अब दवाईयां भी बेंचेगी कृषि साख सहकारी समितियां

कृषि साख सहकारी समितियां
  • सहकारी समितियों को मिला औषधीय लाइसेंस

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में खाद और बीज बेचने वाली कृषि साख सहकारी समितियां (पैक्स) अब दवाईयां भी बेचेंगी। सहकारी समितियों पर जल्द ही प्रधानमंत्री जन औषधिय केंद्र का संचालन शुरू हो जाएगा। इसके लिए 55 कृषि साख सहकारी समितियों को जेनेरिक दवाओं की बिक्री का लाइसेंस मिल गया है। इन समितियों से दवाओं की बिक्री शुरू होने पर बड़ी आबादी इसका सीधा लाभ उठा सकेगी। लोग यहां से जुकाम, बुखार, दर्द सहित अन्य बीमारियों के लिए सस्ती दवा खरीद कर सकेंगे। कृषि साख सहकारी समितियों पर जन औषधि केंद्र के खुलने का सर्वाधिक लाभ सीधे तौर पर किसानों को मिलेगा। किसान समिति से खाद, बीज, कीटनाशक दवा के लिए पहुंचते हैं। वे अब इसके साथ ही स्वयं व परिवार के इलाज के लिए दवाइयां भी प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें दूर  का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। सहकारिता विभाग इन दिनों सहकारी समितियों को नया स्वरूप देने के प्रयास में जुटा है। खाद व बीज की बिक्री करने वाली समितियों की नई पहचान अब बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी पैक्स) के रूप में है। ऐसे में समितियों पर किसानों को खाद व बीज देने के साथ ही जनसेवा केंद्र व प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की सुविधा देने की मुहिम शुरू हो गई है।
    24 बी-पैक्स में जन औषधिय केन्द्रों की  शुरुआत
    शुरुआती दौर में प्रदेश में 24 बी-पैक्स में जन औषधि केन्द्र भी शुरू कर दिए हैं। यह समितियां ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा फोकस कर रही हैं। सरकार को मानना है कि पूरे प्रदेश में दवा सप्लाई का बड़ा कारोबार है। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के अंतर्गत पिछले 5 साल में प्रदेश में 44 करोड़ की जेनेरिक दवाएं रोगियों ने खरीदीं। 275 समितियों का जन औषधि केंद्र व्यवसाय के लिए सरकार ने चयन किया था। इसमें से इस कारोबार के लिए 270 समितियों ने आवेदन किया है। 55 समितियों को ड्रग लाइसेंस भी दिया जा चुका है। सरकार उत्कृष्ट और अच्छा काम करने वाली पैक्स समितियों का बहु उद्देश्यीय और बहु कारोबारी समिति के रूप में चयन कर रही है। सहकारिता विभाग ने साढ़े चार हजार समितियों में से दो हजार समितियों को चिन्हित किया है। प्रदेश में कई पैक्स समितियां ने निर्यात कारोबार करने के लिए भी सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है। इन समितियों की प्रोजेक्ट रिपोर्ट को तैयार कराई गई है। नेशनल एक्सपोर्ट कोआपरेटिव सोसायटी की सदस्यता के लिए 1700 समितियों से आवेदन कराया गया है। समितियां किसानों की निर्यात करने और ग्रेडिंग में मदद करेंगी। आयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं मनोज सरियाम का कहना है कि कई समितियों को बहुउद्श्यीय समिति के रूप में तब्दील किया गया है। इन समितियों को तमाम कारोबार करने के लिए कहा गया है। दवा, एक्सपोर्ट और आर्गेनिक कारोबारी के लिए समितियों ने आवेदन किया है। प्रदेश की कई समितियों को ऑर्गेनिक कारोबार करने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश की 1454 समितियों ने आवेदन किया है। इन समितियों के यहां ऑर्गेनिक बीज तैयार करने के लिए जगह भी उपलब्ध है। इस तरह की ज्यादातर समितियां आदिवासी क्षेत्रों में किसानों के साथ मिलकर काम करेंगी। समितियों पर जन औषधि केंद्र के खुलने का सर्वाधिक लाभ सीधे तौर पर किसानों को मिलेगा। वे परिवार के इलाज के लिए दवाइयां भी प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें दूर के अस्पताल का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।

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