाते सामने आती रहती है। इसलिए राज्य सरकार ने सरकारी ठेकों में अब पूरी तरह डिजिटल वर्किंग को अपनाना तय किया है। इसके तहत ई-टेंडरों में अब मैन्युअल यानी हार्डकॉपी पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है। इसके तहत सरकारी ई-टेंडरों में अब सिर्फ आनलाइन तरीके से डिजिटल फॉर्मेट में ही दस्तावेज देने होंगे। अभी तक ई-टेंडर के बावजूद अनेक दस्तावेज हार्ड कॉपी के रूप में जमा किए जाते थे। इसे अब पूरी तरह बंद करने का फैसला हो गया है। मुख्य सचिव वीरा राणा की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी की बैठक में इसका फैसला हुआ है। इसके बाद सभी विभागों को इसके निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसके तहत किसी भी ई टेंडर में अब कोई भी डॉक्यूमेंट मैन्युअल नहीं लिया जाएगा।
समस्त डॉक्यूमेंट देने होंगे ऑनलाइन
ऑनलाइन आवेदन के समय ही समस्त डॉक्यूमेंट को ऑनलाइन देना होगा। वहीं कुछ डॉक्यूमेंट यदि बाद में दिए जाते हैं तो उनका स्वरूप भी ऑनलाइन होगा। इतना ही नहीं बड़ी फाइलों के लिए भी ऑनलाइन स्वरूप ही रखना होगा। साथ ही अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट भी ऑनलाइन फार्मेंट में ही करना अनिवार्य रहेगा। ई-फार्मेट में होने से बाद डॉक्यूमेंट में हेर-फेर व अन्य गड़बड़ियों पर रोक लग सकेगी। इससे टेंडर में पारदर्शिता भी बढ़ेगी। सरकार ने पारदर्शिता बढ़ाने के मद्देनजर ही यह फैसला लिया है। इसके अलावा डिजिटलाइजेशन के तहत इन व्यवस्थाओं को अपनाया जा रहा है। अब तक ये आरोप लगते रहे हैं कि ऑनलाइन निविदा भरने के बाद भी मैन्युअल डॉक्यूमेंट जमा करके खानापूर्ति करा ली जाती है। इस पर अब रोक लगेगी। वहीं अभी बड़े सरकारी ठेकों में अनेक ऑडिट रिपोट्र्स, बैलेंस शीट व टर्नओवर संबंधित अन्य दस्तावेजों को ऑनलाइन आवेदन के बाद मैन्युअल दे दिया जाता था। इसका कारण बड़ी मात्रा में डॉक्यूमेंट होना या डिजिटल प्लेटफार्म पर अपलोडिंग में समस्या आना बता दिया जाता था। लेकिन, इस प्रकार के बहाने भी अब नहीं चल सकेंगे। सरकार के इस फैसले का असर निर्माण व अन्य ठेकों से संबंधित विभागों पर अधिक होगा। इसके तहत लोक निर्माण, पीएचई, नगरीय प्रशासन, ग्रामीण विकास, खनिज, स्वास्थ्य, जल संसाधन, पर्यटन जैसे विभाग विशेष तौर पर प्रभावित होंगे। इन विभागों में सरकार कामकाज के लिए ठेके अधिक होते हैं।