नहीं मिल रहा लोन, कैसे आत्मनिर्भर बनेंगे युवा

 लोन
  • कोरोना काल के बाद से बैंकों ने ऋण देने में नहीं दिखाई ज्यादा रुचि

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। केंद्र व राज्य सरकार ने युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने व उन्हें स्वरोजगार उपलब्ध कराने के खूब दावे किए हैं। लेकिन कोरोना काल के बाद से बैंकों ने ऋण देने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई है। इस कारण युवा उद्यमियों को उद्योग स्थापित करने के लिए लोन नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि युवा कैसे आत्मनिर्भर बनेंगे।
    एक तरफ सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम(एमएसएमई) सेक्टर में युवाओं को आगे लाने के लिए बैंकों से ऋण उपलब्ध कराने पर जोर दे रही है। लेकिन बैंक सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। बरेली निवासी चंद्रकांत सिंह कहते हैं कि मैं सरकारी नौकरी के पीछे  ना भागकर स्वयं का उद्योग लगाना चाहता हूं। इसके लिए मैंने एक बैंक से पांच करोड़ का लोन लेने सभी प्रकियाएं पूरी की, लेकिन तब निराशा हुई जब बैंक में चक्कर लगाते-लगाते थक गया। चंद्रकांत सिंह अकेले युवा नहीं हैं जो ऋण पाने के लिए बैंक के चक्कर लगा रहे हैं बल्कि ऐसे युवाओं की संख्या हजारों में है।
    अभी तक मात्र 39 फीसदी ही लोन का वितरण
    लोन न मिलने से निराश युवाओं का कहना है कि सरकार अगर युवाओं को एमएसएमई सेक्टर से जोड़ना चाहती है तो बैंकों से समय पर लोन दिलाने के लिए दबाव बनाया जाए। यही कारण है कि इस वित्तीय वर्ष में अभी तक एक लाख 50 हजार 787 उद्यमियों को 5 हजार 448 करोड़ रुपए का ही ऋण बांटा है। जबकि एमएसएमई सेक्टर में 11 लाख से ज्यादा लोगों को 54 हजार 210 करोड़ का लोन बांटने का टारगेट है। एसएलबीसी की बैठक में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक करीब 29 बैंकों ने अभी तक मात्र 39 फीसदी ही लोन का वितरण किया है। कोरोना काल के बाद से बैंकों ने ऋण देने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई है। यही कारण है कि प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर में इकाइयां कम लग पा रहीं हैं। पिछले दिनों हुई एसएलबीसी की बैठक में मुख्यमंत्री ने एमएसएमई सेक्टर सहित महिला उद्यमियों को ज्यादा से ज्यादा ऋण देने के निर्देश बैंकों को दिए हैं। सीएम ने मात्र 39 प्रतिशत टारगेट पूरा करने पर बैंक अधिकारियों के समक्ष नाराजगी भी जताई थी। इस पर बैंक अधिकारियों ने कहा था कि टारगेट को पूरा करने के प्रयास जल्द किए जाएंगे।
    सबसे अधिक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने दिया लोन
    आरबीआई ने इस साल नई नीति लागू की है। इसके तहत माइक्रो उद्योगों को एक से 5 करोड़, स्मॉल उद्योगों को 10 से 50 करोड़ तथा मीडियम उद्योगों के लिए 50 से 250 करोड़ तक का ऋण देने का प्रावधान है। एमएसएमई सेक्टर में सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया ने सबसे ज्यादा 33 हजार 351 आवेदकों को लोन दिया है। बैंक ने करीब 437 करोड़ का लोन अभी तक बांटा है। स्टेट बैंक आॅफ इंडिया ने 13 हजार 332 लोगों को 928 करोड़ रुपए का ऋण दिया है। बैंकों ने सबसे ज्यादा लोन इमरजेंसी सेक्टर में स्वीकृत किया है। बैंकों ने दो लाख 52 हजार 501 लोगों को 6 हजार 596 करोड़ का लोन मंजूर किया है। जबकि मध्यांचल ग्रामीण बैंक ने मात्र दो प्रतिशत लोन वितरित किया है और मप्र ग्रामीण बैंक ने 5 प्रतिशत ही लोन बांटा है। इसके विपरीत बंधन बैंक ने एक भी व्यक्ति को लोन नहीं दिया है और धनलक्ष्मी बैंक ने मात्र एक व्यक्ति को लोन दिया है। जानकारी के अनुसार अधिकांश बैंक इमरजेंसी लोन देने में ही ज्यादा रुचि ले रहे हैं, क्योंकि इसे वापस लेने में भी बैंकों को दिक्कत नहीं होती और समय की पाबंदी होने के कारण उद्यमी इसे जल्द लौटाते हैं। साथ ही सरकार का भी हस्तक्षेप इसमें रहता है, जिसके वापस मिलने की गारंटी रहती है। एमएसएमई विभाग मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा का कहना है कि एमएसएमई सेक्टर में बैंकर्स ने लोन बांटने के लिए कितना टारगेट रखा था और कितने प्रतिशत लोन बंटा है। इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। इसकी डिटेल लेने के बाद ही कुछ बता सकूंगा।

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