डेढ़ दशक बाद भी नहीं मिल पा रही है अनुकंपा नियुक्ति, बढ़ रहा रोष

अनुकंपा नियुक्ति

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में आम आदमी तो अफसरशाही और सरकारी कार्यशैली से तो परेशान रहते ही हैं, लेकिन इस मामले में दिवंगत शासकीय कर्मचारियों के आश्रितों तक के साथ संवेदनशीलता नहीं दिखाई जाती है। यही वजह है कि प्रदेश में ऐसे अनेकों मामले में है, जिनमें आश्रित अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। इसकी वजह से अब तो आश्रितों में रोष बेहद बढ़ रहा है। नियमानुसार सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को उसी साल नौकरी मिल जानी चाहिए। अनेक विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की मृत्यु होने के बाद भी उनके पात्र आश्रितों को तमाम प्रयासों के बाद भी अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पा रही है। इसका बड़ा उदाहरण है होशंगाबाद जिले में जल संसाधन विभाग में कार्यरत प्रेम नारायण शर्मा की मृत्यु 20 जुलाई 2009 को हो गई थी। उनके इनके आश्रित को आज तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल सकी है।  इसी विभाग में 15 जून 2006 को रमाकांत दुबे का स्वर्गवास हो गया था। जब वे स्वर्गीय हुए तो नरसिंहपुर में कार्यरत थे, लेकिन पात्र को बतौर अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा रही है। पीएचई विभाग भोपाल में कार्य करते हुए रमेश कुमारी की मृत्यु 9 नवम्बर 2015 को हो गई थी, लेकिन अब तक उनके किसी आश्रित को अब तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई है। इसी तरह से इसी विभाग के तहत सीहोर में पदस्थ हर्ष चंद्र दुबे की मृत्यु जुलाई 2019 में हो गई थी , लेकिन उनके आश्रित अब भी विभाग के चक्कर काट रहे हैं। खंडवा में 2008 के दौरान लोक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी सैय्यद रजीउद्दीन की मृत्यु हो गई थी , लेकिन लगातार चक्कर काटने के बाद भी उनके पात्र आश्रित का अनुकंपा नियुक्ति की प्रतीक्षा समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही है। लोक निर्माण विभाग के उज्जैन कार्यालय में पदस्थ बाबूलाल मीणा की मौत अक्टूबर 2010 को हो गई थी। इसके बाद से उनके आश्रित नौकरी के लिए चक्कर काट रहे हैं। मत्स्य पालन विभाग सागर में कार्यरत रहे राजकुमार शुक्ला की मृत्यु 9 जनवरी 2013 को हुई थी।
सीपीसीटी बना मुसीबत
विभागों में दिवंगत लिपिक कर्मचारियों के आश्रितों पर सीपीसीटी (कंप्यूटर प्रोफिसिएंशी सर्टिफिकेट एग्जाम) यानी कम्प्यूटर दक्षता परीक्षा सिरदर्द बन गई है। मप्र लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मुकेश चतुर्वेदी कहते हैं कि अनुकंपा मिलने के तीन साल की अवधि दौरान यह परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रावधान है। अब अगर इस अवधि में आश्रित परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाते हैं तो उनकी सेवा समाप्त की जा सकती है। मुकेश कहते हैं कि पशुपालन, मत्स्य, राजस्व, जल संसाधन, ग्रामीण यांत्रिकी जैसे विभागों में परीक्षा पास नहीं करने पर अनुकंपाधारियों की सेवाएं तक समाप्त कर दी गई हैं।

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